सम्पादकीय

लोकतन्त्रकी जीत


विश्वके शक्तिशाली देश अमेरिकामें संसदके २२० वर्षोंके इतिहासमें गुरुवारको काले दिनके रूपमें याद किया जायगा। लेकिन बादमें वह लोकतंत्रकी जीत सुनिश्चित करनेमें सफल भी हो गया। निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्पके समर्थकोंने कैपिटाल परिसरके बाहर जिस प्रकार हिंसक उपद्रव किया और पुलिसके साथ उनकी झड़प हुई उससे अमेरिकी लोकतन्त्र कलंकित हुआ है। इस झड़पमें चार लोगोंकी हुई मृत्युके बाद वाशिंगटनमें कफ्र्यू भी लगा दिया गया। यह घटना उस समय हुई जब नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन जीतको प्रमाणित करनेके लिए संसदके संयुक्त सत्रके लिए कैपिटालके अन्दर बैठे हुए थे। राष्ट्रपति ट्रम्पने संसदका संयुक्त सत्र शुरू होनेके ठीक पहले कहा कि वे चुनावमें हारको स्वीकार नहीं करेंगे और यह भी आरोप लगाया कि इसमें धांधली हुई है, जो बाइडनके पक्षमें की गयी। ट्रम्पने अपने समर्थकोंके बीच एक घण्टेतक भाषण किया और यह भी दावा किया कि उन्होंने इस चुनावमें शानदार जीत हासिल की है। वस्तुत: लोकतन्त्रके इस बड़े देशमें ट्रम्प और उनके समर्थकोंने जो अमर्यादित आचरण किया है वह पूरी तरह शर्मनाक और निन्दनीय है। चुनावमें पराजित ट्रम्प सम्भवत: अपना सन्तुलन खो बैठे हैं। किसी भी चुनावमें हार-जीत तो सामान्य बात है लेकिन ट्रम्प समर्थकोंने जो हरकतें की हैं वह असामान्य बात है। इससे पूरी दुनियामें अमेरिकाके खिलाफ सन्देश गया है। इसके लिए ट्रम्पको जिम्मेदार माना जा रहा है। पूर्व राष्टï्रपति बराक ओबामाने भी इस शर्मनाक घटनाके लिए ट्रम्पको जिम्मेदार ठहराया है। कई रिपब्लिकन सीनेटर भी ट्रम्पकी कोशिशोंको गलत और हठधर्मिता बता चुके हैं। ट्रम्प ह्वाइट हाउस न छोडऩेकी भी धमकी दे चुके हैं। आगामी २० जनवरीको बाइडनको राष्ट्रपति पदकी शपथ लेनी है। यदि ट्रम्प ह्वाइट हाउस नहीं छोड़ते हैं तो उनके विरुद्ध काररवाई भी हो सकती है। इससे ट्रम्पकी प्रतिष्ठापर गहरा आघात पहुंचेगा। उन्होंने अपनी गलत हरकतोंसे अमेरिकी लोकतन्त्रकी परम्पराओंको कलंकित करनेका प्रयास किया है, जो अक्षम्य है। अमेरिकामें ऐसी घटना पहले कभी नहीं हुई थी। इस घटनासे क्षुब्ध होकर अनेक अति वरिष्ठï अधिकारियोंने इस्तीफा भी दे दिया है। डेमोक्रेट्स सीनेटर ट्रम्पके खिलाफ महाभियोग लानेकी तैयारीमें जुट गये हैं। ट्रम्पके लिए यह और भी शर्मनाक बात होगी। अन्तत: स्थितिकी गम्भीरताको देखते हुए ट्रम्पने अपनी हार स्वीकार कर उचित निर्णय किया। उन्होंने स्वेच्छासे पद छोडऩेका भी संकेत दे दिया है। अमेरिकी कांग्रेसने भी बाइडनकी जीतपर मोहर लगाकर उनकी ताजपोशीका मार्ग प्रशस्त कर दिया।
दरिन्दगीकी हद
उत्तर प्रदेशके बदायं जिलेमें अधेड़ महिलाके साथ हैवानियतकी हद पार करनेवाली हृदयविदारक घटना इनसानियतको शर्मसार करनेके साथ ही पूरी व्यवस्थापर भी एक गम्भीर सवाल खड़ा करती है। निर्भया जैसी वीभत्स घटनाकी पुनरावृत्तिने पूरे समाजको सोचनेके लिए विवश किया है कि आजादीके ७३ वर्ष बाद भी देशमें महिला सुरक्षित नहीं है। सबसे सुरक्षित माना जानेवाला उपासना स्थल भी दुराचारियोंने नहीं छोड़ा है। बदायूं जिलेके उघैती थाना क्षेत्रकी आंगनबाड़ी सहायिका गांवके ही मन्दिरमें दर्शन-पूजनके लिए गयी थी, जहां उसके साथ दरिन्दगीकी सारी हदें पार की गयीं। सामूहिक दुष्कर्मके बाद उसकी हत्या करनेकी नीयतसे उसके कोमल अंगोंको क्षतिग्रस्त करनेके साथ उसकी पसली भी तोड़ दी गयी और रात्रिके अन्धेरेमें लहूलुहान महिलाको छोड़कर दुष्कर्मी फरार हो गये। हालांकि पुलिसने दो आरोपियोंको गिरफ्तार कर लिया, परन्तु घटनाका मुख्य आरोपी मन्दिरका महन्त और एक अन्य आरोपी अब भी पुलिसकी गिरफ्तसे बाहर हैं और उनकी गिरफ्तारीके लिए महन्तपर ५० हजार रुपयेका इनाम भी घोषित किया गया है। उत्तर प्रदेशके मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथने आरोपियोंके खिलाफ सख्त काररवाईका निर्देश दिया है। इस मामलेमें उदासीनता बरतनेके लिए उघैती थाना प्रभारीको निलम्बित कर दिया गया है तथा आरोपियोंके खिलाफ त्वरित न्यायालयमें मुकदमा दायर करनेका प्रशासनने निर्णय किया है, क्योंकि ऐसे दरिन्दोंका खुली हवामें सांस लेना समाजके लिए उचित नहीं है। प्रदेश सरकारने मृतकके आश्रितोंको मुआवजाका मलहम लगाकर उनके घावको कम करनेका जो प्रयास किया है, वह उचित ही कहा जायगा। परन्तु व्यवस्थामें आमूल-चूल परिवर्तनके बिना इस तरहकी घटनाओंको रोक पाना सम्भव नहीं होगा। सरकारको इस मुद्देको लेकर जहां और गम्भीर कदम उठाने होंगे, वहीं पुलिस प्रशासनको और संवेदनशील होना होगा। ऐसे दरिन्दोंको मौतकी सजा भी कम है। इनके खिलाफ ऐसी काररवाई की जानी चाहिए, जो दूसरोंके लिए सबक बने।