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लोकेशन ऑफ है तब भी Google को पता रहता है कहां हैं आप,


 नई दिल्ली। मोबाइल फोन में लोकेशन आफ करने के बाद भी गूगल आपके लोकेशन को ट्रेस करता रहता है। अमेरिका में चार साल तक चली जांच के बाद गूगल की इस हरकत का पता चला है। जांच में यह भी पाया गया कि वर्ष 2018 से पहले तक गूगल अमेरिका में गूगल एप से लाग आउट होने के बावजूद यूजर्स के लोकेशन ट्रेस कर लेता था। इस खुलासे को गंभीरता से लेते हुए इलेक्ट्रानिक्स और आइटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि प्रस्तावित डिजिटल डाटा सुरक्षा बिल इस प्रकार की हरकतों पर लगाम लगाएगा।

गूगल देगा 39.2 करोड़ डालर का हरजाना

उन्होंने ट्वीट कर यह आश्वस्त किया है कि किसी भी प्लेटफार्म या इंटरमीडिएरीज की तरफ से इस प्रकार का काम किए जाने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी और उन्हें वित्तीय जुर्माना तक देना होगा। सरकार प्रस्तावित डाटा सुरक्षा कानून में यह प्रविधान करने जा रही है। यूजर्स के लोकेशन की हर समय जानकारी रखने के मामले में अमेरिका की 40 राज्य सरकारों को गूगल 39.2 करोड़ डालर देगी। वित्तीय भरपाई के अलावा गूगल नए साल से यह स्पष्ट तौर पर बताएगी कि वह लोकेशन का डाटा कैसे एकत्र करती है। गूगल यह भी बताएगी कि लोकेशन ट्रैकिंग के आफ होने के बाद भी किस प्रकार के डाटा को लिया जा सकता है।

यूजर्स के लिए सेटिंग अपडेट करेगा गूगल

गूगल यूजर्स को लोकेशन ट्रैकिंग को निष्क्रिय करने के तरीके के साथ सेटिंग द्वारा एकत्र किए गए डाटा को डिलीट करना और डाटा रखने की सीमा तय करना भी सिखाएगी। लोकेशन टेक्नोलाजी के बारे में भी गूगल नए साल से अमेरिकी यूजर्स को विस्तृत जानकारी देगी।

इसी महीने जारी कर दिया जाएगा डाटा सुरक्षा बिल का मसौदा

इलेक्ट्रानिक्स और आइटी मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक भारत में भी डिजिटल डाटा सुरक्षा कानून के लागू होने के बाद गूगल और अन्य प्लेटफार्म गलत तरीके यूजर्स के डाटा को एकत्र नहीं कर पाएंगे। सूत्रों के मुताबिक प्रस्तावित कानून में गलत तरीके से या यूजर्स को सूचित किए बगैर डाटा एकत्र करने पर 100-200 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रविधान लाया जा रहा है। डिजिटल डाटा सुरक्षा बिल का मसौदा इस माह तक जारी कर दिया जाएगा और बजट सत्र में इस बिल को मंजूरी के लिए संसद में पेश किया जाएगा। अभी भारत में डाटा सुरक्षा कानून के नहीं होने से टेक कंपनियां इसका नाजायज फायदा उठा रही है।

क्यों महत्वपूर्ण है लोकेशन का डाटा

विशेषज्ञों के मुताबिक यूजर्स के लोकेशन के डाटा से कंपनियों को यूजर्स की आदत, खरीदारी के तरीके और यूजर्स की खरीदारी क्षमता का पता चलता है। फिर कंपनियां यूजर्स को उनके जरूरतों के हिसाब से विज्ञापन भेजती हैं। कई वित्तीय कंपनियां लोन देने के मामले में भी यूजर्स के लोकेशन का डाटा देखती हैं जिससे यूजर्स की भुगतान क्षमता का पता लग जाता है।