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वैक्सीनेशन में पिछड़ सकते हैं गरीब राज्य, ग्लोबल टेंडर से वैक्सीन की खरीद में पीछे छूटने की आशंका


  • नई दिल्ली,। वैक्सीन खरीदने के लिए देश के कई राज्य अलग-अलग वैश्विक टेंडर जारी कर रहे हैं, लेकिन इससे गरीब राज्य वैक्सीन की खरीदारी में पीछे छूट सकते हैं। इससे उन राज्यों में वैक्सीनेशन (टीकाकरण) की गति प्रभावित होगी। एसबीआइ इकोरैप की रिपोर्ट में यह आशंका जाहिर की गई है। इससे बचने के लिए केंद्र को राज्यों के सामंजस्य से यूरोपीय संघ (ईयू) माडल की तरह वैश्विक स्तर पर वैक्सीन की खरीदारी करने की सलाह दी गई है। काफी अधिक मात्रा में खरीदारी से कम कीमत पर वैक्सीन भी उपलब्ध हो सकेगी और सभी राज्यों में वैक्सीनेशन का कार्यक्रम भी एक जैसा हो सकेगा। इससे पहले नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार भी राज्यों के लिए केंद्र की तरफ से वैक्सीन खरीदे जाने की बात कह चुके हैं।

एसबीआइ इकोरैप की रिपोर्ट में सामने आई सच्चाई

एसबीआइ इकोरैप की रिपोर्ट के मुताबिक, वैक्सीन खरीद के लिए अलग-अलग टेंडर निकालने से राज्यों के बीच आपस में ही वैक्सीन की कीमत को लेकर मुकाबला होगा। जो राज्य अमीर हैं वे अधिक कीमत देकर वैक्सीन की खरीदारी कर लेंगे, लेकिन गरीब राज्य प्रतिस्पर्धा में पीछे छूटने से वैक्सीन की खरीदारी नहीं कर पाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिसेफ के डैशबोर्ड पर दुनियाभर में वैक्सीन की कीमत 2-40 डालर प्रति डोज के बीच चल रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोपीय संघ ने वैक्सीन की खरीदारी से पहले एक स्थायी समिति बनाई थी, जिसमें उसके सभी देशों के प्रतिनिधि हैं। फिर समिति ने सात सदस्यीय नेगोशिएशन टीम गठित की और उसने वैक्सीन निर्माताओं के साथ मोलभाव कर यूरोपीय संघ के लिए वैक्सीन की 2.6 अरब डोज सुरक्षित कर लीं। एसबीआइ ने केंद्र को इसी तरह राज्यों के साथ सामंजस्य कर वैक्सीन की वैश्विक खरीदारी करने की सलाह दी है।

केंद्र को दी ईयू की तर्ज पर राज्यों के साथ मिलकर खरीदारी की सलाह

एसबीआइ समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार एसके घोष ने केंद्र और राज्यों को अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन निर्माताओं से संपर्क कर तेजी से कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रणाली विकसित करने की भी सलाह दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों के ग्लोबल टेंडर में इमरजेंसी यूज की इजाजत हासिल कर चुकीं वैक्सीन निर्माता कंपनियां हिस्सा ले सकती हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि चीन की वैक्सीन निर्माता कंपनियां इस टेंडर में हिस्सा लेती हैं या नहीं क्योंकि चीन की भी कई वैक्सीन निर्माता कंपनियों को इमरजेंसी यूज की इजाजत मिल चुकी है।