सम्पादकीय

वैश्विक शक्तियोंके बीच घमासान


आर.डी. सत्येन्द्र कुमार

रूसी राष्टï्रपति ब्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्टï्रपति जो बाइडेनके बीच हुई तकरार सुर्खियोंमें है। इस तकरारके केन्द्रमें वैसे पूर्व अमेरिकी राष्टï्रपति डोनाल्ड ट्रम्प हैं। इसको राजनीतिक एवं आर्थिक क्षेत्रोंमें वैसे तो कई कारणोंसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है लेकिन सबसे अहम कारण यह है कि यह दो वैश्विक शक्तियोंके सर्वोच्च एवं शिखरस्थ महारथियोंके बीच टकरावके रूपमें अहमियत प्राप्त कर रहा है। यदि यूं ही यह टकराव दर्शाता है कि रूस और अमेरिकाके आर्थिक एवं राजनीतिक हित एक-दूसरेसे बेहद भिन्न, यहांतक कि विपरीत हैं। दोनों ही नेता व्यापक वैश्विक परिप्रेक्ष्यमें एक-दूसरेपर बरसते पाये जा रहे हैं। उनके दृष्टिïकोणसे यह स्पष्टï संकेत मिलता है कि वैश्विक स्तरपर दोनों नेता एक-दूसरेकी टांग खींचनेका एक भी अवसर गंवाया नहीं चाहेंगे। राजनीतिक विश्लेषकोंने इसी परिप्रेक्ष्यको ध्यानमें रखकर इस टकरावको विशेष महत्व दिया है जिसे सहज, स्वाभाविक और प्रत्याशित ही कहा जायगा।

इस टकरावको समझनेके लिए उसे उसकी सही परिप्रेक्ष्यमें रखना आवश्यक भी प्रतीत हो रहा है। हालमें ही राष्टï्रपति ब्लादिमीर पुतिनने कहा है कि जो बाइडेनने कहा है कि वह जानते हैं कि पुतिन एक हत्यारे हैं। पुतिनने व्यंग्यभरे अन्दाजमें प्रत्युत्तरमें कहा है कि वह जो बाइडेनके अच्छे स्वास्थ्यकी कामना करते हैं। पुतिनने यह टिप्पणी टेलीविजनपर की थी जबकि इसके पहले बाइडेनने एबीसी टेलीविजन समाचार साक्षात्कारमें कहा था कि मेरा विश्वास है कि रूसी राष्टï्रपति हत्यारा है। इस आरोपसे क्षुब्ध होकर रूसने अपने राजदूतको अमेरिकासे विचार-विमर्शके लिए वापस बुला लिया था। बाइडेनने इसी क्रममें यह भी कहा था कि पुतिन आत्मीयताहीन हैं और उन्हें २०२१ के अमेरिकी राष्टï्रपति पदके चुनावमें दखलंदाजीकी कीमत चुकानी पड़ेगी। वैसे क्रेमलिनमें उक्त हस्तक्षेपसे इनकार किया है। इसी क्रममें पुतिनने कहा है कि हम हमेशा ही अपने गुणोंको दूसरोंमें देखते हैं और सोचते हैं कि वे हमारे ही जैसे ही हैं। उसीके अनुसार हम दूसरेकी गतिविधियोंका आकलन करते हैं। पुतिनकी इस टिप्पणीके पहले क्रेमलिनके प्रवक्ता डिमिट्री पेस्कोवने कहा कि अमेरिकी राष्टï्रपतिकी मास्कोके साथ सम्बन्ध सुदृढ़ करनेका कोई इरादा नहीं है।

रूसकी इस टिप्पणीका बाइडेनपर असर नहीं हुआ। ह्वïाइट हाउसने कहा कि पुतिनको हत्यारा कहनेपर ह्वïाइट हाउसको कोई पछतावा नहीं है। तथ्योंके इस परिप्रेक्ष्यमें इस निष्कर्षपर पहुंचना स्वाभाविक प्रतीत होता है कि वर्तमानमें रूसी एवं अमेरिकी शिखरस्थ नेतृत्वके बीच झुकावकी स्थिति बनी हुई है। सवाल खड़ा होता है कि यह टकराव इन दोनों देशोंके शासकोंको कहांतक ले जायेगा। जहांतक विशेषज्ञोंका सवाल है, इससे दोनों वैश्विक महाशक्तियोंके बीच तनाव और टकरावकी माहौल बना रहेगा। लेकिन इनकी सीमा क्या होगी, यह स्पष्टï कहना काफी मुश्किल प्रतीत हो रहा है। विशेषज्ञोंको लगता है कि यदि यह विवाद बना रहा तो दोनों वैश्विक एवं आर्थिक महाशक्तियोंके रिश्ते लम्बे समयतक तनावपूर्ण बने रह सकते हैं। इसके विपरीत, कई विशेषज्ञ तबकोंको लगता है कि तनाव बहुत लम्बेा नहीं खिंचेगा। अपनेमतके समर्थनमें वे वाक्ïयुद्धके बावजूद अफगान-तालिबान डीलपर इन दोनों देशोंकी एकजुटताका हवाला देते हैं। वस्तुत: वैश्विक महाशक्तियोंके बीच मौजूद अंतर्विरोध किस सीमातक उनके रिश्तोंमें खटास पैदा करेंगे यह ढेर सारे कारणोंपर निर्भर करता है। ऐसी स्थितिमें निश्चित रूपसे नहीं कहा जा सकता कि उनके बीच मौजूद मतभेद किस सीमातक उग्र हो उठेंगे।

हकीकत और उसके विकासका भावी स्वरूप जो भी हो, इसमें सन्देह नहीं कि फिलहाल इन दोनों देशोंके नेतृत्वमें एक-दूसरेके प्रति खटासमें कुछ वृद्धि अवश्य हुई है। इस खटासकी सीमाका निर्धारण सारत: इन दोनोंके हितोंमें टकराव द्वारा निर्धारित द्वारा ही होगा। जो तथ्य हमारे पास है उनसे ऐसा नहीं लगता कि इन देशोंके शिखरस्थ नेतृत्वके बीच मौजूदा मतभेद बेहद शत्रुतापूर्ण हो उठेंगे। वैसे, फिलहाल दोनों देशोंके रिश्तोंमें खटासकी मात्रा पहलेके मुकाबले बढ़ी है लेकिन यह बढ़ती ही जायगी, यह दावा कोई भी विशेषज्ञ तबका करता नजर नहीं आ रहा है। वैसे सहयोग और संघर्ष दोनों ही देशोंमें मौजूद है। हकीकत जो भी हो, पुतिन और बाइडेनके बीच यदि तकरार और टकराव बढ़ा तो जर्मनी, फ्रांस और इटली जैसे देशोंके नेता पुतिनके साथ न खड़े होकर अमेरिकी राष्टï्रपति जो बाइडेनके साथ खड़े पाये जायंगे।

कौन किस सीमातक उनके साथ खड़ा रहेगा, यह तो अभीसे नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतना निश्चित है कि वे पुतिनके खेमेमें नहीं जायंगे। इससे पुतिनकी पेरशानियां बढ़ सकती हैं। खासकर उनका अलग-थलग पडऩा सम्भव हो सकता है जो उनके व्यापक राजनीतिक हित और हकमें हरगिज नहीं होगा। विश्लेषकों एवं विशेषज्ञोंकी बहुसंख्याका कमसे कम यही मानना है और यह सही भी लगता है। ब्रिटेन, जर्मनी और इत्नी भले ही बहुत आगेतक न जाय लेकिन उनका अमेरिकाके साथ खड़े होना अमेरिकाकी स्थितिको मजबूत करेगा। हकीकतका जो भी स्वरूप सामने आये, वह पुतिनके पक्षमें नहीं होगा। इसमें सन्देह नहीं कि पुतिनकी परेशानियां कम नहीं होंगी। हालांकि उनसे उनकी सत्ताको सम्भवत: कोई खास खतरा नहीं पैदा होगा, क्योंकि रूसमें उनके विरोधी अधिक शक्तिशाली नहीं है। फिलहाल पुतिन और बाइडेन तकरार और टकरावने विश्वके सियासी माहौलको गरम कर रखा है और यह गरमी शीघ्र समाप्त होने नहीं जा रही है।