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शास्त्रके सामने झुको, शस्त्रके नहीं- उमाशंकर व्यास


संकटमोचन मंदिर में चल रहे नौ दिवसीय मानस पाठ और व्यास सम्मेलन की हुई पूर्णाहुति
शस्त्र के सामने कभी मत झुकना और शास्त्र के सामने सदैव झुकना ही हमारी संस्कृति की पहचान है। गुरु विश्वामित्र ने यही शिक्षा प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को दी थी। जिसका प्रमाण लक्ष्मण-परशुराम संवाद के मध्य मिला जिसमे वे परशुराम जी के जनेऊ को देखकर झुके और उनके फरसे को देखकर बिल्कुल भी प्रभावित नही हुए। उक्त बातें बरेली से आये प्रख्यात मानस वक्ता डॉक्टर उमाशंकर व्यास ने संकट मोचन मंदिर में रामविवाह पंचमी के पावन अवसर पर चल रहे श्रीरामचरितमानस व्यास सम्मेलन के अंतिम दिन बतौर मुख्य वक्ता कही। मध्यप्रदेश के जबलपुर से पधारे डाक्टर बृजेश दीक्षित ने कहा कि प्रभु श्रीराम के प्राकट्य से संत देव तो प्रसन्न थे ही, देवाधिदेव महादेव भी अत्यंत प्रसन्न रहे। उन्होंने मां पार्वती से कहा की श्रीराम के धरती पर प्रकट होने के बाद इस धरा से असुरों का विनाश निश्चित है। इनके अलावा पंडित श्यामनारायण त्रिपाठी, राममिलन पाठक, पारसनाथ पाण्डेय, रामकृष्ण त्रिपाठी, विपिन पाठक आदि ने भी सम्मेलन के अंतिम दिन मानस पर चर्चा की। संचालन नंदलाल उपाध्याय ने किया।
नवाह्न परायण का भी हुआ समापन- मंदिर में चल रहे रामचरितमानस नवाह्न परायण का भी समापन हुआ। मुख्य आचार्य पण्डित राघवेंद्र पाण्डेय के आचार्यत्व में ५१ भूदेवों ने मानस के उत्तर काण्ड की चौपाईयों का सस्वर गान कर परायण पूर्ण किया। इस अवसर पर महंत प्रोफेसर विश्वम्भरनाथ मिश्र ने सर्वप्रथम व्यासपीठ का पूजन कर आरती उतारी। उसके बाद समस्त भूदेवों को वरण, दक्षिणा प्रदान कर विदाई दी गईं। इस अवसर पर मंदिर में ही भंडारे का आयोजन भी किया गया। इस दौरान मुख्य रूप से प्रेमचंद मेहरा एडवोकेट, विजय बहादुर सिंह, हरिराम द्विवेदी, विश्वनाथ यादव आदि गणमान्य जन उपस्थित रहे।