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शिवसेना चुनाव चिह्न विवाद 12 दिसंबर को सुना जाएगा, चुनाव आयोग ने दिये ये निर्देश


नई दिल्‍ली, । शिवसेना चुनाव चिह्न किसका ठाकरे गुट या शिंदे गुट? ये विवाद अब चुनाव आयोग सुलझाने की कोशिश करेगा। शिवसेना चुनाव चिह्न विवाद मामले की पहली सुनवाई 12 दिसंबर को भारत निर्वाचन आयोग करेगा। चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों पक्षों को 9 दिसंबर 2022 को शाम 5 बजे तक कोई और बयान/दस्तावेज जमा करने का भी निर्देश दिया है।

9 दिसंबर शाम 5 बजे तक कोई और बयान या दस्तावेज…!

चुनाव आयोग ने कहा कि पार्टी का चुनाव चिह्न विवाद ‘वास्‍तविक सुनवाई’ के चरण में पहुंच गया है। दोनों गुटों की पहली व्यक्तिगत सुनवाई के लिए 12 दिसंबर की तारीख निर्धारित की गई है और आवश्यक आदेश मंगलवार को जारी किया गया। चुनाव आयोग के पैनल ने दोनों समूहों को 9 दिसंबर शाम 5 बजे तक कोई और बयान या दस्तावेज जमा करने का भी निर्देश दिया है।

चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को चिह्न का उपयोग करने से रोक था

इस महीने की शुरुआत में, आयोग ने शिवसेना गुटों को 23 नवंबर तक पार्टी के नाम और उसके प्रतीक पर अपने दावे को वापस लेने के लिए नए दस्तावेज जमा करने को कहा था। चुनाव आयोग के पैनल ने उन्हें एक-दूसरे के साथ आयोग को सौंपे गए दस्तावेजों का आदान-प्रदान करने के लिए भी कहा था।

अक्टूबर में एक अंतरिम आदेश में, आयोग ने दोनों गुटों को पार्टी के नाम या उसके ‘धनुष और तीर’ चिन्ह का उपयोग करने से रोक दिया था।

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चुनाव आयोग ने ठाकरे और शिंदे गुट का दिये हैं ये अस्‍थायी नाम

हालांकि, बाद में चुनाव आयोग ने ठाकरे गुट को ‘शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ नाम इस्‍तेमाल करने और एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी के नाम के रूप में ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ (बालासाहेब की शिवसेना) को इस्‍तेमाल करने की इजाजत दी थी। चुनाव आयोग ने कहा था कि अंतरिम आदेश विवाद के अंतिम निर्धारण तक जारी रहेगा।

ऐसे खड़ा हुआ चुनाव चिह्न विवाद

शिंदे ने शिवसेना के 55 में से 40 विधायकों और लोकसभा में उसके 18 में से 12 सदस्यों के समर्थन का दावा करते हुए ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी। शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद, शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने। इसके बाद विवाद पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न को लेकर खड़ा हुआ। दोनों ही गुट इसके लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए।

चुनाव चिह्न आदेश के पैरा 15 में वर्गों या समूहों के प्रतिनिधियों की सुनवाई की इच्छा के अनुसार सुनवाई का प्रावधान है। हालांकि, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच सिर्फ यही विवाद नहीं है। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों की बगावत और उसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस्तीफे से पैदा हुई स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं। इन याचिकाओं में शिंदे कैंप के 16 विधायकों की अयोग्यता, एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए राज्यपाल के निमंत्रण, सदन में नए स्पीकर के चुनाव की गलत प्रक्रिया जैसे कई मसले उठाए गए हैं।