सम्पादकीय

श्वसन तंत्रको बनायें मजबूत


डा. वरिंदर भाटिया

देशमें कोरोनाकी वैक्सीनेशनकी गतिको और बढ़ाने और इसे विकसित करनेकी जरूरत है। उन्होंने इस पत्रमें कहा है कि वैक्सीनेशनके निरपेक्ष आंकड़ोंको बढ़ानेपर जोर न दें। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकारको राज्य सरकारोंसे यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि अगले छह महीनेमें कितनी वैक्सीनका ऑर्डर दिया जायगा और कैसे इनका वितरण किया जायगा। सिंहने अपना यह पत्र पीएम मोदीको उस समय लिखा जब देश कोरोनाकी दूसरी लहरसे जूझ रहा है। देशमें एक दिनके आधारपर आनेवाले नयी मरीजोंकी संख्या हर दिन नया रिकार्ड बना रही है। देशके अनेक हिस्सोंमें कोरोनाका खतरनाक रक्स यानी तांडव जारी है। भारतमें वीकली पॉजिटिविटी रेटमें काफी वृद्धि हुई है। वीकली पॉजिटिविटी रेट जहां ११ से १७ मार्चके बीच ३.०५ फीसदी था, अब वह बढ़कर १३.५४ फीसदी हो गया है। यानी करीब १०.५ फीसदीकी वृद्धि हुई है। सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़, गोवा और महाराष्ट्रमें हुई है। डा. मनमोहन सिंहका सुझाव व्यक्तिगत होते हुए भी महत्वपूृर्ण है।

कोरोना संकटको लेकर हमारे आसपास अदम्य हालात बन रहे हैं। उसे देखते हुए कोरोनाके खिलाफ रणनीतिक लड़ाईमें सामाजिक ताकतोंका एक सुर होना जरूरी है। तभी हम सब इस कोरोनाके तांडवका मुकाबला कर सकेंगे। इसके लिए सर्वमान्य स्तरपर एक कारगर योजना बनानी चाहिए। ऐसा सभी राज्योंमें भी किया जाय तो बेहतर होगा। देशमें कोरोना वायरसका प्रकोप बढऩेके साथ ही लोगोंकी जान बचानेके लिए मेडिकल ऑक्सीजनकी डिमांड भी बढ़ती जा रही है। शरीरमें ऑक्सीजन लेबल घटनेसे जो स्थिति पैदा होती है, उसे हाइपोजेमिया कहा जाता है। हालमें देशभरके कई अस्पतालोंमें ऑक्सीजन सिलिंडरके खत्म होनेसे हाहाकार मच गया था। ऑक्सीजनकी कमीसे कोरोना मरीजोंकी मौतोंकी भी खबरें आयीं। ऐसेमें सवाल उठता है कि आखिर हमारे शरीरको ऑक्सीजनकी जरूरत क्यों पड़ती है। हवामें इतना ऑक्सीजन है और हम सांस लेते रहते हैं तो भी शरीरमें ऑक्सीजनकी कमी क्यों हो जाती है। हमारे शरीरमें ऑक्सीजनकी मात्राका मतलब हमारे खूनमें ऑक्सीजनकी मात्रा है। यदि खूनमें ७५ से १०० मिलीमीटरके बीच ऑक्सीजन है तो इसे सामान्य स्तर माना जाता है।

लेकिन ऑक्सीजन लेवल ६० मिलीमीटरसे नीचे है तो इसे सामान्यसे कम माना जाता है। तब आपको ऑक्सीजन सप्लीमेंटकी जरूरत पड़ती है। सांस लेनेकी गतिसे ऑक्सीजनका क्या संबंध है। एक स्वस्थ युवा प्रति मिनट १२ से २० बार सांस लेता और छोड़ता है। लेकिन इसकी सही दर प्रति मिनट छहसे आठ बार है। यानी जल्दी-जल्दी सांस लेनेके बजाय गहरी सांस लेना फायदेमंद है। यदि आप जल्दी-जल्दी सांस लेते हैं तो हमें पर्याप्त मात्रामें ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। गहरी सांस लेनेसे ऑक्सीजन लेवल कैसे बढ़ता है। जब हम सांस लेते हैं तो ऑक्सीजन अंदर जाता है और सांस छोड़ते हैं तो कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलता है। यह काम हमारे फेफड़ेके सबसे निचले भाग जिसे वायुकोष्ठिका या एल्वियोली कहा जाता है। इसीलिए हमें गहरी सांस लेनी चाहिए ताकि वायुका प्रवाह फेफड़ेके निचले हिस्सेतक पहुंच सके। हवा एल्वियोलीमें पहुंचती है तो खूनमें ऑक्सीजनकी मात्रा बढ़ जाती है। हम अपने श्वसन तंत्रके जरिये वातावरणमें फैली हवासे ऑक्सीजन लेते हैं। यह ऑक्सीजन सीधे हमारे खूनमें जाता है जो हमारी रक्त वाहिकाओंके जरिये पूरे शरीरमें पहुंचता है। यह काम हमारी लाल रक्त कोशिकाओंमें होता है जिसका काम ऑक्सीजनको एक जगहसे दूसरी जगह पहुंचाना है। ऐसेमें लाल रक्त कोशिकाएं जितनी तंदुरुस्त होंगी, हमारे शरीरमें ऑक्सीजनका स्तर उतना ही सामान्य होगा।

शरीरमें ऑक्सीजन लेवल घटनेसे जो स्थिति पैदा होती है, उसे हाइपोजेमिया कहा जाता है। इसके कई कारण हैं। जैसे कि प्रदूषणका स्तर ज्यादा होनेके कारण हवामें ऑक्सीजनकी मात्रा कम होना, फेफड़ेकी कमजोरीके कारण गहरी सांस लेनेमें अक्षमता जिससे कारण सभी कोशिकाओं और उत्तकोंको पर्याप्त ऑक्सीजनका नहीं मिल पाता है, खूनके प्रवाहमें इतना जोर नहीं रहना कि वह फेफड़ोंसे ऑक्सीजन जमा करके पूरे शरीरमें भेज सके। इनकी भी वजहें हैं। जैसे अस्थमा, दिलकी बीमारी, एनीमिया, फेफड़ोंसे संबंधित बीमारियां, न्यूमोनिया, खून जमने जैसी परेशानियोंके कारण धमनियोंका सिकुडऩा, सीनेमें हवा या गैसकी मौजूदगीके कारण फेफड़ेका सिकुडऩा, फेफड़ोंमें द्रव्यकी ज्यादा मात्रा, गहरी नींदका अभाव, नींद और दर्दकी दवाका ज्यादा उपयोग आदि। शरीरमें ऑक्सीजनकी मात्रा कम होते ही कई तरहकी समस्याएं होने लगती हैं। इसलिए हमें कुछ बातोंका ध्यान रखना चाहिए ताकि किसी तरहकी परेशानीसे बचा जा सके।

हमें ऑक्सीजन लेवल मेंटेन करनेके लिए क्या करना चाहिए जैसे कि कोशिश करके ताजी हवामें सांस लें। इसके लिए घरकी खिड़कियां खुली रखें। बालकनीके दरवाजे खुले रखें। बालकनीमें बैठें भी। घरसे बाहर निकलें, पार्क या किसी अन्य हरी-भरी जगहोंपर जायं। पर्याप्त मात्रामें पानी पीयें। खूनमें ऑक्सीजन पहुंचाने और शरीरसे कॉर्बन डाइऑक्साइड निकालनेके लिए हमारे फेफडोंको हाइड्रेशनकी जरूरत पड़ती है। इसलिए पर्याप्त मात्रामें पानी पीयें ताकि शरीरमें इसकी कमी नहीं हो। ध्यान रहे कि हमारा शरीर हर दिन औसतन ४०० मिलीलीटर पानी सोखता है। आयरनसे भरपूर खाद्य पदार्थोंको भोजनमें शामिल करें। ऑक्सीजनके लाने ले जानेका काम हमारी लाल रक्त कोशिकाओंमें होता है जिसे तंदुरुस्त रखनेके लिए आयरनकी जरूरत होती है। यदि आयरनकी पर्याप्त मात्रा नहीं मिलेगी तो आप थकान महसूस करेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि आयरनके अभावमें कमजोर हुईं आपकी लाल रक्त कोशिकाएं पूरे शरीरको पर्याप्त मात्रामें ऑक्सीजनकी आपूर्ति नहीं कर पाती हैं। आयरनकी सही मात्रा बरकरार रखनेके लिए आपको हरी पत्तेदार सब्जियां, फल खाना चाहिए। कोरोनासे बचावके लिए सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं, इससे जुड़े बचावके सभी बिंदुओंको हल्केसे नहीं लिया जाना चाहिए।