संसद में मामूली कामकाज
पिछले सप्ताह विपक्ष के हंगामे के चलते संसद में मामूली कामकाज हुआ। सोमवार को राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के बाद जब संसद की कार्यवाही शुरू हुई, तो विपक्ष ने फिर हंगामा किया। निलंबित करने से पहले लोकसभा अध्यक्ष ने हंगामा करने वाले और तख्तियां लहराने वाले सांसदों को सख्त चेतावनी दी थी।
चार सदस्यों को किया निलंबित
उन्होंने कहा था कि यदि विपक्षी सांसदों ने सदन की कार्यवाही में बाधा डालना बंद नहीं किया, तो वे कड़ी कार्रवाई के लिए बाध्य होंगे। शोर-शराबा नहीं थमा, तो बिरला चले गए। पीठासीन अधिकारी राजेंद्र अग्रवाल ने उनका आदेश पढ़कर सुनाया कि चार सदस्यों को निलंबित किया जाता है।
आग-बबूला हुई कांग्रेस
कांग्रेस ने सांसदों के निलंबन को गलत बताया। कांग्रेस ने कहा कि सरकार इस तरह की कार्रवाई से हमें डराना चाहती है, लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि महंगाई पर चर्चा की मांग कर रहे सांसदों का निलंबन पूरी तरह गलत है। सरकार चर्चा से भाग रही है। सदन में चर्चा की मांग करना हमारा अधिकार है। हम अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे।
तुरंत चर्चा कराने की मांग
राज्यसभा में भी विपक्ष ने जमकर हंगामा किया और सरकार से महंगाई व दूसरे विषयों पर चर्चा की मांग की। हंगामे के चलते दोनों सदनों की कार्यवाही कई बार स्थगित की गई। बाद में पूरे दिन के लिए संसद को स्थगित करना पड़ा। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने महंगाई का मुद्दा उठाते हुए तुरंत चर्चा की मांग की।
कुछ भी सुनने को तैयार नहीं विपक्ष
इस पर सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार महंगाई, जीएसटी सहित सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। अभी वित्त मंत्री कोरोना से पीडि़त हैं। उनके स्वस्थ होकर आने पर ही चर्चा होगी। विपक्ष कुछ सुनने को तैयार नहीं था और हंगामा जारी रखा। इसके बाद राज्यसभा की कार्रवाई दिनभर के लिए स्थगित हो गई।
विपक्ष ने दिया संकेत
संकेत है कि अब विपक्ष निलंबन के मुद्दे पर भी अपना विरोध प्रदर्शन तेज करेगा। इसकी संभावना कम है कि बहुत जल्द सदन सुचारु हो।