पटना

साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन की मनमानी- बिहारशरीफ के उपभोक्ताओं से साजिश के तहत वसूला जा रहा है प्रति यूनिट अधिक चार्ज


      • प्रावधान है 23 दिन के बाद से बिलिंग करने का लेकिन कई इलाकों में तीन-तीन महीनें में होती है बिलिंग
      • बिलिंग पीरियड बढ़ने से उपभोक्ताओं का यूनिट संख्या बढ़ रहा है और अधिक स्लैब वाले दर से की जा रही है वसूली
      • विभाग का सैप वर्जन फेल रहने से उपभोक्ता ना देख पा रहे है और ना हीं जमा कर पा रहे है बिल

बिहारशरीफ (आससे)। जिला मुख्यालय बिहारशरीफ के लोग साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के अधिकारियों और अभियंताओं के साथ हीं कर्मियों के मनमानी से बुरी तरह परेशान है। एक ओर विभाग द्वारा विद्युत चोरी रोकने के लिए रोज अभियान चलाकर बिजली चोरी करने वालों को पकड़ा जा रहा है और लाखों रुपये की उगाही की जा रही है, वहीं विभाग की अकर्मण्यता की वजह से पिछले कई महीनों से शहर के लोगों को समय से विद्युत विपत्र नहंी मिल पा रहा है। वजह यह है कि मीटर रीडिंग की समुचित व्यवस्था नहीं है। स्थिति यह है कि कई मोहल्लों में दो-दो, तीन-तीन महीने की बिलिंग एक साथ हो रही है। ऐसे में उपभोक्ताओं को वाजिब से अधिक मूल्य वसूला जा रहा है।

बिहारशरीफ शहर में 0 कट बिजली की सुविधा है। प्रावधान है कि बिजली काटे जाने के पहले उपभोक्ताओं को इसकी सूचना दी जानी है। सूचना दी भी जाती है। उपभोक्ताओं के मोबाइल नंबर पर एसएमएस मिलता है, लेकिन शायद ही बार निर्धारित किये गये समय से बिजली आती है। इतना हीं नहीं कई-कई बार तो बिजली काटे जाने के 10 मिनट पूर्व उपभोक्ताओं के मोबाइल पर मैसेज आता है। हाल के दिनों में तो शहर में रोज कई-कई बार बिजली कट रही है, लेकिन कोई मैसेज उपभोक्ता के मोबाइल पर नहीं आ रहा है।

विद्युत विभाग का राजस्व का जरिया है उपभोक्ताओं का मीटर रीडिंग कर उसका बिलिंग करना। डिजिटल मीटर लगाये जाने के बाद उपभोक्ता की रीडिंग के साथ हीं ऑटो बिल जेनरेट होता है और जिन उपभोक्ता का मोबाइल और ई-मेल अपडेट होता है उन्हें संबंधित नंबर या मेल आईडी पर विद्युत विपत्र मिल जाता है, लेकिन पिछले कुछ महीने से शहर में मीटर रीडिंग की व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गयी है।

जानकारों का तो यहां तक कहना है कि विद्युत विभाग के अभियंता साजिश के तहत ऐसा करवा रहे है ताकि उपभोक्ताओं से अधिक राजस्व की वसूली की जा सके। अभी तक जो प्रावधान है उसके अनुसार मीटर रीडिंग में खपत यूनिट को स्लैबों में बांटा गया है। शुरू के कुछ यूनिटों तक यूनिट चार्ज कम होता है। जैसे-जैसे रीडिंग का स्लैब उपर चढ़ता है, वैसे-वैसे यूनिट चार्ज बढ़ता जाता है। स्वाभाविक तौर पर अगर एक महीने में रीडिंग होती है तो उपभोक्ताओं को उसी टैरिफ के अनुसार खपत की गयी यूनिट का बिल चुकाना होगा, वहीं दो-तीन महीने में रीडिंग होने पर रीडिंग का स्लैब बढ़ता जाता है और इसके साथ हीं यूनिट चार्ज भी बढ़ता है।

स्लैब वार यूनिट चार्ज में प्रति यूनिट एक रुपया तक अधिक वसूले जाने का प्रावधान है। ऐसे में तीन-तीन माह पर रीडिंग होने पर जिस उपभोक्ता का यूनिट एक माह में एक सौ उठता है तीन महीने में तीन सौ या उससे भी अधिक होता है और उपभोक्ताओं से 300 यूनिट खपत वाला स्लैब की राशि वसूली जाती है। ऐसे में उपभोक्ताओं को जहां चूना लग रहा है, वहीं विभाग के अधिकारी बगैर मेहनत किये अधिक राजस्व वसूल कर अपना चेहरा चमका रहे है।

शहर के कई इलाकों में मई, जून और जुलाई की रीडिंग एक साथ जुलाई महीने में हुई और अगस्त महीना समाप्त होने को है अभी तक शहर के उपभोक्ताओं का मीटर रीडिंग शुरू नहीं हुआ है। जबकि प्रावधान है कि 23 दिन के बाद से हीं रीडिंग शुरू हो जानी है और 30 दिन से अधिक बीत गया रीडिंग शुरू नहीं हुआ।

आधिकारिक तौर पर तो इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन बताया जाता है कि शहरी क्षेत्र में मीटर रीडिंग से लेकर अन्य सारे कार्य सैप वर्जन पर होता है और सैप वर्जन हीं काम नहीं कर रहा है। चर्चा तो यह भी है कि विभाग का डाटा ही समाप्त हो चुका है, जिसे वापस लाने की पहल चल रही है। ऐसे में शहरी क्षेत्र के उपभोक्ताओं को बिजली बिल से लेकर लोड बढ़ाने, ऑनलाइन बिल निकालने, ऑनलाइन पेमेंट करने जैसी सारी सेवाएं बंद है।