पटना

सीएम के कौन हैं नज़दीक ललन सिंह या आरसीपी सिंह


बिहारशरीफ (आससे)। सीएम नीतीश और आरसीपी सिंह की हुई मुलाकात, कौन दूर है और कौन है साथ,सत्ता से सड़क तक सिर्फ घात व प्रतिघात सियासत के बिसात पर आपकी बात कब बन जाये या फिर कब बिगड़ जाए यह कहना काफी मुश्किल है। खासकर बिहार की चटकीली राजनीति के रास्ते मे इस तरह का वाकया हमेशा देखने को मिलते रहता है। अब थोड़ा नजर डाल लीजिये जदयू के अंदरखाने चल रही सियासी पेंचबाजी पर। सियासी बिसात पर घात व प्रतिघात का जबरदस्त दांव लगाये जाने का खेल अब शुरू हो चुका है, लेकिन रेफरी मौन साधे सब देख रहा है।

अब जरा खेल को समझिए। दल के दो वरीय नेताओं के देश की राजधानी दिल्ली में अलग-अलग पदभार ग्रहण करने के बाद बिहार की राजधानी पटना में स्वागत के स्वैग ने सियासी गुटबाजी को सता के मैदान से लेकर सड़क तक बिखेरकर रख दिया। कड़ी धूप व 40 डिग्री तापमान के बीच पटना की सड़कों पर दोनों वरीय नेता अपने स्वागत में जुटी भीड़ व उत्साह से अपने राजीनीतिक कद का आकलन करने में जुटे रहे तो दूसरी तरफ स्वागत के लिए हीं हुई पोस्टरबाजी और बयानबाजी व कार्यकर्ताओं के चेहरे ने गुटबाजी की ऐसी चमक बिखेर कर रख दी जो आम जनता को भी खटक गयी।

लेकिन इन सबों के बीच सबसे बड़ी बात यह रही कि एक नेता सत्ता की केंद्रीय मलाई चाभकर अपनी धुरी से दूर हो गए तो एक जहां थे, उससे और करीब हो गए। सोचने का तरीका अपना अपना हो सकता है, लेकिन असन्तुलन साफ दिख रहा है। तभी तो केंद्रीय मंत्री बनने के बाद पिछले 6 दिनों के बाद बिहार आये आरसीपी सिंह की मुलाकात आखिरकार अपने नेता नीतीश कुमार से हो पाई। इसे सिर्फ औपचारिक व अनौपचारिक समझने की भूल नहीं करें। नीतीश कुमार की कार्यशैली का इतिहास गवाह रहा है कि विशेष तौर पर अपने मन के अनुसार और स्वतंत्र पहचान बनाने की कवायद में जुटे लोगों से वे इसी तरीके से सियासी दूरी बना लेते हैं। खिलाफ में बोलते कम हैं करते कुछ ज्यादा हैं।

क्या आरसीपी सिंह ने समय मांगने में देरी की या सीएम नीतीश ने बुलाने में देर कर दी ?

हालांकि आरसीपी सिंह के आने के बाद ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि वे दूसरे दिन सीएम नीतीश कुमार से मिलेंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बताया जाता है कि न तो सीएम ने आरसीपी सिंह को मिलने के लिये बुलाया और न हीं आरसीपी सिंह ने सीएम से मिलने  का समय मांगा। हालाँकि अंततः 6 दिन बाद नीतीश कुमार से मुलाकात हो ही गयी। जबकि इससे उलट राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के उपरांत मुंगेर सांसद ललन सिंह पटना पहुंचे फिर कार्यकर्ताओं से निबटने के बाद दूसरे दिन सीएम नीतीश से मिलकर आभार प्रकट किया। बता दें कि आरसीपी के आवास से सीएम के आवास की दूरी बेहद कम है वहीं ललन सिंह का आवास काफी दूर है लेकिन मसला समझने वाले राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि यह दूरी दिलवाली है जनाब जो दिल्ली में बनी है। हालांकि इसका बीजारोपण काफी पहले ही हो चुका था।

दिल्ली में बनी दिलवाली दूरी बयानों में भी साफ झलक रहा

दिल्ली में बनी दिलवाली दूरी अब आरसीपी के बयानों में भी साफ-साफ झलक रहा है जातीय जनगणना पर दिल्ली में ही आरसीपी ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा था कि विपक्ष का अपना मुद्दा होता है वह उसी पर काम कर रहा है। मतलब साफ था की जातीय जनगणना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी के स्टैंड के साथ खड़ा होना। वहीं जातीय जनगणना पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट कहा है की जातीय जनगणना जरूरी है ताकि लोगों को सामाजिक न्याय मिल सके। इसी तरह मुंगेर के जदयू सांसद व पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी संसद को संबोधित करते हुए जातीय जनगणना करवाने के समर्थन में अपनी बात रखी थी। लेकिन सियासी खेल के तहत आरसीपी सिंह पटना पहुंचने पर कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए सीएम नीतीश की तरफदारी में जहां कसीदे पढ़े तो दूसरी तरफ यह भी बता दिया कि सीएम की सहमति से हीं केंद्र में मंत्री बने हैं। लेकिन जातीय जनगणना के मुद्दे को विपक्ष का मुद्दा बताकर अप्रत्यक्ष तौर एक सन्देश भी दे दिया।

आरसीपी घूम रहे हैं बिहार और स्वागत में जुटे कार्यकर्ता संशय में

बताते चलें की बिहार आने के बाद सीएम नीतीश से मुलाकात से पहले आरसीपी सिंह बिहार भ्रमण पर निकल गए। जगह-जगह उनका जोरदार स्वागत किया गया। लेकिन कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग आज भी भारी संशय में है। कार्यकर्ताओं को यह लग रहा है की आरसीपी सिंह की स्वागत कहीं उनके भविष्य के लिए खतरा न बन जाए। आरसीपी सिंह के स्वागत में भाजपा के कार्यकर्ता भी जुटे रहे । अब सवाल यह है कि अगर आरसीपी के दावों में दम है की हम तो नीतीश के सहमति से हीं केंद्र में मंत्री बने हैं तो फिर क्या नीतीश कुमार ने हीं कार्यकर्ताओं को संशय में डाल रखा है। अगर ऐसा है तो निश्चित तौर पर यह पार्टी की सेहत के लिये फायदेमंद नहीं। तभी तो कुशवाहा नेता भी आपस में सियासी टकराव पर खुलेआम उतर आए हैं। नीतीश कुमार ने जिस उपेंद्र कुशवाहा को बड़े ही तामझाम से दल में लाया। वहीं कुशवाहा आरसीपी सिंह के पटना आगमन पर साफ तौर पर कहा कि मुझे उनकी आने की सूचना पोस्टर और प्रेस से मिली है। वहीं दूसरी तरफ आरसीपी के स्वागत में सबसे बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे जदयू नेता व पूर्व विधायक अभय कुशवाहा ने आरसीपी के स्वागत में लगे पोस्टरों से उपेंद्र कुशवाहा की तस्वीर ही गायब कर दी।

मुलाकात हो सकती है लेकिन बात कितना बन पाएगी यह कहना मुश्किल

जदयू के अंदरखाने चल रहे सियासी उठापटक का परिणाम सामने आ चुका है। वह भी सड़क पर। अपने-अपने हिसाब से जदयू की राजनीति को नेता और पत्रकार आकलन करने में जुटे हैं। 16 अगस्त को पटना पहुंचे आरसीपी सिंह अंततः नीतीश कुमार से कल यानी 21 अगस्त को मिले। बड़ा सवाल यह है की सीएम नीतीश जिस तरीके की राजनीति के आदी हैं उसमें केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की बात मुलाकात के बाद भी कितना बन पाएगी यह कहना मुश्किल है।

कौशलेन्द्र की कलम से