सम्पादकीय

सीमापर मुस्तैदी


तू डार-डार, मैं पात-पात की तर्जपर भारत चीनकी किसी भी कुटिल चालका उसीकी भाषामें जवाब देनेके लिए सीमापर न सिर्फ पूरी तरह मुस्तैद है, बल्कि अपनी सैन्य ताकतको और मजबूत करनेके लिए रक्षा उपकरणोंको बढ़ानेकी दिशामें निरन्तर अग्रसर भी है। इसी कड़ीमें शीघ्र ही देशमें निर्मित पहले विशालकाय स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांतको चीनी समुद्र सीमाके निकट तैनात किया जायगा ताकि चीनकी किसी भी चुनौतीका मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। विक्रांतके बेसिन ट्रायल पूरी तरह सफल रहे हैं। अब इस पोतको अगस्तके पहले सप्ताहमें गहरे समुद्रमें परीक्षणके लिए उतारा जायगा। इसके लिए कोचीन शिपयार्ड और नौसेनाने तैयारियां तेज कर दी है। यह परीक्षण हिन्द महासागरमें किये जायंगे जहां नौसेना इसकी क्षमताओंकी जांच करेगी। यदि सब कुछ ठीक रहा तो नौसेना २०२२ के मध्यतक इसका परिचालन शुरू कर देगी। भारतको पाकिस्तान और चीन दोनों ओरसे खतरेको देखते हुए नौसेना ने एक और विमानवाहक पोत की मांग की है जो विक्रांतके संचालन से पूरी हो जायगी। वर्तमानमें भारतके पास सिर्फ एक विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य है जिसे कुछ साल पूर्व रूस से खरीदा गया था इसे अरब सागरमें कारवारके निकट पाकिस्तानसे मिलने वाली किसी भी चुनौतीका जवाब देनेके लिए तैनात किया गया है। आईएनएस विक्रांत भारतमें निर्मित स्वदेशी विमानवाहक पोत है जिसकी अपनी कुछ विशिष्टïताएं हैं। इसमें १.५ एकड़ का डेक है, जिसमें ४० विमान हर समय उड़ान भरनेके लिए तैयार रहेंगे। यह २६२ मीटर लम्बा है जिसपर मिग-२९ जैसे २६ अत्याधुनिक विमान एक साथ खड़े हो सकते हैं। इस पोतपर २०० नौसेना अधिकारी और डेढ़ हजार नाविक तैनात किये जायंगे। इस समय चीनी सेनाके पास दो विमानवाहक पोत मौजूद है, जिसको अगले दस वर्षोंमें छह पोत सैन्य बेड़ेमें शामिल करनेकी योजना है। चीनकी सैन्य तैयारी और उसकी बदनीयतीको देखते हुए भारतको सतर्क रहना और समय-समयपर सैन्य तैयारियोंकी समीक्षा करना समयकी मांग है। अभी हाल ही में चीनके राष्टï्रपति शी जिनपिंगने भारतके अरुणाचल प्रदेशके निकट सामरिक दृष्टिïसे महत्वपूर्ण तिब्बतके सीमावर्ती शहर न्यिंगचीका दौरा किया है। पूर्वी लद्दाखमें सीमा विवादको लेकर भारत-चीनके बीच जारी तनातनीको देखते हुए जिनपिंगका अकस्मात तिब्बत दौरा किसी खतरेका संकेत माना जा रहा है। भारतसे लगे चीनके कब्जेवाले क्षेत्रोंमें उसकी गतिविधियोंपर सतत निगरानी रखनेकी जरूरत है ताकि ईंटका जवाब पत्थरसे दिया जा सके।

बुजुर्गोंके हितमें फैसला

कलकत्ता उच्च न्यायालयका एक महत्वपूर्ण फैसला उन पुत्रों और बहुओंको सबक है, जो बुजुर्गोंको अपमानित और उत्पीडि़तकर उन्हें घरसे बेदखल कर देते हैं। ऐसी घटनाएं आम हो गयी हैं। घरसे बेदखल हुए ऐसे बुजुर्गोंको दर-दरकी ठोकरें खाते हुए वृद्धाश्रमोंमें शरण लेनेके लिए विवश होना पड़ता है। उच्च न्यायालयने ऐसे ही एक प्रकरणमें बुजुर्गोंके हितमें फैसला सुनाते हुए पीडि़त बुजुर्गसे यह भी कहा है कि यदि वे चाहें तो आवश्यकता पडऩेपर पुत्र और बहूको घरसे बेदखल भी कर सकते हैं। न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने कहा है कि अनुच्छेद २१ के तहत किसी भी बुजुर्ग व्यक्तिको घरमें रहनेका पूरा अधिकार है। पश्चिम बंगालके नदिया जिलेके एक बुजुर्ग अपने बेटे और बहूकी प्रताडऩासे बेघर हो गये थे। न्यायाधीशने कहा है कि वरिष्ठï नागरिकको अपने घरमें रहनेका पूरा अधिकार है अन्यथा संविधानके जीवनके मौलिक अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रताके अधिकारका उल्लंघन हो सकता है। जीवनके आखिरी दिनोंमें एक वरिष्ठï नागरिक को अदालत जानेके लिए मजबूर करना बेहद दर्दनाक है। न्यायालयने पुलिसको बेटे और बहूको घरसे बेदखल करनेका भी निर्देश दिया है। न्यायालयका यह फैसला पूरी तरहसे उचित है और इससे समाजके उन लोगोंको सख्त संदेश देनेका प्रयास किया गया है जो परिवारके बुजुर्गोंका उत्पीडऩ और तिरस्कार करते हैं। बुजुर्ग लोग समाजके सम्मानित नागरिक हैं और परिवारोंमें ससम्मान सेवा करना परिजनोंका नैतिक धर्म और दायित्व है जिसके निर्वहन की हमारी परम्परा रही है लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि ऐसी परम्पराओंका तेजीसे क्षरण हो रहा है। स्वार्थपरताके चतले बुजुर्गोंका अपमान करना अनुचित है। ऐसे लोगोंको यह भी सोचना होगा कि आजके युवा कलके बुजुर्ग नागरिक हैं और उनके साथ भी वैसी ही घटनाएं हो सकती हैं, जो घटनाएं आज परिवारोंमें हो रही हैं।