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सेना की मूवमेंट और सप्लाई को मिलेगी रफ्तार


  • भारत और चीन (India-China) के मध्य साल 1962 में सबसे भयानक जंग लड़ी गई थी. हालांकि जंग की यह दास्तान अलग-अलग रूपों में अभी भी चल रही है. तमाम तनावों के बीच भारत एक और जंग लड़ रहा है और यह जंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की है. पिछले 17 महीनों से लद्दाख (Ladakh) में जारी तनाव के बीच बीआरओ ने अपने काम की रफ्तार को दोगुना कर दिया है. उसी का नतीजा है कि पिछले कुछ महीनों में देश भर में 12 नई सड़कें और 63 पुलों का उद्घाटन हुआ है. देश के सीमावर्ती राज्यों में कुल 272 सड़कों पर काम जारी था, जिसमें से सबसे ज्यादा सड़कें (64 सड़कें) अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में हैं.

लंबे समय से हालात ऐसे हैं कि अरुणाचल की राजधानी इटानगर से अगर अरुणाचल के तवांग जाया जाए, तो असम के तेजपुर से होकर गुजरना पड़ता था. 446 किलोमीटर की इस दूरी को पूरा करने में तकरीबन 12 घंटे का समय लगता था. लेकिन अब सीधा इटानगर से तवांग तक की दूरी 5 से 6 घंटे कम हो जाएगी यानी की स्थानीय लोगो के लिए तो राहत है ही लेकिन भारतीय सेना के फास्ट मोबिलाइजेशन के लिए सबसे मुफीद रहेगी.

5600 फीट की ऊंचाई पर बन रहा निचिपु टनल

अरुणाचल में तवांग सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण इलाका है. 62 में चीन इसी तरफ से भारत में घुसा था. पहले तवांग पर पहुंचने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता हुआ करता था. हालांकि अब तवांग पहुंचने के लिए कई वैकल्पिक रास्ते भी तैयार हो रहे हैं. इसके लिए अगले दो साल में एक और वैकल्पिक रास्ता तैयार हो जाएगा. जिससे LAC तक पहुंचने के लिए सेना को भी दूसरा रास्ता मिल जाएगा. अभी टेंगा से आगे तवांग तक पहुंचने के लिए सेंट्रल एक्सिस जो कि बॉमडिला और सेला पास से होते हुए जाता है, इस एक्सिस पर कई टनल का काम जारी है, जिसमें से एक निचिपु टनल है.