गोरखपुर

स्त्रियों के सम्मान को समर्पित होनी चाहिए कहानियां : सावन


रामकोला (आज)। शिव दुलारी देवी दलडपट शाही महिला महाविद्यालय में आयोजित स्त्री कथा लेखन कार्यशाला में साहित्य जगत की प्रतिष्ठित हस्ती डॉ. सुनील चौरसिया ‘सावन’ को उनके साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया। उन्हें सम्मानित करने का सौभाग्य श्री शंकराचार्य विश्वविद्यालय भिलाई, छत्तीसगढ़ के पूर्व कुलपति एवं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. सदानन्द शाही को प्राप्त हुआ।डॉ. सावन ने अपने संबोधन में कहा कि हर इंसान का जीवन एक जीवंत कहानी है, जिसे सच्चे मन से जीकर और लिखकर ही समाज को दिशा दी जा सकती है। उन्होंने छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि साहित्य में ऐसी रचनाएं होनी चाहिए जो विधवा, अनाथ और तलाकशुदा स्त्रियों को सम्मान और आत्मविश्वास प्रदान करें। उन्होंने कहा कि सभ्य समाज वही है जहां स्त्री और पुरुष एक-दूसरे का सम्मान करें। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. मनीषा सिंह से संवाद करते हुए डॉ. सावन ने कहा कि आज महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र में अहम योगदान दे रही हैं, फिर भी भ्रूण हत्या जैसी कुरीति हमारे समाज को कलंकित कर रही है। इस पीड़ा को अभिव्यक्त करते हुए उन्होंने अपनी प्रसिद्ध कविता ‘गर्भ में बेटियां’ सुनाई, जिसे सुनकर पूरा सभागार भावविभोर हो उठा।उन्होंने अपनी संस्था सावन साहित्य सेवा सदन के उद्देश्यों का उल्लेख करते हुए बताया कि संस्था पंचरत्न – विधवा, अनाथ, तलाकशुदा स्त्रियां, दिव्यांग और किन्नर के सम्मान और उत्थान के लिए विशेष प्रयासरत है। इस क्रम में उन्होंने अपनी चर्चित रचनाएं ‘मैं हूं कर्मठ किन्नर’ और ‘किन्नर की वेदना, हमारी संवेदना’ प्रस्तुत कर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरीं।