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हजारीबाग में एक हिंदू विधवा व उसकी दो बेटियों पर जबरन इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव,


रांची, । राज्य के मुस्लिम बहुल गांवों के सरकारी स्कूलों में शुक्रवार को छुट्टी, बंगाल से सटे जिलों के तमाम ब्लाकों में धीरे-धीरे मुस्लिम आबादी का बहुसंख्यक बन जाना और अब हजारीबाग में एक हिंदू विधवा व उसकी दो बेटियों पर जबरन इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव बनाना। ये सब सामान्य घटनाक्रम हैं अथवा किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा? इसकी तह में जाने की आवश्यकता है। वोट बैंक के लालच में ज्यादातर राजनीतिक दल इन घटनाओं पर चुप्पी ही साधे रहते हैं, जिसके चलते यह बड़ा मुद्दा नहीं बन पा रहा है। बातचीत में राज्य के तमाम नौकरशाह भी इसके प्रति चिंतित दिखते हैं, लेकिन वह भी तमाम तरह के दबाव के चलते कोई कड़े कदम नहीं उठा पा रहे हैं। ये हालात राज्य के लिए कतई उचित नही हैं।

हजारीबाग का मामला अब मीडिया में उठने के बाद धीरे-धीरे गरम हो रहा है और संभव है इस पर कुछ कार्रवाई भी हो जाए, लेकिन सोचने की बात यह है कि जब यह सब बड़े पैमाने पर चल रहा है तो क्या उसे रोकने के उपाय भी उसी स्तर पर किए जा रहे हैं? राज्य के तमाम जिलों में बड़े पैमाने पर आदिवासी युवतियों के साथ मुस्लिम युवकों के विवाह करने के मामले सामने आ रहे हैं। सुनियोजित तरीके से आदिवासियों की जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है। संताल परगना के कुछ जिलों के कई ब्लाकों में अब मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक हो गई है। क्या इन इलाकों में कोई प्रयोग चल रहा है?

इसे गहराई से समझने की तो जरूरत है ही, साथ ही हजारीबाग जैसी घटनाओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। यहां एक विधवा की दो बेटियों को सरेआम देर शाम घर के बाहर उठक-बैठक लगवाई जाती है और डराया-धमकाया जा रहा है कि यदि गांव में रहना है तो इस्लाम स्वीकार करना पड़ेगा। युवती का दोष सिर्फ इतना था कि उसने एक वीडियो को स्थानीय वाट्सएप ग्रुप पर शेयर कर दिया था। इस वीडियो में एक मकान पर फहर रहे पाकिस्तानी झंडे को उतारकर भगवा झंडा फहराया जाता दिख रहा है। जैसाकि दावा किया जा रहा है, इसे लेकर गांव की बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी में रोष है।

अब सवाल उठता है कि पाकिस्तानी झंडे से गांव में किसे लगाव है? इसे हटाकर भगवा झंडा फहराए जाने से किसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस लगी? क्या किसी ने यह जानने की जरूरत समझी कि इस वीडियो में उस युवती का क्या दोष था? शायद इन सवालों के जवाब ढूंढने के बजाय गांव के मुखिया इशरत जहां का पुत्र वसीम तालिबानी ढंग से न्याय देने के लिए युवती के घर पहुंच गया। उसके साथ गांव के कुछ अन्य युवक भी थे। रात करीब आठ बजे दोनों बहनों को घसीटकर चौक पर ले जाया गया। अपशब्द कहे गए। थप्पड़ मारे गए और फिर उठक-बैठक करने के लिए मजबूर किया गया। इस घटना का भी किसी ने वीडियो बना लिया और स्थानीय इंटरनेट मीडिया समूहों पर वायरल कर दिया, तब इसका राजफाश हुआ। डरे-सहमे परिवार को जब कुछ हिंदू संगठनों से हौसला मिला तो युवती ने लिखित शिकायत थाना पुलिस को की।

पुलिस ने नौ लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया। दो आरोपितों को गिरफ्तार भी कर लिया, लेकिन बाद में मुस्लिम पक्ष की शिकायत पर विधवा किरण देवी और उसकी नाबालिग बहन के खिलाफ भी धार्मिक भावनाएं भड़काने का मुकदमा पंजीकृत कर लिया। किरण देवी का आरोप है, पुलिस ने जान-बूझकर दबाव की रणनीति के तहत उन पर प्राथमिकी दर्ज की है। उन पर जुल्म ढाए जा रहे हैं। बेटी को उठा ले जाने की धमकी दी जा रही है और पुलिस आरोपितों को गिरफ्तार करने के बजाय उन्हें ही जेल भेजने की धमकी दे रही है।

धीरे-धीरे यह मामला गरम हो रहा है। कुछ हिंदू संगठनों ने आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए दो दिनों तक अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। बाद में गुरुवार को आश्वासन के बाद लोगों ने धरना खत्म किया। धरने में पहले दिन पीड़ित परिवार भी साथ बैठा था। स्थानीय कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।