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हरियाणा सरकार के खिलाफ दिल्ली जल बोर्ड की याचिका पर 25 मार्च को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट


सुप्रीम कोर्ट राजधानी दिल्ली में जल संकट को लेकर दिल्ली जल बोर्ड (DJB) द्वारा हरियाणा सरकार के खिलाफ दायर याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. कोर्ट इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई करेगा. दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार, यमुना में अमोनिया के बढ़ते स्तर और वजीराबाद बैराज में लगातार घटते जलस्तर के कारण दिल्ली को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है.

वजीराबाद बैराज दिल्ली जल बोर्ड के वजीराबाद, ओखला और चंद्रावल वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट को पानी आपूर्ति करता है. नियम के तहत, यमुना का जलस्तर 674.50 फीट होना चाहिए, लेकिन इस समय यह महज 670.4 फीट रह गया है. वजीराबाद बैराज में पानी की मात्रा और गुणवत्ता पूरी तरह हरियाणा पर निर्भर करती है.

याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में दिल्ली को हरियाणा से 609 एमजीडी (मिलियन गैलन) के मुकाबले 479 एमजीडी पानी मिल रहा है. इसके अलावा दिल्ली को 90 एमजीडी भूजल से और ऊपरी गंगा नहर से 250 एमजीडी पानी मिल रहा है. यानी दिल्ली को 130 एमजीडी कम पानी से काम चलाना पड़ रहा है. केंद्र और राज्य प्राधिकरणों से बात कर इस मुद्दे के व्यावहारिक समाधान को लेकर DJB हर संभव प्रयास कर रहा है.

सुप्रीम कोर्ट के फरवरी 1996 के आदेश के अनुसार, वजीराबाद तालाब के स्तर को पूरा रखा जाना चाहिए. इस समय वजीराबाद तालाब का स्तर बहुत गिर गया है. जिससे वजीराबाद, ओखला और चंद्रावल वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में पानी का उत्पादन प्रभावित हो रहा है. यमुना में अमोनिया खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जो लगभग 3.6 पीपीएम तक है. हरियाणा से कम पानी मिलने और अमोनिया का स्तर बढ़ने से डीजेबी के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट पर गंभीर असर पड़ रहा है.

आकलन के मुताबिक, दिल्ली को हर दो हफ्ते में एक बार पानी को लेकर समस्या का सामना करना पड़ता है. वर्तमान हालात को देखते हुए दिल्ली में गंभीर जल संकट को रोकने के लिए दिल्ली जल बोर्ड ने हरियाणा सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. दिल्ली जल बोर्ड ने याचिका में अपील की है कि यमुना में पर्याप्त पानी छोड़े जाने के साथ-साथ नदी में अनट्रीटेड पानी डालने पर तुरंत रोक लगाई जाए.