इससे बंदरगाहों के विश्व स्तरीय ढांचागत विकास में मिलेगी मदद, संचालन में बढ़ेगी पादर्शिता
नयी दिल्ली, 10 फरवरी। राज्यसभा ने महापत्तन प्राधिकरण विधेयक, 2020 पारित कर दिया है। विधेयक पर हुए मत विभाजन में पक्ष में 84 और विपक्ष में 44 वोट पड़े। इस विधेयक के तहत देश के प्रमुख बंदरगाहों के विनियमन, संचालन और नियोजन का प्रावधान है तथा इन्हें और अधिक स्वायत्तता प्रदान करना है।
यह विधेयक बंदरगाह न्यास अधिनियम, 1963 का स्थान लेगा। विधेयक में प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह के लिए महापत्तन प्राधिकरण बोर्ड गठित करने का प्रावधान है। ये बोर्ड मौजूदा बंदरगाह न्यासों का स्थान लेंगे।
केन्द्रीय जहाजरानी मंत्री मनसुख मांडविया ने विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि ये देश के प्रमुख बंदरगाहों को अधिक स्वायत्तता देगा और समुद्री क्षेत्र को मजबूती प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि यह बंदरगाहों के विश्व स्तरीय ढांचागत विकास में भी मदद करेगा और उनके संचालन में पादर्शिता बढ़़ायेगा। उन्होंने कहा कि बंदरगाहों का विकास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पोत आधारित विकास की परिकल्पना के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।
विपक्ष की आकांशाओं को खारिज करते हुए मांडविया ने कहा कि विधेयक में देश के बंदरगाहों के निजीकरण का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक बंदरगाहों को निजी बंदरगाहों के मुकाबले अधिक सशक्त और प्रतिस्पर्धी बनायेगा। उन्होंने कहा कि राजग सरकार देश में बंदरगाहों के निजीकरण की कभी अनुमति नहीं देगी। उन्होंने कहा कि समुद्री क्षेत्र में पिछले छह वर्षों में वृद्धि हुई है। मांडविया ने बताया कि देश में प्रमुख बंदरगाहों ने पिछली सरकार के दौरान हुए मुनाफे से दोगुना मुनाफा दर्ज किया है।
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