मजदूरी और मदरसे में पढ़ाई के नाम पर ले जा रहे थे एजेंट
बताया गया कि महानंदा एक्सप्रेस के जनरल कोच में बच्चों समेत कई युवक बैठकर दिल्ली की ओर जा रहे थे। इसी बीच आरपीएफ को किसी ने मानव तस्करी की सूचना दी। इस पर आरपीएफ ने सभी को प्लेटफार्म नंबर एक पर उतार लिया। थोड़ी ही देर में वहां जीआरपी के जवान पहुंच गए और सभी को वेटिंग हाल में ले जाया गया। शाम करीब साढ़े पांच बजे सीडब्ल्यूसी को खबर मिली तो अध्यक्ष अखिलेश मिश्रा वहां पहुंच गए और बच्चों से पूूछताछ की। उनका कहना है कि ट्रेन में कुल 33 लोग थे, जिसमें 21 नाबालिग थे। 15 नाबालिग को मदरसे में पढ़ाने व बाकी को दिल्ली में मजदूरी कराने की बात कहकर ले जा रहे थे। नाबालिग अपने नाम नाम तक ठीक से नहीं बता पा रहे थे। उनके पास किसी तरह के कागजात नहीं थे। उनको ले जाने वाले भी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। इस आधार पर मामला मानव तस्करी का है। उधर, जीआरपी थाने के कार्यवाहक थानाध्यक्ष अजीत कुमार शुक्ला रात आठ बजे कुछ भी बता पाने की स्थिति में नहीं थे। उनका कहना था कि न तो पूछताछ कर पाए हैं और न किसी का नाम नोट कर सके हैं।
जंक्शन पर ही बच्चों के साथ पढ़ी नमाज
नाबालिग संग ट्रेन से उतारे गए फतेहपुर के मोहम्मदपुर गौती स्थित जामिया दायरे अकरम मदरसे के उस्ताद ने जंक्शन पर ही नमाज पढ़ी। ऐसा तब हुआ जब वहां पर जीआरपी और आरपीएफ के जवान मौजूद थे। मगर किसी ने सार्वजनिक स्थान पर नमाज पढ़ने से मना नहीं किया। सीतापुर निवासी उस्ताद ने मीडियाकर्मियों से तीन बार वहां नमाज पढ़ने की बात कही। यह भी कहा कि वह बिहार के कटिहार से 15 बच्चों को तालीम सिखाने के लिए ले जा रहा था। मगर अभिभावकों से अनुमति लेने के सवाल पर कुछ नहीं बोल पाया।
लीपापोती में जुटी रही जीआरपी-
मानव तस्करी की आशंका पर ट्रेन से उतारे गए लोगों पर कार्रवाई करने की बजाय जीआरपी लीपापोती करने में जुटी रही। सूत्रों का कहना है कि आरपीएफ ने तस्करी के इनपुट पर ही सभी को ट्रेन से उतारा गया, लेकिन आठ घंटे में कोई जानकारी भी नहीं जुटा सकी। इतना ही नहीं, नाबालिगों को कहां से कहां और क्यों ले जाया जा रहा था, इस बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं बता पाई। हालांकि एसपी जीआरपी ने मुकदमा दर्ज करने की बात कही है।