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पुरानी पेंशन योजना पर सुप्रीम कोर्ट ने इंप्लीमेंट पर जताई नाराजगी


संसद में आज इस बात पर नाराज़गी व्यक्त की गई कि सरकार वर्ष 1995 की पुरानी पेंशन योजना के संबंध सुप्रीम कोर्ट के चार नवंबर 2022 के ऐतिहासिक फैसले के क्रियान्वयन के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है। सोशलिस्ट रेवोल्यूशनरी पार्टी (आरएसपी) के सदस्य एन के प्रेमचंद्रन ने लोकसभा में शून्यकाल में यह मुद्दा उठाया और कहा कि 1995 की पुरानी पेंशन योजना को लेकर चार नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट का एक ऐतिहासिक फैसला आया है।

प्रेमचंद्रन ने कहा कि केरल उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ कर्मचारी भविष्यनिधि संगठन (ईपीएफओ) ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। जब सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले को बरकरार रखा तो ईपीएफओ ने उसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की जिस पर एक विस्तृत फैसला आया है। इस फैसले में ने कर्मचारियों वास्तविक वेतन के आधार पर पुरानी पेंशन योजना का विकल्प नहीं चुना था, उन्हें पुन: इसे चुनने का विकल्प दिया गया है और फैसले के चार माह की सीमा तय की गयी है। लेकिन ईपीएफओ ने अभी तक इस बारे में कोई कदम नहीं उठाया है।

प्रेमचंद्रन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रियान्वयन को लेकर यह उदासीनता चिंताजनक है। सरकार को इसका तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निशिकांत दुबे ने झारखंड में पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे इलाकों में बंगलादेशी मुसलमानों की आबादी में तेजी से इजाफा होने और आदिवासी युवतियों को ऐसे घुसपैठियों द्वारा बरगला कर शादी करने के मुद्दे पर चिंता जतायी और इसे रोकने के लिए समुचित कदम उठाने की मांग की।