पुणे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने आइएनडीआइए गठबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आइएनडीआइए गुट (I.N.D.I.A तदम) सीटों को लेकर सावधानी बरतेगा, ताकि राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में गठबंधन सहयोगियों के बीच कोई विवाद न हो।
इन राज्यों में इस साल होंगे विधानसभा चुनाव
गौरतलब है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके अलावा, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में भी इसी साल के अंत में चुनाव होंगे।
मराठा आरक्षण समेत कई मुद्दों पर पवार ने की बातचीत
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पुणे जिले के बारामती में पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने मराठा आरक्षण और प्याज पर निर्यात शुल्क जैसे कई अन्य मुद्दों पर भी अपनी राय रखी।
(फाइल फोटो)
बंगाल में टीएमसी के साथ टकराव पर क्या बोले एनसीपी सुप्रीमो?
पश्चिम बंगाल में टीएमसी के साथ टकराव को लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए एनसीपी सुप्रीमो ने कहा कि कांग्रेस ने कुछ सीटों पर दावा किया है। हालांकि, अभी वहां कोई चुनाव नहीं है। पवार ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि चुनाव नजदीक आते ही आइएनडीआइए गठबंधन के सहयोगियों के बीच मतभेद हो सकता है। हालांकि, हम इस मुद्दे को भी सुलझा लेंगे।
‘कांग्रेस और अन्य पार्टियों के साथ करूंगा चर्चा’
एनसीपी प्रमुख ने कहा कि मैं मुंबई लौटने के बाद कांग्रेस और अन्य पार्टी नेताओं के साथ चर्चा करूंगा। हम यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानी बरतेंगे कि चुनावी राज्यों में गठबंधन के सहयोगियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर कोई विवाद न हो। यह प्रक्रिया आठ से दस दिनों में शुरू होगी।
मराठा आरक्षण पर क्या बोले शरद पवार?
मराठा आरक्षण के बारे में पूछे जाने पर शरद पवार ने कहा कि राज्य की शिंदे सरकार ने वादा किया है कि वह इस मुद्दे को हल करेगी। देखते हैं कि सरकार आने वाले दिनों क्या निर्णय लेती है। वहीं, प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में एनसीपी सुप्रीमो ने कहा कि यह किसानों के साथ अन्याय है। हम मांग करते हैं कि इस निर्यात शुल्क को वापस लिया जाए।
‘केंद्रीय मंत्री की बैठक से निकलेगा सकरात्मक नतीजा’
पवार ने कहा कि इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने दिल्ली में बैठक बुलाई है। उम्मीद है कि उस बैठक में कुछ सकारात्मक नतीजा निकलेगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो किसानों के बीच बेचैनी बढ़ेगी, जिसे नियंत्रित नहीं किया जा सकेगा।