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‘नेहरू नहीं पटेल की नीति पर चलेगी मोदी सरकार’, चीन को लेकर जयशंकर ने दिया सख्त संदेश


 नई  दिल्ली।  सीमा विवाद की वजह से पिछले कुछ सालों से भारत और चीन के रिश्ते में खटास पैदा हो गई है। पिछले कुछ सालों में लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में दोनों देशों के सैनिक कई बार आमने-सामने आ चुके हैं।

वहीं, हिंद महासागर में चीन अपनी विस्तारवादी नीति पर काम कर रहा है। हालांकि, मोदी सरकार द्वारा लगातार ‘ड्रैगन’ को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-चीन के रिश्तों पर विस्तार से चर्चा की।

चीन को लेकर पटेल और नेहरू की सोच थी अलग: विदेश मंत्री

एस जयशंकर ने कहा,“शुरुआत से ही जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल के बीच चीन को कैसे जवाब दिया जाए इस मुद्दे पर तीव्र मतभेद रहा है। मोदी सरकार चीन से निपटने में सरदार पटेल द्वारा शुरू की गई यथार्थवाद की नीति के अनुरूप काम कर रही है। हमने ऐसे रिश्ते बनाने की कोशिश की है जो आपसी संबंधों पर आधारित हों। जब तक उस पारस्परिकता को मान्यता नहीं दी जाती, इस रिश्ते का आगे बढ़ना मुश्किल होगा।”

चीन के प्रति नेहरू के दृष्टिकोण पर विदेश मंत्री ने उठाए सवाल

भारत के पहले गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल और पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के दृष्टिकोण में अंतर बताते हुए जयशंकर ने दोनों दिग्गजों के बीच मतभेद पर जोर डालते हुए कहा,” संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सीट को लेकर यह मेरा मामला नहीं है कि हमें अनिवार्य रूप से सीट लेनी चाहिए थी, यह एक अलग बहस है, लेकिन यह कहना कि हमें सीट को हासिल करने का मौका पहले चीन को जाने देना चाहिए। चीन का हित पहले आना चाहिए, यह एक बहुत ही अजीब बयान है।”

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आगे कहा,”ताली बजाने के लिए दो हाथों की जरूरत होती है। मैं इस मुद्दे को इस तरह से प्रस्तुत करता हूं कि यदि आप हमारी विदेश नीति के पिछले 75 से अधिक वर्षों को देखें, तो उनमें चीन के बारे में यथार्थवाद कम और आदर्शवाद,  गैर-यथार्थवाद दिखा।”

चीन के साथ माइंड गेम खेलने को लेकर जयशंकर ने क्या कहा?

जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-चीन संबंधों का विकास सम्मान, संवेदनशीलता और हित के तीन पारस्परिक तत्वों द्वारा निर्देशित होता है। चीन के साथ माइंड गेम खेलने के बारे में विदेश मंत्री ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि हम हमेशा हारे हैं, लेकिन पहले ऐसी कई घटनाएं हुईं, जिन्हें आज समझना बहुत मुश्किल है। पंचशील समझौता इसका उदाहरण है।

विदेश मंत्री ने आगे कहा,”हम सदियों पुरानी सभ्यताएं हैं और जब हम एक दूसरे से रिश्ते आगे बढ़ाएं तो इस बात का भी ख्याल रखा जाना चाहिए।”