बेंगलुरु। भारत और फ्रांस अपने तीसरे संयुक्त सैटेलाइट मिशन पर काम कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय अंतरिक्ष सहयोग भी काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसमें ह्यूमन स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम शामिल है। इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने इसकी जानकारी दी है। अंतरिक्ष विभाग के सचिव सिवन ने कहा कि कई फ्रांसीसी कंपनियां हाल ही में सरकार द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र में किए गए सुधारों से उत्पन्न अवसरों का लाभ उठाना चाह रहे हैं। फ्रांस अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा भागीदार है। उन्होंने डीएसटी (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग) के एक इवेंट के दौरान में कही। शुक्रवार को नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन और ‘विज्ञान प्रसार’ द्वारा वर्चुअल मोड पर एक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
इसरो के अधिकारियों के अनुसार, इसरो और फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी द स्पेस सेंटर फॉर स्पेस स्टडीज़ ( CNES) ने दो संयुक्त मिशन मेघा-ट्रॉपिक्स और सरल-अल्टिका शुरू किए हैं। मेघा-ट्रॉपिक्स साल 2011 और सरल-अल्टिका 2013 में शुरू हुआ था। सिवन ने कहा कि वर्तमान में, हम तीसरे मिशन के लिए काम कर रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि इसरो और सीएनइएस ने थर्मल इंफ्रारेड इमेजर हाई रेजोल्यूशन नैचुरल रिसोर्स असेसमेंट के लिए थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग सैटेलाइट (TRISHNA) के साथ पृथ्वी अवलोकन उपग्रह मिशन को साकार करने के लिए अध्ययन पूरा कर लिया है। अब संयुक्त विकास के लिए व्यवस्था को अंतिम रूप देने की दिशा में काम कर रहे हैं।
भारत-फ्रांसीसी अंतरिक्ष सहयोग और बढ़ने की उम्मीद
सिवन ने कहा कि भारत अंतरिक्ष अभियानों में वैज्ञानिक उपकरणों के संयुक्त प्रयोग पर भी फ्रांस के साथ मिलकर काम कर रहा है। स्पेस एक्सपलोरेशन और ह्यूमन स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम सहित कई डोमेन में इंडो-फ्रेंच अंतरिक्ष सहयोग का विस्तार हो रहा है। सिवन ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में सरकार द्वारा हाल ही में किए गए सुधारों के कारण भारत-फ्रांसीसी अंतरिक्ष सहयोग और बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि फ्रांस की कई कंपनियां इसका फायदा उठाना चाहती हैं।