पिछले हफ्ते इस जहाज के फंसने के बाद दुनिया के तमाम बड़े इंजीनियर्स की चिंता बढ़ गई थी. दरअसल जहाज के फंसने बाद इसे बाहर निकालने की कोशिशें लगातार की जा रही थीं. लेकिन कामयाबी नहीं मिल रही थी. ये जहाज बड़े पत्थर के बीच फंस गया था. कहा जा रहा है कि करीब 950000 क्यूबिक फिट रेत ने इसे 60 फीट पानी के अंदर धकेल दिया था. ऐसे में इंजीनियर्स को जब क्रेन और टगबोट से इसे बाहर निकालने में कामयाबी नहीं मिली तो इन सबने पूर्णिमा की रात का इंतज़ार करना शुरू कर दिया.
सुपरमून से कैसे निकला जहाज?
पृथ्वी का चक्कर लगाने के दौरान एक वक्त ऐसा आता है, जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है. पृथ्वी से ज्यादा नजदीक होने की वजह से चंद्रमा इस दौरान बहुत बड़ा और चमकीला दिखाई देता है. इसी को सुपरमून कहते हैं. इस दौरान गुरुत्वाकर्षण के चलते पानी में हाई टाइड बढ़ जाती है. जिसके चलते पानी का स्तर एक से डेढ़ फीट बढ़ जाता है. इसे स्प्रिंग टाइड भी कहते हैं. ऐसा महीने में दो बार होता है. कुछ ऐसा ही स्वेज कैनाल में भी हुआ. पानी का लेवल बढ़ने से ये जहाज़ ऊपर की तरफ अपने आप आने लगा. लिहाजा इंजीनियर्स को इसे खींचने में मदद मिल गई.–