नयी दिल्ली। व्यापारिक संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है कि किसान आंदोलन के कारण दिल्ली और आसपास का लगभग 5000 करोड़ का व्यापार प्रभावित हुआ है। साथ ही कैट ने आंदोलनकारी किसानों और सरकार से आग्रह किया है कि शीघ्र ही इसका समाधान निकाला जाय। आज यहां कैट ने दिल्ली और इसके आसपास चल रहे किसान आंदोलन एवं उसके कारण अर्थव्यवस्था के विभिन्न वर्गों को होने वाली संभावित असुविधाओं के मद्देनजर किसान कानूनों से संबंध रखने वाले विभिन्न वर्गों के प्रमुख संगठनों का एक सम्मेलन आयोजित किया। सम्मेलन में शामिल सभी लोगों ने सर्वसम्मति से आंदोलनकारी नेताओं से आग्रह किया कि वेे सरकार से चल रही बातचीत के जरिये अपने मुद्दों को सलुझायें, वहीं सरकार से भी खुले विचारों से किसान वर्ग की बातों को सुनाने और बातचीत के द्वारा उनकी वाजिब मांगों को स्वीकार करते हुए शीघ्र ही इसका हल निकालने का अनुरोध किया। सम्मेलन में नेताओं कहा कि वो किसानों की वाजिब मांगों से सहानुभूति रखते हैं, क्योंकि आजादी के बाद अब तक देश में किसान घाटे की खेती करता आया है और निश्चित रूप से किसान की घाटे की खेती को लाभ की खेती में परिवर्तित करना बेहद आवश्यक हो गया है, जिससे देश के आम किसान को खेती करने के लिए ही प्रोत्साहित किया जा सके।
साथ ही नेताओं ने कहा कि कृषि कानूनों को केवल किसानों से ही संबंधित कहना बिलकुल गलत है। इन कानूनों से केवल किसान ही नहीं, बल्कि उपभोक्ता सहित कृषि खाद्यान्नों का व्यापार करने वाले व्यापारी खाद्य प्रसंस्करण में लगे उद्योग एवं व्यापार, बीज एवं कीटनाशक बनाने वाली उद्योग, खाद एवं अन्य उपजाऊ उत्पाद बनाने वाले लोग, थोक एवं खुदरा विक्रेता, आढ़ती एवं कृषि से संबंधित बड़े उद्योग सहित अनेक वर्गों के लोग प्रभावित होंगे। सम्मेलन में कहा गया कि किसान आंदोलन से उपजी वर्तमान स्तिथि और आंदोलन का आर्थिक गतिविधियों पर संभावित प्रभाव को देखते हुए जल्द ही किसान नेताओं एवं अन्य कृषि से सम्बंधित सभी वर्गों की एक बैठक बुलाई जाये और किसान की घाटे की खेती को लाभ की खेती में परिवर्तित करने के लिए आपसी समन्वय के आधार पर कोई फार्मूला निकाला जाये। साथ ही सभी वर्गों के प्रमुख नेताओं की एक कमेटी का गठन किया गया, जिसका संयोजक वरिष्ठ किसान नेता नरेश सिरोही को बनाया गया। कमेटी आंदोलन कर रहे किसान नेताओं से बातचीत कर शीघ्र ही एक बैठक आयोजित करेगी। सम्मेलन में कहा गया की देश के सभी लोग किसानों के आंदोलन करने के लोकतांत्रिक अधिंकार का सम्मान करते हैं। लेकिन दिल्ली न तो कृषि राज्य है और न ही औद्योगिक राज्य, बल्कि दिल्ली देश का सबसे बड़ा व्यापारिक वितरण केंद्र है, जहां देश के विभिन्न राज्यों से माल आता है। एक अनुमान के मुताबिक किसान आंदोलन से दिल्ली आने वाले माल का लगभग 30 से 40 प्रतिशत आवाजाही प्रभावित हुई है, जिसका विपरीत असर दिल्ली और पडोसी राज्यों के व्यापार पर पड़ रहा है। पिछले 20 दिनों में दिल्ली और आसपास के राज्यों में लगभग 5000 हजार करोड़ रुपये का व्यापार प्रभावित हुआ है। नेताओं ने आशंका जाहिर की की यदि ऐसा ही चलता रहा तो निकट भविष्य में दिल्ली के व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों एवं अन्य वर्ग के लोगों को व्यापार का बड़ा नुकसान होगा और कोरोना के कारण पहले से ही व्यापार एवं अन्य गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित थी और दिवाली से जैसे तैसे व्यापार पटरी पर आना शुरू हुआ था, लेकिन अब किसान आंदोलन के कारण एक बार फिर व्यापार बुरी तरह प्रभावित होने की बड़ी संभावना है।