राष्ट्रीय

भारतकी स्वदेशी कोवैक्सीनको मंजूरी देने पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?


कोरोना वायरस की दो वैक्सीन को भारत में मंजूरी मिल चुकी है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित कोविशील्ड वैक्सीन के बाद भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को भी इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है. हालांकि, मंजूरी मिलने के साथ ही को वैक्सीन विवादों के घेरे में आ गई है. दरअसल, को वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल का डेटा अब तक जारी नहीं किया गया है. ऐसे में सवाल किए जा रहे हैं कि आखिर डेटा सामने आने से पहले ही वैक्सीन को मंजूरी क्यों दे दी गई। कोवैक्सीन को सरकारी संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर बनाया गया है. इसके साथ ही भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया है जिन्होंने कोरोना वायरस की वैक्सीन खुद बनाई है। भारत बायोटेक ने अमेरिकी बाजार के लिए ड्रग डेवलपर ओकेजन इंक ब्राजील ने भी ये वैक्सीन खरीदने के लिए कुछ समझौते किए हैं। कंपनी का कहना है कि 10 से अधिक देशों से कोवैक्सीन के बारे में बातचीत की जा रही है. भारत बायोटेक के अध्यक्ष कृष्णा एल्ला ने रॉयटर्स न्यूज एजेंसी को दिए एक बयान में कहा, हमारा लक्ष्य पूरी दुनिया की आबादी के लिए इसे उपलब्ध कराना है, जिसे वैक्सीन की बहुत जरूरत है. उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स बनाती है और ये सुरक्षित भी है। कृष्णा एल्ला का कहना है कि कोवैक्सीन मेमोरी टी सेल पर भी अच्छा काम करती है. इससे शरीर में एंटीबॉडी लंबे समय तक रहेगी जो भविष्य के अन्य इंफेक्शन से भी बचाव करेगी. दो डोज के साथ कोवैक्सीन की क्षमता 60 फीसदी से भी अधिक बताई जा रही है। कोवैक्सीन के पहले और दूसरे चरण का ट्रायल 800 वॉलंटियर्स पर किया गया था. भारत बायोटेक ने कहा कि उसने तीसरे चरण के ट्रायल के लिए 23,000 वॉलंटियर्स की भर्ती की थी. ये ट्रायल नवंबर 2020 में शुरू किया गया था जिसका डेटा अब तक जारी नहीं किया गया है. उस समय इसे 2021 के फरवरी या मार्च में मंजूरी दिए जाने की संभावना जताई जा रही थी लेकिन समय से काफी पहले 3 जनवरी को ही इसे इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है. कंपनी और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन की तरफ से वैक्सीन की प्रभावकारिता पर किसी तरह के परिणाम जारी नहीं किए गए हैं. इससे पहले चीन ने भी अपनी एक वैक्सीन का विस्तृत प्रभावकारी डेटा प्रकाशित नहीं किया था. हालांकि, उसने अंतरिम डेटा साझा किया था. बिना डेटा के मंजूरी मिलने पर कोवैक्सीन की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। ट्रांसपैरेंसी एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने ट्वीट किया, किस आधार पर कोवैक्सीन को मंजूरी दी गई है जबकि भारत बायोटेक ने सुरक्षा और प्रभावी होने को लेकर पर्याप्त डेटा जारी नहीं किया है. एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने सूचना के अधिकार कानून के तहत एक याचिका दायर की है जिसमें सरकार से कौवैक्सीन और कोविशील्ड की सुरक्षा और अन्य डेटा की जानकारी मांगी गई है. सीरम इंस्टीट्यूट के अदार पूनावाला ने भी बिना ट्रायल के नतीजे जाने बिना कोवैक्सीन को मंजूरी दिए जाने पर सवाल उठाए हैं>। विपक्ष ने भी कोवैक्सीन को मंजूरी देने में पारदर्शिता की कमी पर सवाल उठाया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी इसे लेकर सवाल खड़े किए. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, वैक्सीन को मंजूरी देना अपरिपक्व फैसला है और ये खतरनाक साबित हो सकता है. जब तक ट्रायल पूरा ना हो जाए, इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए. तब तक भारत एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से शुरुआत कर सकता है। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने वैक्सीन को लेकर विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाया है. उन्होंने लोगों से वैक्सीन पर भरोसा करने का आग्रह करते हुए कहा है कि इन दोनों वैक्सीन को मंजूरी देने से पहले कड़े प्रोटोकॉल का पालन किया है।