नयी दिल्ली (आससे)। केंद्र सरकार ने देश भर में मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रबंधन के लिए परामर्श को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति की 60वीं बैठक में देश में मानव और वन्यजीव संघर्ष के प्रबंधन हेतु परामर्श को यह मंजूरी दी गयी है। परामर्श में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए ऐसे विशेष उपाय सुझाए गए हैं, जिनसे मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की घटनायें कम होंगी और विभागों के बीच समन्वय तथा प्रभावी कार्रवाई में तेजी आयेगी। परामर्श में वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 के खण्ड 11 (1) (बी) के अनुसार, संकटग्रस्त वन्य जीवों से निपटने में ग्राम पंचायतों को मजबूत बनाने की परिकल्पना की गई है। मानव और वन्यजीव संघर्ष के कारण फसलों के नुकसान के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत क्षतिपूर्ति और वन्य क्षेत्रों के भीतर चारे और पानी के स्रोतों को बढ़ाना जैसे कुछ महत्वपूर्ण कदम शामिल हैं। इसमें यह भी सुझाव दिया गया है कि संघर्ष की स्थिति में पीडि़त परिवार को अंतरिम राहत के रूप में अनुग्रह राशि के एक हिस्से का भुगतान 24 घंटे की भीतर किया जाये। परामर्श में स्थानीय व राज्य स्तर पर अंतर-विभागीय समितियों को निर्धारित करने, पूर्व चेतावनी प्रणालियों को अपनाने, अवरोधों के निर्माण, 24 घंटे 7 दिनों के आधार पर संचालित होने वाले नि:शुल्क हॉटलाइन नंबरों के साथ समर्पित क्षेत्रीय नियंत्रण कक्ष,हॉटस्पॉट की पहचान और उन्नत स्टाल-फेड फार्म पशु आदि के लिए विशेष योजनाओं को बनाने और उनके कार्यान्वयन को अपनाने की अवधारणा भी की गई हैं। बैठक के दौरान निर्णय लिया गया कि उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के गांवों माधरवा, ठाकुरपुर, जमधरा और सुगांव में जल आपूर्ति और सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से एक पुल और नहर का निर्माण और ठाणे जिले में नवी मुंबई के वाशी इलाके में एकीकृत बस टर्मिनल और वाणिज्यिक परिसर का निर्माण शामिल है। पुनर्विकास की इस सुविधा से 17 बस अड्डों के लिए मार्ग प्रशस्त होगा और लगभग 3,300 बस ट्रिप संचालित किए जाएगें, जिससे मुंबई और आसपास के लोगों को परिवहन की दिशा में बहुत लाभ मिलेगा। बैठक के दौरान हुई कुछ अन्य महत्वपूर्ण स्वीकृतियों में राजस्थान और गुजरात के कुछ क्षेत्रों में पाई जाने वाली एक मध्यम आकार की जंगली बिल्ली कैराकल को केंद्र प्रायोजित योजना वन्यजीव निवास स्थलों का विकास के तहत वित्तीय सहायता के साथ संरक्षण के प्रयासों के अंतर्गत लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची में जोडऩा भी शामिल है। अब, महत्वपूर्ण रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों की पुन: वृद्धि के कार्यक्रम के तहत 22 वन्यजीव प्रजातियां हैं।बैठक के दौरान, स्थायी समिति ने कुछ राहत उपायों के साथ तेलंगाना के मुलुगु जिले में जम्पन्नवगू के मुथापुर और जम्पन्नवगु के बीच मोतलगुडेम के बीच सेतु के निर्माण की भी सिफारिश की। इसने भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून द्वारा दी गई सलाह के अनुरूप कुछ राहत उपायों के साथ दक्षिण पश्चिम रेलवे, कर्नाटक के टीनाघाट-कैस्टलरॉक-कैरनजोल रेलवे लाईन के दोहरीकरण के प्रस्ताव की भी सिफारिश की। राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल) का गठन केंद्र सरकार द्वारा वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 (डब्ल्यूएलपीए) की धारा 5ए के तहत किया है। एनबीडब्ल्यूएल की स्थायी समिति कई स्तरों पर जांच के बाद प्रस्तावों पर विचार करती है और इसमें राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन, राज्य सरकार और राज्य वन्यजीव बोर्ड की सिफारिशें शामिल होती हैं।
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