निरंकार सिंह
दुनियामें आमूलचूल बदलाव लानेवाली विपत्तिके रूपमें प्रकट हुआ कोरोनाका असर आगे भी रहेगा। हालांकि वैक्सीनके आनेसे कुछ राहत जरूर मिलेगी लेकिन हम सबको अभी मुंह बांधनेसे छुटकारा नहीं मिलेगा। अच्छी बात यह है कि भारतने भी चुनौतियोंको अवसरमें बदलनेकी कला सीख ली है एक सालके भीतर कोरोनाकी दो वैक्सीन विकसित करना कोई मामूली बात नहीं है। लेकिन चिंताकी बात यह है कि जिस वैक्सीनकी डब्ल्यूएचओने भी तारीफ की है और दुनियाके कई देश वैक्सीन पानेकी कतारमें खड़े हैं, उसपर हमारे ही देशके कुछ नेता सवाल खड़े कर रहे हैं। यह राष्ट्रीय हितोंपर चोट है। कुछ ही दिन पहले देशमें ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया (डीसीजीआइ) ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रक संघटन (सीडीसीओ) की विषय विशेषज्ञ समिति द्वारा की गयी सिफारिशोंको स्वीकार करनेका फैसला किया है। इसके साथ ही देशमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेककी वैक्सीनके आपातकालीन इस्तेमालकी मंजूरी दे दी है। वैक्सीनकी खरीद सरकार करेगी। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कोविशील्डका उत्पादन करनेमें जुटी है। एजेडडी १२२२ वैक्सीन जिसका भारतीय वर्जन कोविशील्ड है। इसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी स्ट्राजेनेकाने विकसित किया है। इसकी करीब आठ करोड़ खुराक अभी भंडारमें हैं। दूसरी वैक्सीन जिसे इमरजेंसी इस्तेमालकी मंजूरी दी गयी है, वह कोवैक्सीन है। इसे हैदराबाद स्थित भारत बायोटेकने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के साथ मिलकर तैयार किया है। वैक्सीनको मंजूरी मिलनेके बाद देशमें इसपर सियासत भी शुरू हो गयी है।
कांग्रेस नेता शशि थरूर और अखिलेश यादव समेत कई अन्य नेताओंने वैक्सीनपर सवाल खड़े किये हैं। मजेदार बात यह है कि कुछ दिन पहले ही राहुल गांधीने प्रधान मंत्री मोदीसे सवाल किया था कि ब्रिटेन और अमेरिकामें कोरोनाकी वैक्सीन आ गयी है, भारतमें कब वैक्सीन आयेगी? अब जब वैक्सीन आ गयी है तो उनके नेता जो कह रहे हैं, उसे भारतीय राजनीतिके पतनकी पराकाष्ठाके सिवाय कुछ नहीं है। बाकायदा भारत सरकारके ड्रग कंट्रोलरने वैक्सीनोंको मंजूरी दी है। इसपर किसी प्रकारकी टीका-टिप्पणी करना वैज्ञानिकों अपमान करना होगा। इसकी जितनी भी निंदा की जाय, कम ही होगी। इसपर केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री डा. हर्ष वर्धनने कहा कि कोरोना वैक्सीन जैसे एक महत्वपूर्ण मुद्देका राजनीतिकरण करना बेहद अपमानजनक है। शशि थरूर, अखिलेश यादव और जयराम रमेशने कोरोना वैक्सीनको मंजूरी देनेके लिए विज्ञान समर्थित प्रोटोकॉल को खंडन करनेकी कोशिश की है जो कि अच्छी बात नहीं है।
यह मानव जातिकी सुरक्षाके लिए भारतीय चिकित्सा वैाज्ञानिकोंकी बहुत बड़ी कामयाबी है। यह दुनियाभरके विज्ञानियोंके आपसी सहयोगसे संभव हो सका है। भले ही कुछ देशोंने कोरोनाका टीका थोड़ा पहले बना लिया लेकिन इस वैश्विक महामारीसे मुकाबला करनेमें दीर्घकालिक रूपसे भारतीय टीका ही दुनियाके कई देशोंके लिए कारगर साबित होगा। नयी दिल्लीके एम्स निदेशक डा. रणदीप गुलेरियाके अनुसार जनवरीमें जब पूरी दुनियाके सामने खतरनाक कोरोना वायरसके संक्रमणकी बात सामने आयी तो चीनने वायरसके जेनेटिक कोडकी जानकारी उपलब्ध करायी। दुनियाके विज्ञानी एकत्र हुए और शुरुआतसे ही टीकेके विकासपर काम शुरू हो गया था। कोरोनासे पहले भी सार्स एवं मर्स कोरोना वायरसकी महामारी चीन सहित कुछ देशोंमें आती रही है। इस वजहसे उन कोरोना वायरससे बचावके लिए वैक्सीन प्लेटफार्म बनानेपर काम चल रहा था। फाइजर एवं मॉडर्ना द्वारा तैयार कोरोनाका सबसे पहले जो टीका आया है वह मैसेंजर आरएनए तकनीकपर आधारित है। वैज्ञानिक इस तकनीकपर पहलेसे काम कर रहे थे। इस वजहसे जब यह महामारी आयी तो मैसेंजर आरएनए तकनीकसे जल्द टीका बनानेमें कामयाब हुए। वहीं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, भारतीय कंपनियों एवं कई अन्य देशोंने पुरानी तकनीकसे कम समयमें टीका बनानेमें कामयाबी हासिल की।
प्रधान मंत्रीने कोरोना महामारी कालके दौरान चिकित्सा-स्वास्थ्यको लेकर जागरूकता रिसर्च एवं न्यूटिशनल वैल्यूको जितना बढ़ावा दिया उसका महामारी प्रबंधनके अलावा हमारी देशको संक्रमणसे बचानेमें बहुत बड़ा योगदान है। दरअसल हमने विगत दस माहमें स्वास्थ्य एवं शोध संबंधी जितनी तरक्की की, सामान्य परिस्थितियोंमें इतना आनेवाले कई सालोंमें न सीख पाते और न सोच पाते। टीकेके विकासमें सालों लग जाते हैं। परन्तु सरकार एवं कंपनियोंने काफी निवेश भी किया। प्रधान मत्री नरेंद्र मोदीने प्रधानमंत्री केयर फंडसे तुरन्त सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियाको सहायता मुहैया करायी। वरना सामान्य प्रक्रियाके तहत तो सालोंका समय फंड जारी करनेमें लग जाता। अच्छी बात यह है कि टीके ट्रायलमें कामयाब रहे। कोविशील्ड और कोवैक्सीनके उपलब्ध होनेमें कुछ दिन या सप्ताह लग सकते हैं। सामूहिक टीकाकरण कार्यक्रम तहत अमेरिका और ब्रिटेनमें वैक्सीनकी पहली खुराक दी जा चुकी है। भारतमें भी प्रक्रिया बहुत तेज है। भारतमें टीकाकरणके लिए पूरा चेन सिस्टम बना हुआ है। पोलियोसे लेकर अन्य टीकाकरण जिस तरह देशके कोने-कोनेतक होते हैं, यहां भी यह अपनाया जा सकता है। सबसे पहले तीन करोड़ लोगोंको लगायी जायगी। वैक्सीनके बारे सरकार पूर्वमें ही यह घोषणा कर चुकी है कि सबसे पहले कोरोनाके खिलाफ लड़ाई रहे तीन करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्सको वैक्सीन लगायी जायगी, जिनमें एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं। स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धनने कहा है कि उन्हें मुफ्तमें वैक्सीन लगायी जायगी। पहले चरणमें वैक्सीन प्राप्तकर्ता एक तीसरा प्राथमिकता समूह भी होगा, जिसमें २७ करोड़ लोग हैं। वह लोग ५० सालसे अधिक आयु या सह रुग्णताओंके साथ ५० सालसे कम आयुके होंगे। ट्वीटमें उन्होंने कहा था कि २७ करोड़ प्राथमिकतावाले समूहका टीकाकरण जुलाईतक किया जाना है। देशके अन्य लोगोंका क्या होगा सरकारका लक्ष्य टीकाकरणका पहला चरण अगस्त २०२१ तक पूरा करना है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने कोरोनाके इलाजके लिए दोनों वैक्सीनोंके इस्तेमालकी मंजूरी दी है। यह वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन है। इन दोनों वैक्सीनके लिए कोविन ऐपपर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य होगा। केंद्र सरकारकी तरफसे कोविन ऐपको लांच किया जायगा। यह ऐप गूगल प्ले स्टोरपर फ्रीमें उपलब्ध रहेगा। इस ऐपपर सभी नागरिकोंको कोरोना वैक्सीनके लिए सेल्फ रजिस्ट्रेशन करना होगा। कोविनका पूरा नाम कोविड-19 वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क है। यह (इलेक्ट्रॉनिक्स वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क) का अपग्रेडेड वर्जन है। इसे गूगल प्लेसे इंस्टॉल किया जा सकेगा। कोरोना वैक्सीनकी ट्रैकिंग और रजिस्ट्रेशनके लिए कोविन ऐपको पांच हिस्सोंमें डिवाइड किया गया है, जो एडमिनिस्ट्रेटर, रजिस्ट्रेशन, वैक्सीनेशन, बेनिफिशियरी, एक्नॉलेजमेंट और रिपोर्ट हैं। यूजर रजिस्ट्रेशन डेटाके ऐपपर उपलब्ध होनेके बाद यूजर्सको जानकारी दी जायगी कि वह किस लोकल अथॉरिटीमें कोरोना वैक्सीन लगवा सकते हैं। वैक्सीनके लिए यूजरको सबसे पहले ऐपपर रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसके बाद वेरिफिकेशन और एक्नॉलेजमेंटको ई-सर्टिफिकेशनके लिए भेजा जायगा। कोरोना वैक्सीनेशन तीन चरणोंमें होगा। सबसे पहले फ्रंटलाइन वर्करका वैक्सीनेशन होगा। इसमें हेल्थ केयरसे जुड़े लोग शामिल होंगे। दूसरे चरणमें इमरजेंसी वर्करका वैक्सीनेशन होगा। तीसरे चरणमें उन लोगोंको वैक्सीनेशन होगा, जो पहलेसे किसी बीमारीसे ग्रस्त हैं। एक व्यक्तिके वैक्सीनेशनमें करीब ३० मिनटका वक्त लगेगा। हर सेशनमें सौ लोगोंका वैक्सीनेशन होगा।