सम्पादकीय

टीकाकरणका पूर्वाभ्यास


वैश्विक महामारी कोरोनाके खिलाफ मजबूत लड़ाईमें भारत दुनियाके अग्रणी राष्ट्रोंमें शामिल हो गया है। कोरोनाके लिए टीका विकसित करनेके बाद अब भारतमें टीकाकरणका महा अभियान शुरू होने जा रहा है। यह विश्वका एक बड़ा अभियान होगा। इसके लिए सभी स्तरोंपर आवश्यक तैयारियां हो चुकी हैं। कई क्षेत्रोंमें ‘ड्राई रन’ पूरा होनेके बाद शुक्रवारको देशके ७३६ जिलोंमें पूर्वाभ्यास किया गया जिससे कि टीकाकरणके अभियानमें आनेवाली दिक्कतोंका सही समयपर निराकरण किया जा सके। सभी जिलोंमें तीन अलग-अलग स्थानोंपर पूर्वाभ्यास किये गये। केन्द्रीय स्वास्थ्यमंत्री डाक्टर हर्षवर्धनने चेन्नईमें जाकर पूर्वाभ्यासका जायजा लिया और उन्होंने इसपर संतोष भी व्यक्त किया। बड़ी आबादीवाले भारतमें ऐसे महा अभियानका सफलतापूर्वक संचालन भी बड़ी चुनौती है। इस अभियानमें जिला स्तरके अधिकारियोंके साथ ही चिकित्सा विभागसे जुड़े अधिकारियों और स्वास्थ्यकर्मियोंने हिस्सेदारी की। पूर्वाभ्यासमें कुछ स्थानोंपर खामियां पायी गयीं और उनके निराकरणके लिए आवश्यक कदम भी उठाये गये। पूर्वाभ्यासपर देशव्यापी निगरानीकी भी व्यवस्था की गयी थी। सभी राज्य सरकारें इसमें सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। स्वास्थ्यमंत्री हर्षवर्धनने आश्वस्त किया है कि सभी राज्योंको टीकेकी पहली खेप शीघ्र ही मिलेगी। इसे प्राप्त करने और उससे सम्बन्धित आवश्यक दिशा-निर्देशोंके अनुपालनके लिए राज्य सरकारें तैयार रहें। १९ राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशोंके केन्द्रोंपर सीधे टीकेकी आपूर्ति की जायगी। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ भी शामिल हैं। शेष १८ राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशोंको टीका उनके सम्बन्धित सरकारी चिकित्सा भण्डारण डिपोसे आपूर्ति की जायगी। एक बड़ा प्रश्न टीकेसे सम्बन्धित भ्रामक खबरोंका भी है कि जिससे निबटनेकी केन्द्र सरकारने पूरी तैयारी कर ली है। वैज्ञानिकों और टीका विकसित करनेवाली कम्पनियोंने टीकेको पूरी तरहसे सुरक्षित और प्रभावशाली बताया है, जबकि कुछ राजनीतिक दल इसके बारेमें लोगोंको गुमराह करनेका काम कर रहे हैं। जनताको इससे पूरी तरह सतर्क रहनेकी जरूरत है। यह सत्य है कि टीका लगानेके बाद ज्वर या दर्द आदिकी शिकायतें मिल सकती हैं जैसा कि प्राय: सभी टीकोंके साथ होता है किन्तु इससे घबरानेकी आवश्यकता नहीं है। चिकित्सकोंने इसके लिए भी आवश्यक दवाओं आदिकी व्यवस्था कर ली है। वैसे टीकाकरणका यह अभियान विभिन्न चरणोंमें अलग-अलग समूहोंके लिए शुरू होगा और यह कई महीनोंतक चलेगा। इसके लिए सूचनाएं दी जायंगी। टीकाकरणके महाअभियानको सफल बनानेमें सुरक्षाबलके जवान भी इसमें शामिल होंगे। जनताको भी इसमें पूरा सहयोग करनेकी जरूरत है।
पेट्रोल-डीजलके दामोंमें वृद्धि
अन्तरराष्ट्रीय बाजारमें कच्चे तेलकी कीमतमें उछालसे पेट्रोल और डीजलकी खुदरा कीमतोंमें वृद्धिका सिलसिला एक बार पुन: शुरू हो गया है। यह आम आदमीके साथ सरकारकी मुश्किलोंको भी बढ़ानेवाला है, क्योंकि ईंधन महंगा होनेसे महंगी बढ़ेगी और डीजलकी मूल्यवृद्धिसे माल भाड़ामें वृद्धि होगी। इससे आम जनतासे लेकर उद्योग जगतका खर्च बढ़ेगा। कोरोनासे घटी आयके बीच बढ़ी महंगी बाजारमें मांग बढ़ानेमें रुकावट पैदा करेगी। इस हालातमें मांग बढ़ाना मुश्किल होगा, जो अर्थव्यवस्थाके लिए खतरेका संकेत है। दुनियाभरमें कोरोनाके टीकाकरण शुरू होने और मांग बढऩेसे कच्चे तेलकी कीमतोंमें जबरदस्त उछाल देखा जा रहा है और उसके आगे भी बने रहनेकी आशंका चिन्ता बढ़ानेवाली है। ऊर्जा विशेषज्ञोंका मानना है कि आनेवाले दिनोंमें कच्चा तेल ५८ से ६५ डालर प्रति बैरलपर पहुंच सकता है। इससे सरकारके साथ रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआई) की गणित भी गड़बड़ा सकती है। पेट्रोल-डीजल महंगा होनेसे महंगी बढ़ेगी, जिसे काबूमें करना आरबीआईके लिए बड़ी चुनौती होगी। हालांकि पेट्रोलियम मंत्रालयने पेट्रोल-डीजलकी कीमतोंपर राहत देनेकी सिफारिश की है। पेट्रोल-डीजलकी कीमतोंका सबसे बड़ा हिस्सा टैक्सका होता है। सरकार चाहे तो टैक्सोंमें कमी कर लोगोंको राहत पहुंचा सकती है, क्योंकि सरकारने ईंधनपर लगातार टैक्स बढ़ाया है। पिछले दो दिनोंमें पेट्रोल ४९ पैसे बढ़कर अपने रिकार्ड स्तरपर पहुंच गया है, जबकि डीजल ५१ पैसे प्रति लीटर महंगा हो गया है। हालांकि शुक्रवारको इनकी कीमतोंमें कोई बदलाव नहीं किया गया है लेकिन यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि अब इनका मूल्य स्थिर हो सकेगा, क्योंकि कच्चे तेलकी कीमतमें लगातार वृद्धि जारी है। पेट्रोल-डीजलकी बढ़ती कीमतोंसे राहत देनेका काम सिर्फ सरकार ही कर सकती है। पेट्रोल-डीजलकी कीमतोंमें इजाफासे मुद्रास्फीति बढ़ेगी जो देशकी अर्थव्यवस्थाके लिए ठीक नहीं होगी। केन्द्र सरकारको उत्पाद शुल्कमें कटौती कर जहां जनताको राहत पहुंचानेका काम करना चाहिए, वहीं राज्य सरकारोंको पेट्रोल-डीजलपर लगाये गये टैक्सको कम करना चाहिए।