तारकेश्वर मिश्र
उत्तर भारतमें गर्मी अपने चरमपर है, लोगोंका गर्मीसे हाल बेहाल हो रखा है। ऐसेमें बिजलीकी खपत भी बढ़ रही है। स्थिति यह है कि राजधानी दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थानके कई इलाकोंमें पारा ४५ डिग्रीको छू रहा है। ऐसेमें बिजलीकी खपत भी बेतहाशा बढ़ी है। बिजलीकी मांगके अनुरूप आपूर्ति न होनेके कारण लोगोंको इन तपते दिनोंमें लंबा ‘पावर कटÓ झेलना पड़ रहा है। बीती १ जुलाईको दिल्लीमें बिजलीकी पीक डिमांड ६९२१ मेगावाट पहुंच गयी है। यह २०२० और २०२१ में अबतककी सर्वाधिक मांग है। इससे एक दिन पहले यानी ३० जूनके दिन भी दिल्लीमें बिजलीकी मांगने नया रिकॉर्ड बनाया था। इस दिन यहां बिजलीकी पीक डिमांड ६५९२ मेगावॉट थी। उत्तर प्रदेशमें बारिशमें भारी कमीके कारण प्रदेशके ज्यादातर जिलोंमें पड़े उमसने बिजलीकी मांगमें रिकार्ड तोड़ इजाफा किया है। खासकर पीक आवरके दौरान भारी उमसके कारण जूनमें पहली बार बिजलीकी प्रतिबंधित मांग रिकार्ड २३ हजार पार कर गयी। विभागीय अधिकारियोंके अनुसार बिजलीकी भारी मांगको पूरा करनेमें उत्तर प्रदेश स्टेट लोड डिस्पैच सेंटरको काफी मशक्कत करना पड़ा। मांग पूरा करनेके लिए १२०६८ मेगावाट बिजलीका आयात केंद्रीय पूलसे करना पड़ा।
इसके अलावा एनर्जी एक्सचेंजसे भी १९८० मेगावाट बिजली जुटायी गयी। इससे पहले अनपरा अ तापघरकी २१० मेगावाटवाली तीसरी तथा अनपरा ब तापघरकी ५०० मेगावाटकी चौथी इकाई भी फिलहाल बंद चल रही है। इकाइयोंके बंद होनेसे प्रदेशको लगभग १३०० मेगावाट कम बिजली मिल रही है। जूनकी अंतिम सप्ताहमें ही उमसके कारण बिजलीकी मांग तेजीसे बढऩे लगी थी। रात १२ बजे प्रतिबंधित मांग जून माहमें पहली बार रिकार्ड २३४२४ मेगावाटतक पहुंच गयी। महाराष्टï्रके बाद उत्तर प्रदेश दूसरा ऐसा प्रदेश बना जहां जून माहमें बिजलीकी मांगने २३ हजार मेगावाटका आकड़ा पार किया। इसी समय अधिकतम मांग २३७८७ मेगावाट दर्ज की गयी। चालू माहमें चौथी बार बिजलीकी अधिकतम प्रतिबंधित मांगका रिकार्ड बना है। बारिशमें हुई भारी कमी मानसूनकी कमजोरीके कारण पिछले डेढ़ सप्ताहके दौरान प्रदेशके ज्यादातर जनपदोंमें सामान्यसे काफी कम बारिश हुई है। जिसके कारण तापमानमें वृद्धिके साथ उमसने आम नागरिकोंकी दिक्कतें बढ़ायी है। चालू मानसून सत्रमें २८ जूनतक हुई बारिशका ज्यादा हिस्सा शुरुआती चार दिनोंमें ही बरस गया था। बीते १६ जूनसे शुरू हुई बारिश २० जूनतक कमजोर पडऩे लगी। २८ जूनतक पूर्वी उत्तर प्रदेशमें सामान्य १०८.२ मिलीमीटरके सापेक्ष ८९ फीसदी ज्यादा २०४.९ मिलीमीटर बारिश हुई। इसमेंसे १७२ मिलीमीटर बारिश २२ जूनतक हो गयी थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेशकी हालत काफी बुरी रही। २८ जूनतक पश्चिमी उत्तर प्रदेशमें सामान्य ७६ मिलीमीटरके सापेक्ष तीन फीसदी कम ७३.४ मिलीमीटर बारिश हुई। इसमेंसे भी ६८.६ मिलीमीटर बारिश २२ जूनतक हो गयी थी। बारिशमें लगातार कमी के कारण बिजलीकी मांग अप्रत्याशित रूपसे बढ़ रही है।
दरअसल इस बार पहले कहा जा रहा था कि मानसून समयपर आ जायगा और उसकी एक झलक जूनके शुरुआती दिनोंमें दिखी भी थी जब ‘प्री-मानसूनÓ की बारिश पूर्वांचलसे लेकर उत्तर भारतके अनेक इलाकोंमें हुई और लोगोंको लूके थपेड़ोंसे कुछ राहत मिली। लेकिन धीरे-धीरे आसमानसे बादल गायबसे हो गये और गर्मी अपना प्रचंड रूप दिखाने लगी, जबकि इस वक्त खेतीबाड़ी के लिए भी बारिश बेहद जरूरी है। मौसम विभागका अनुमान है कि फिलहाल अगले दो-चार दिनोंमें बारिशके कोई आसार नहीं हैं। यानी गर्मीका यह प्रचंड रूप यूं ही सतायगा। उधर, एक संभावना यह भी जतायी जा रही है कि धूल भरी आंधी, चढ़ते पारेको थोड़ा नीचे लेकर आयगी, लेकिन इससे बहुत ज्यादा राहतके आसार नहीं हैं। मानसूनकी बेरुखीके चलते रिमझिम फुहारोंके इस मौसममें आसमानसे आग बरस रही है और गर्मीका प्रचंड रूप देखनेको मिल रहा है। भीषण गर्मीके कारण एसी, कूलर दिन-रात चल रहे हैं, जिसके चलते बिजलीकी मांगमें जबरदस्त उछाल आ रहा है। बताया जा रहा है कि पूरे देशमें बिजलीकी मांग अपने उच्चतम स्तरतक पहुंच गयी है। इस वक्त बिजलीकी मांग कोरोना महामारीसे पहलेके स्तरतक पहुंच गयी है।
हालांकि इसका एक अच्छा संकेत यह माना जा रहा है कि उद्योग-धंधोंके शुरू होनेके कारण बिजलीकी मांग बढ़ी है। उद्योग-धंधोंमें बिजलीकी खपत तो ठीक है, लेकिन मौसमकी बेरुखीसे अभी लोगोंको दो-चार होना ही पड़ रहा है। एक तो बारिश नहीं हो रही और ऊपरसे भारी ‘पावर कट।Ó इस दोहरी मुसीबतमें आम जनता परेशान है। खास तौरपर पंजाबमें बिजलीका संकट ज्यादा गहराया है। यहां कई घंटोंतक बिजली न आनेसे लोग गुस्सेमें हैं और जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं। पहले एक-दो घंटेका कट लगाया गया, जिसे अब तीनसे चार घंटेतक कर दिया गया है। इस पावर कटसे परेशान लोग सड़कोंपर उतर आये। पंजाबमें बिजलीकी भारी कमीका आलम यह है कि पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) ने दो दिनोंका औद्योगिक साप्ताहिक अवकाश लागू कर दिया है। यानी औद्योगिक इकाइयोंको दो दिन काम बंद रखना होगा। यही नहीं, पावरकॉमने अपील की है, ‘प्रदेशके सारे सरकारी विभाग, बोर्ड और कारपोरेशन दो-तीन दिन एसी बंद रखें।Ó पीएसपीसीएलकी ओरसे यह भी कहा गया कि दफ्तरोंमें लोग गैर-जरूरी बिजलीके उपकरण न चलायें और जितना संभव हो आगामी तीन दिनतक बिजली बचायें। भीषण गर्मीके दौरान ‘पावर कटÓ के कारण आमजनका गुस्सा फूटनेकी स्थितिको समझा जा सकता है। उत्तर भारतके कई शहरोंसे पावर कटसे परेशान लोग प्रदर्शन कर रहे हैं।
उत्तर भारतमें भीषण गर्मीसे जहां बिजलीकी खपत बढ़ी है। वहीं शेष भारतमें बिजलीकी खपत सामान्य या फिर कम हुई है। कोरोना महामारीके कारण लागू प्रतिबंधोंके चलते इस साल अप्रैल, मई और जूनमें वाणिज्यिक तथा औद्योगिक गतिविधियां सुस्त रहीं, जिसके कारण बिजलीकी खपतमें कमी हुई। केंद्रीय बिजली मंत्रालयके आंकड़ोंके अनुसार इस साल जूनमें बिजलीकी कुल खपत १०६.४८ अरब यूनिट थी, जबकि पिछले साल इसी महीनेमें खपत ११७.९८ अरब यूनिट थी। वहीं मईमें बिजलीकी खपत १०२.१८ अरब यूनिट थी। आंकड़ोंसे पता चला है कि अप्रैलमें बिजलीकी खपत २३.२१ प्रतिशत घटकर ८४.५५ अरब यूनिट रह गयी थी। विशेषज्ञने उम्मीद जतायी कि अगस्ततक बिजलीकी खपत या मांग सामान्य स्तरपर आ जायगी। उत्तर भारतकी तमाम राज्य सरकारोंको चाहिए कि इसके लिए तत्काल उपाय करे। वैसे भी इस मौसममें बिजलीकी मांग बढ़ती ही है, इसलिए पहलेसे ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि बिजलीकी मांग और आपूर्तिमें बहुत ज्यादा अंतर न हो, क्योंकि अंतर जितना बढ़ेगा, आपूर्तिमें उतनी ही कटौती करनी पड़ेगी। इसलिए सरकारको बहुत संजीदगीसे इंतजाम करना चाहिए। इसके साथ ही जनताकी भी जिम्मेदारी है कि बिजलीका इस्तेमाल जरूरतके हिसाबसे ही करे।