पुष्परंजन
डोनाल्ड ट्रम्पपर लगे महाभियोगके पक्षमें २३२ और विरोधमें १९७ के साथ निचले सदनने प्रस्ताव पास कर दिया। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिवके चार सदस्योंने इस प्रक्रियामें भाग नहीं लिया था। इसमें दिलचस्प दस रिपब्लिकन सांसद थे, जिन्होंने ट्रम्पके विरुद्ध वोटिंग की। अपनी ही पार्टीके राष्ट्रपतिके खिलाफ वोट, यही अमेरिकी लोकतंत्रकी खूबसूरती है। जो कुछ बदनुमा दाग लगाये उसे भी सभीने ६ जनवरी, २०२१ को देखा था। दुनियाको हैरान किया था, संसदमें तोडफ़ोड और पांचकी मौतने। इस समय सबकी निगाहें सौ सदस्यीय सीनेटपर हैं, जहां दो-तिहाई वोटके बाद महाभियोग सिद्ध होना है। सीनेटमें ५१ सदस्य डेमोक्रेटके और रिपब्लिकनके ४९ सदस्य हैं। रिपब्लिकनके १७ सदस्य या तो ट्रम्पके विरुद्ध वोट दें या फिर सदनसे अनुपस्थित हो जायं, तभी दो-तिहाई कोरमका पूरा होना संभव है। कोरम कॉलके दौरान सीनेटरोंको अनुपस्थित रहनेका अधिकार है और उनके विरुद्ध पार्टी काररवाई नहीं कर सकती।
अब सवाल यह है कि कितने रिपब्लिकन सीनेटर ट्रम्पके धतकर्मोंसे खफा हैंघ्। रिपब्लिकन पार्टीमें ट्रम्पके विरुद्ध मोर्चा पहलेसे खुला हुआ था। उन्हींकी पार्टीके मिच मेकानलने सीनेटमें १६ दिसंबर २०२० को एक वक्तव्य देकर ट्रम्पके गुब्बारेको फुस्स कर दिया था। सीनेट मेजॉरिटी लीडर मिच मेकानलने बयान दिया कि हम जो बाइडेनको प्रेसिडेंट एलेक्ट मानते हैं, चुनावमें जिस फर्जीवाड़ेकी बात की जा रही है, उसके सुबूत नहीं मिल रहे। ७८ सालके मिच मेकानल केंटुकीसे सीनेटर हैं और रिपब्लिकन पार्टीके वरिष्ठतम नेताओंमें शुमार होते हैं। उनके वक्तव्यसे बिफरे ट्रम्पने तब ट्वीट किया था कि लोग मिचके बयानको लेकर गुस्सेमें हैं। परन्तु अकेले मिच नहीं, उनके साथ नौ ऐसे सीनेटर थे, जो डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चुनावी फ्राडका भौकाल खड़ा करनेसे नाखुश थे। इनमें रिपब्लिकन सीनेटर रोन जॉनसन (विस्कोंसिन), जेम्स लैंकफोड (ओकहोमा से), स्टीव डेंस (मोंटाना), लुसियानासे जॉन केनेडी, मार्शा ब्लैकबर्न। माइक ब्राउन (इंडियाना से), वायोमिंगसे सीनेटर सिंथिया ल्यूमिस, कैंसस प्रांतसे रोजर मार्शल, अल्बामासे बिल हैर्गेटी और टॉमी ट्यूबरविलने पार्टीके भीतर और पब्लिक फोरममें ट्रम्पसे असहमति व्यक्त की थी। लोग जानना चाहते हैं कि बाकी सात सीनेटर कौन होंगे।
सवाल यह है कि ग्रांड ओल्ड पार्टी (जीओपी) के नामसे चर्चित रिपब्लिकन पार्टी क्या डोनाल्ड ट्रम्पके साथ खड़ी है। रिपब्लिकन पार्टीको ग्रांड ओल्ड पार्टी नाम सबसे पहले १८८४ में पत्रकार टी. बी. डोडेनने दिया था। इस समय जीओपीमें ट्रम्पसे असहमतिके स्वर जिस तरह दिख रहे हैं, उससे दरार साफ-साफ पेश होने लगी है। ट्रम्प यदि जीओपीसे दूधकी मक्खीकी तरह बाहर किये जाते हैं तो शायद डैमेज कंट्रोल हो जाय। परन्तु एक सच यह भी है कि ट्रम्पकी गलतियोंको नजरअंदाज करनेवाले सांसदों, सीनेटरों और रिपब्लिकन पार्टीके सदस्योंकी संख्या कम नहीं है। इनके लिए दुविधाकी स्थिति ट्रम्प एवं फस्र्ट फैमिली द्वारा उत्पातियोंको लगातार उकसाये जानेवाले वह बयान हैं, जो बाकायदा रिकार्डमें दर्ज हो चुके हैं। यही सबसे बड़ी चूक है, जिसकी वजहसे जीओपी शर्मसार है और पार्टी नेतृत्व ट्रम्पके साथ खुलकर खड़ा नहीं दिखता है। जीओपीको फंड देनेवाले कारपोरेटका बड़ा समूह अब मुंह फेरने लगा है।
वाशिंगटन डीसी स्थित निस्कानन सेंटर और फॉक्स न्यजके साझा सर्वेमें ४५ प्रतिशत रिपब्लिकन सदस्य संसदको घेर लेने और अन्दर उत्पातके पक्षमें बताये गये हैं। सर्वेके अनुसार २११ मेंसे डेढ़ सौ रिपब्लिकन सांसद हैं, जो चुनावमें पराजयको स्वीकार नहीं कर ट्रम्पके पक्षमें मुखर थे। इस सर्वेके लिहाजसे देखें तो ट्रम्प एकदमसे राजनीतिके बियाबानमें नहीं चले गये हैं। ट्रम्प, रिपब्लिकन पार्टीमें उग्र दक्षिणपंथका तड़का मारनेवाले कोई पहले राष्ट्रपति नहीं रहे हैं। अब्राहम लिंकन, यूएस ग्रांट, रूजवेल्ट, हर्बर्ट हूवर, आइकनहावर, रिचर्ड निक्सन, रोनाल्ड रिगन, जार्ज एच.डब्ल्यू बुश और जूनियर जार्ज डब्ल्यू बुश, ये सारे ट्रम्पके पूर्ववर्ती राष्ट्रपति रहे हैं, जिन्होंने रूढि़वादी सोचको आगे बढ़ाया था।
परन्तु ट्रम्प, अपने पूर्ववर्तियोंसे चंद कदम आगे निकले, जिन्होंने पार्टीके भीतर अमेरिका फस्र्ट ग्रुप बनाकर राष्ट्रवादका तड़का ऐसा मारा, जिससे सभी सदस्य इत्तेफाक नहीं रखते थे। ऐसी आक्रामक सोचका ही नाम कुछ लोगोंने ट्रांपिजम रख दिया था। जो उनसे असहमत होते, वह अतिवादी-अमेरिका विरोधी निरूपित किये जाने लगे। अमेरिकी अल्ट्रा राइटविंगरके निशानेपर न सिर्फ राजनीतिक रूपसे असहमत नेता-नौकरशाह थे, बल्कि मीडियाके लोग भी थे। एंटी फासिस्ट जो अमेरिकी दिखता, उन्हें आतंकवादी घोषित करनेमें यह ग्रुप देर न लगाता। ट्रम्प यदि हाशियेपर चले भी जाते हैं तो क्या उस सोचको जड़से समाप्त करना संभव है। यह नामुमकिन ही लगता है। एक सर्वेका निष्कर्ष था कि ट्रम्पके चाहनेवालोंमेंसे ७० फीसदी रिपब्लिकंस अब भी हैं। १८ दिसंबर २०१९ को ट्रम्पके विरुद्ध अधिकार दुरुपयोग, संसदके कामोंमें बाधा डालते रहनेका महाभियोग लगा था। ५ फरवरी २०२० को सीनेटमें इसपर वोटिंगके समय ५३ मेंसे ५२ रिपब्लिकन्स सभासद उनके साथ खड़े थे, जिसकी वजहसे वे महाभियोगसे बच गये। परन्तु ११ महीनोंमें कालचक्र घूम चुका है, इस बातसे हर अमेरिकी वाकिफ है। सीनेटमें इस बार ट्रम्प बचा लिये जायंगे, इस बाबत अमेरिकाके तुर्रम विश्लेषक जोखिमभरा वक्तव्य देनेसे बच रहे हैं। अमेरिकासे बाहर कोई जानता है कि रोना मैक्डैनियल कौन है। जब रिपब्लिकन पार्टीकी चेयरवुमन एकदम चुप-सी रहें तो स्वाभाविक है कि लोग उनसे अनजान रहेंगे। तीन करोड़ ५० लाख, ४१ हजार, ४८२ सदस्य हैं रिपब्लिकन पार्टीके। उन्हें संभाले रखना और ट्रंपिजमसे बचाये रखनेकी जिम्मेदारी पार्टी अध्यक्ष रोना मैक्डैनियल की थी। कितनी बेचारगी है, रोना मैक्डैनियल अपने सीनेटरोंको समझानेकी हालतमें नहीं हैं कि बचा लो ट्रम्प को। वह रिपब्लिकन सभासदोंको पार्टी विरोधी गतिविधियोंमें सम्मिलित रहनेके आरोपमें निलंबिततक नहीं कर सकतीं। ऐसा भारतमें संभव है क्या।