- नेशनल डेस्क: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने जा रही हैं। तृणमूल कांग्रेस (TMC) आज शहीद दिवस मना रही है और इस उपलक्ष्य पर ममता बनर्जी भाषण देगी जिसका प्रसारण पूरे देश में किया जाएगा। ममता बनर्जी का यह भाषण देश के सभी राज्यों में वहां की स्थानीय भाषण में प्रसारित होगा। इस भाषण को देश के सभी प्रदेशों की स्थानीय भाषा में अनुवाद कर राजधानियों और बड़े-बड़े शहरों में टीवी स्क्रीन लगाकर प्रसारित किया जाएगा। ममता इस कार्यक्रम में अपना भाषण बांग्ला में ही देंगी, लेकिन उसे अलग-अलग राज्यों जैसे केरल में मलयालम, ओडिशा में उड़िया और हिंदी पट्टी के सभी प्रदेशों में वह हिंदी भाषा में सुनाया जाएगा। बता दें कि TMC 21 जुलाई को शहीदी दिवस मनाती है।
राष्ट्रीय राजनीति में अपनी जमीन तैयार करने की कोशिश में ममता
ममता बनर्जी ने 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को कड़ी टक्कर दी है। जहां बंगाल में भाजपा की लहर नजर आ रही थी वहीं ममता बनर्जी ने तीसरी बार राज्य में अपनी सरकार बनाकर सभी को हैरत में डाल दिया। ममता बनर्जी को देशभर में मोदी विरोधी चेहरे के रूप में देखा जा रहा है। TMC भी ममता को देश के प्रधानमंत्री पद के लिए आगे कर रही है और अगला पीएम बंगाली होगा इसके लिए अभी से हवा का रूख तय किया जा रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि अगर ममता 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पीएम पद के लिए आगे आती हैं तो मोदी के लिए यह किसी कड़ी टक्कर से कम नहीं होगा क्योंकि खेला कैसे खेलना इसमें ममता भी माहिर है।
TMC इसलिए मनाती है शहीद दिवस
साल 1993 में ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में युवा कांग्रेस की अध्यक्ष थीं। तब ममता ने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए सचित्र वोटर कार्ड की मांग की थी। अपनी इस मांग के लिए ममता ने राज्य की तत्कालीन वाममोर्चा सरकार के मुख्य सचिवालय से कांग्रेस की ओर से एक आम अभियान का आह्वान किया। ममता के नेतृत्व में 21 जुलाई को युवा कांग्रेस के कार्यकर्त्ता आंदोलन में शामिल हुए, लेकिन आरोप है कि उस वक्त उनके जुलूस पर पुलिस की ओर से गोलियां चलाई गईं, जिसमें 13 लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद बंगाल की राजनीति में उथल-पुथल मच गई। ममता बनर्जी ने कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस पार्टी (TMC ) का गठन किया। TMC के जन्म के बाद भी पार्टी 21 जुलाई के दिन को नहीं भूली। तृणमूल हर साल इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाती रही है।