मऊ।जब पुलिस की वर्दी धारण करते समय ईमानदारी और सत्य निष्ठा की शपथ लेने वाला अफसर ही बेईमानी पर उतरकर सच्चाई का गला घोंटने पर आमादा हो जाय तो उसके मातहत उसके चरित्र से कैसी प्रेरणा लेंगे?इसे आसानी से समझा जा सकता है।शायद,यही वजह है कि आज से करीब बीस माह पूर्व तत्कालीन एसपी अनुराग आर्य द्वारा पदीय अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए कोपागंज के तत्कालीन एसओ विनय कुमार सिंह पर बेजा दबाव देकर फर्जी पासपोर्ट गिरोह के पर्दाफाश का ढोंग कर दस गरीबों को “बलि का बकरा” बनाते हुए जेल भेजवाने का काम किया और वे गरीब प्रभावी पैरवी के अभाव में नौ-नौ महीने तक जेल की सलाखों के पीछे पङे रहे और उनके परिजन भीख मांग-मांग कर अपनी दो जून की रोटी का इंतेज़ाम करते रहे।इस घटना का सबसे आश्चर्यजनक पहलू यह है कि बीस माह बाद भी पुलिस ने अब तक एक भी फर्जी पासपोर्ट नहीं बरामद किया और ना ही किसी एक फर्जी पासपोर्ट के लाभार्थी का ही पता लगा पायी।जिससे न्याय पुलिस की कोख में ही दम तोड़ता नज़र आ रहा है।इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि फर्जी पासपोर्ट अगर जनपद में कोई बना भी होगा तो उच्चाधिकारियों की भूमिका के बगैर यह सम्भव ही नहीं है।लेकिन,इस प्रकरण में आज तक किसी उच्चाधिकारी का बयान तक दर्ज नहीं किया गया।सिर्फ निरीह गरीबों को जेल भेजकर मामले की लीपा-पोती की गयी।असली दोषी अधिकारियों को बचाने के लिए गरीबों पर बरपाये गये कहर की जानकारी गुरूवार को आजमगढ़ के नवागत डीआईजी अखिलेश कुमार को हुई तो उन्होंने विवेचनाधिकारी घोसी के क्षेत्राधिकारी राम नरेश से फर्जी पासपोर्ट कांड की रिपोर्ट तलब की और निष्पक्ष विवेचना कराने का भरोसा दिया।देखना यह है कि एक बङे पुलिस अधिकारी के संज्ञान में फर्जी पासपोर्ट कांड की हकीकत आने के बाद निरीह गरीबों को इस आरोप से मुक्ति मिल पाती है या एक बार फिर पदीय अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए असली दोषी अधिकारियों को बचाने के लिए निरीह गरीबों को हलाल ही कर दिया जाता है।बहरहाल,एफआईआर के बीस माह बाद भी अपराध का सिद्ध न होना और एक भी फर्जी पासपोर्ट बरामद न होना फर्जी पासपोर्ट गिरोह के पर्दाफाश के नाम पर एक ढोंग ही साबित हो रहा है।जिसकी कलई परत दर परत खुलती नज़र आ रही है।वरिष्ठ भाजपा नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुजीत कुमार सिंह ने कहा कि यदि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इस मामले में हस्तक्षेप कर निरीह गरीबों को न्याय दिलाने का मार्ग अब जल्द से जल्द प्रशस्त नहीं करते हैं तो बीस महीने से पुलिस की कोख में पल रहे जनहित से जुड़े इस मुद्दे पर जनहित याचिका दाखिल की जाएगी।