सम्पादकीय

राम नामकी महिमा


रीना भारद्वाज

प्रभु श्री राम भगवान विष्णुके अवतार हैं, परन्तु इनके त्रिगुण ब्रह्मïा, विष्णु, महेश जो एक ही शक्तिके तीन रूप हैं, एकं पारलौकिक शक्तिका आभास दिलाते हैं। इस बातकी अनुभूति भगवान शिव द्वारा श्रीराम नामका निरंतर जाप है। भगवान श्रीरामने रामेश्वरकी स्थापनाके समय जो रामेश्वरकी व्याख्या की, उसके अनुसार जो रामका ईश्वर है, वही रामेश्वर है। वहीं, महादेवने रामेश्वरकी व्याख्या कुछ इस तरहसे की कि जिसका ईश्वर राम है, वही रामेश्वर है। कितनी अद्भुत व्याख्या है दोनोंकी। दोनों बातें यही आभास कराती हैं कि बिना रामको भजे शिवको प्रसन्न करना आसान नहीं और शिव विमुख श्रीरामको कदापि नहीं पा सकता। हमारे धार्मिक गं्रथोंमें कुछ ऐसा ही व्याख्यान है। इससे सपष्ट है राम वह पवित्र नाम जिसके उच्चारणसे संपूर्ण ईश्वरीय रूपोंकी वंदना स्वत: ही हो जाती है। जहां एक ओर श्रीकृष्ण प्रेम द्वारा ईश्वरप्राप्तिको सहज बताते हैं, वहीं, श्रीराम कर्तव्य एवं भावनाकी पराकाष्ठाको ही सर्वोपरि होनेका अहसास दिलाते हैं। पिताके प्रति वचन पालनका कर्तव्य जो श्रीरामके प्रेम, देवी सीताको वनके दुखोंसे नहीं बचा पाते एवं राजकाजके कर्तव्य, देवी सीताको वन भेज श्रीरामको उनके वियोगमें कष्ट का अहसास दिलाते हैं। मनुष्यसे भगवानकी यात्रा स्वयं परमात्माको भी कठिन परिस्थितियोंसे गुजर कर ही प्राप्त होती है। कर्तव्यकी तेज धारपर पग धरना चाहे उसमें अनगिनत शूल ही क्यों न चुभ रहे हों, मर्यादाका कलश ही है, जो मानवीय यात्राको ईश्वरत्वतक ले जा सकता है। श्रीराम कर्तव्यकी दिव्य धाराका एक पवित्र नाम जो शिवके आराध्यकी परिभाषा प्रतीत होती है। रामके भक्त रूपमें भगवान शिवके ग्यारहवें रुद्रके रूपमें भगवान हनुमानजी अवतरित हुए। राम नाम जिसके उच्चारणसे तीनों लोक पवित्र हो जाते हैं। उस नामकी महिमा हम भूलते ही जा रहे हैं। श्रीराम परमात्माके अवतारोंमें एक ऐसा अवतार है, जिसने मर्यादाकी शक्तिको कर्तव्यकी धारपर सर्वोपरि बना दिया। अनगिनत कष्टोंको भोगते हुए, वियोगके कष्टोंमें रहकर भी अपने चहुंओर सुखका प्रकाश जो फैलाये, वही है श्रीराम। मंत्रोंमें महामंत्र है, यह नाम श्रीराम। जैसा कि गं्रथोंमें बताया है श्रीराम नामकी महिमाका व्याख्यान तो स्वयं त्रिदेव, ब्रह्मïा, विष्णु, महेश भी नहीं कर सकते। राम नामकी शक्ति अनंत है, जिसकी कोई सीमा नहीं। सीमा हो भी कैसे सकती है, यह तो वह नाम है जिसके उच्चारणसे देवी सीताके साथ हनुमानजी एवं साक्षात शिव भी प्राप्य हैं।