अक्तूबर तक जारी रहेगा आन्दोलन -टिकैत
नयी दिल्ली (आससे)। राजधानी की सभी सीमाओं की किलेबंदी (कीलबंदी) पर किसान भड़क गये हैं । उन्होंने आन्दोलन तेज करनेकी घोषणा की है। किसानों को दिल्ली में घुसने से रोकने के लिये सीमाओं पर अवरोधकों को मजबूत कर दिया है और भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किये गये हैं। गाजीपुर बॉर्डर पर धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत को राजनीतिक दलों के नेताओं और विभिन्न राज्यों से किसानों के समर्थन का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है। चौतरफा मिल रहे समर्थन से उत्साहित टिकैत ने घोषणा की है । उनका आंदोलन अक्टूबर तक जारी रहेगा। इस घोषणा के बाद सरकार की चिंताएं बढ़ती नजर आ रही हैं। अब किसानों प्रदर्शन मुख्य रूप से गाजीपुर बॉर्डर पर केंद्रित हो गया है,लेकिन सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर भी बड़ी संख्या में आंदोलनकारी मौजूद हैं। वहीं, सरकार की तरफ से गणतंत्र दिवस की तरह किसी तरह की अप्रिय स्थिति से बचने के लिए धरनास्थलों को पूरी तरह अलग-थलग कर दिया गया है। धरना स्थल के आस-पास कई लेयर की बैरिकेडिंग करके ऊपर कंटीली तारें बिछा दी गई हैं। सड़क पर टायर किलर्स लगाये गये हैं। इसके अलावा भारी संख्या में पुलिस और अद्धसैनिक बल तैनात हैं। टिकैत ने कहा कि दिल्ली पुलिस ऐसा किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिये कर रही है। टिकैत ने कहा कि हमारा नारा है, कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं। उन्होंने कहा कि हमने सरकार को बता दिया कि ये आंदोलन अक्टूबर तक चलेगा। अक्टूबर के बाद आगे की तारीख देंगे। बातचीत भी चलती रहेगी। विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात के सवाल पर टिकैत ने कहा कि अगर हमारे समर्थन में विपक्ष आ रहा है तो कोई समस्या नहीं, लेकिन उसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिये। अगर नेता आते हैं तो हम कुछ नहीं कर सकते। 26 जनवरी को हुई हिंसा पर उन्होंने कहा कि नौजवानों को बहकाया गया,उनको लाल किले का रास्ता बताया गया कि पंजाब की कौम बदनाम हो। किसान कौम को बदनाम करने की कोशिश की गई। राकेश टिकैत ने आज दोपहर का खाना पुलिस द्वारा लगाई गई बैरिकेड के पास जमीन पर बैठ कर खाया। राकेश टिकैत ने इस दौरान कहा कि हम कानून का सम्मान करते हैं, ये लड़ाई अक्टूबर महीने तक चलेगी। जिसकी तैयारियां की जा रही हैं। राकेश टिकैत ने आरोप लगाया है कि आंदोलन को बदनाम करने की साजिश हो रही है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण धरने के बावजूद दिल्ली पुलिस ने रास्ता बंद कर दिया है ताकि जनता कहे कि जनता को दुखी कर रहे हैं। टिकैत ने कहा कि दिल्ली पुलिस रास्ते बंद कर रही है। उन्होंने कहा कि एम्बुलेंस लेन में दो महीने से एम्बुलेंस चलती थी, उसे दिल्ली पुलिस ने बंद कर दिया। कंटीले तार लगा दिये। तीन रोड को जिसे हमने छोड़ रखा था, उसे भी बंद कर दिया। इस बीच आज शिवसेना सांसद संजय राउत और अरविंद सावंत ने गाजीपुर बॉर्डर पहुचकर राकेश टिकैत से मुलाकात की और किसान आंदोलन को अपनी पार्टी की तरफ समर्थन दिया। संजय राउत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जिस तरह से यहां दहशतवाद हो गया, जिस तरह से हमारे किसानों को, टिकैत साहब को कुचलने की कोशिश की गई तो हमको लगा कर्तव्य बनता है कि उनके साथ खड़े रहें। उनको हमारी संवदेना दें और कहें कि पूरा राज्य, पूरी शिवसेना, उद्धव ठाकरे साहब और हम सब उनके साथ हैं। राउत ने कहा कि सरकार को किसानों के साथ कायदे से बात करनी चाहिए। अहंकार से देश चलाने में मदद नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि हमारे शिवसेना के सभी सांसद यहां आये हैं। टिकैत से बात हो गई है और उन्हें जो संदेश देना था हमने दे दिया है। हम पूरी ताकत से उनके साथ रहेंगे। सरकार को ठीक से बात करनी चाहिए, बात में राजनीति नहीं आनी चाहिए। वहीं, पंजाब के संगरूर से आप सांसद भगवंत मान ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि पुलिस ने ऐसे बैरिकेड्स लगा दिए हैं कि जैसे किसी दुश्मन की सेना को रोकना हो। कैप्टन अमरिंदर सिंह, आप मुख्यमंत्री हो, आपको किसानों के साथ दिल्ली बॉर्डर पर होना चाहिए। आप क्यों नहीं एक हेल्पडेस्क लगातार और उनके साथ कैम्प में बैठते। मान ने कहा कि जब आपका परिवार संकट में होता है तो आप गृह मंत्री को लिखते हैं। अब आप गृह मंत्री से क्यों नहीं मिल रहे? आपने प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का वादा किया था, उसे कब पूरा करेंगे? आप क्यों नहीं वार्ताकार बनते? हम सबको राजनीति से ऊपर उठकर किसानों का साथ देना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ दिल्ली हाई कोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें 26 जनवरी की हिंसा को लेकर हिरासत में लिए लोगों को रिहा करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर के आसपास से 26 जनवरी या उसके बाद कथित रूप से अवैध हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा किया जाये। बता दें कि दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर पर अभूतपूर्व नाकेबंदी की है। धरना स्थल फ्लाईओवर की सभी चारों लेन पर बैरिकेड्स लगाए गये हैं। दिल्ली से गाजियाबाद जाने वाली रोड पर खासतौर पर 6 स्तर की बैरिकेडिंग की गई है। सबसे पहली और दूसरी लेयर में लोहे के बैरिकेड्स हैं और उसके ऊपर कंटीली तारें। तीसरी लेयर में कंक्रीट के 3 फुट ऊंचे 2 स्लैब्स को आमने- सामने रखकर उनके बीच में लगभग 2 फुट ऊंचाई तक सीमेंट और कंक्रीट का मसाला भरा गया है, जो 3 फुट ऊंची ढेड़ फुट चौड़ी दीवार बन गई है। इसके बाद के 2 स्तरों में लोहे के बैरिकेड्स लगे हुए है। टीकरी बॉर्डर पर भी पुलिस की किलेबंदी को लगातार मजबूत किया जा रहा है। आज भी जेसीबी से सीमेंट के बड़े बड़े बोल्डरों को सड़क पर रखने का काम चल रहा है। सड़क पर स्लैब के साथ ही बैरिकेडिंग और कील लगाने का काम भी चल रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बैरिकेडिंग और नुकीली कीलें लगाये जाने की आलोचना की है। उन्होंने केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उसे दीवार की बजाय पुल बनवाना चाहिये। उन्होंने किसानों के आंदोलन स्थलों के निकट अवरोधक बनाये जाने से जुड़ी तस्वीरें साझा करते हुए ट्वीट किया कि भारत सरकार, पुल बनाइये, दीवार नहीं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इसी विषय को लेकर एक ट्वीट के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया कि प्रधानमंत्री जी, अपने किसानों से ही युद्ध? किसान आंदोलन के चलते गाजीपुर बॉर्डर पूरी तरह बंद है। आउटर रेंज के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (ट्रैफिक) ने कहा है कि लोग आनंद विहार, चिल्ला, डीएनडी, अप्सरा, भोपरा और लोनी बॉर्डर के जरिए आ-जा सकते हैं। वहीं, सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बॉर्डर पर सुरक्षाबल तैनात किया गया है। इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि सरकार के साथ तबतक बातचीत नहीं होगी, जबतक वह शोषण बंद नहीं करती। उन्होंने बिना शर्त उन किसानों की रिहाई की मांग रखी है जिन्हें हिरासत में लिया गया है। इसके अलावा इंटरनेट शटडाउन को लेकर भी विरोध जताया है। वहीं, टीकरी बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन में एक ओर युवा किसान की मौत हो गई। मृतक की पहचान संगरूर जिले के आशु कुमार (32 वर्ष) के रूप में हुई है। बताया गया है कि आशु कुमार हाल ही में आंदोलन में शामिल होने के लिए आया है। मौत का कारण हृदयाघात बताया जा रहा है। वह भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहा के साथ जुड़े हुए थे। बता दें कि अब तक टीकरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में 25 से भी ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है।