(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। राज्य में इंटरमीडिएट की परीक्षा में कोरोना सवाल बन कर आया। कोरोना सवाल बना इंटरमीडिएट साइंस एवं कॉमर्स स्ट्रीम के लाखों परीक्षार्थियों के लिए।
प्रदेश भर में 1473 परीक्षा केंद्रों पर इंटरमीडिएट की परीक्षा एक फरवरी से ही चल रही है। साइंस, आट्र्स एवं कॉमर्स को मिला दें, तो तीनों स्ट्रीम की परीक्षा में शामिल होने के लिए 13,50,233 परीक्षार्थियों ने ऑनलाइन परीक्षा फॉर्म भरे हैं। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा ली जा रही यह परीक्षा एक फरवरी से ही चल रही है।
लेकिन, कॉमर्स स्ट्रीम के परीक्षार्थियों की परीक्षा गुरुवार को पहली पाली से शुरू हुई। गुरुवार को पहली पाली में साइंस एवं कॉमर्स दोनों स्ट्रीम के परीक्षार्थियों की अंग्रेजी की परीक्षा थी। अंग्रेजी सौ अंकों की है। क्वेश्चन पेपर मिलने के बाद जब परीक्षार्थी उसे पढऩे लगे, तो चौंके बिना नहीं रह सके। वजह थी कोरोना पर सवाल। कोरोना सवाल बना एस्से के रूप में।
आठ नम्बर के एस्से लिखने के लिए क्वेश्चन पेपर में पांच सब्जेक्ट दिये गये थे। पांचों में से किसी एक पर परीक्षार्थियों को एस्से लिखना था। उनमें से एक था- इम्पैक्ट ऑफ कोविड-19 ऑन सोसाइटी। यानी, समाज पर कोविड-19 का प्रभाव। तो, साइंस और कॉमर्स दोनों ही स्ट्रीम के ज्यादातर परीक्षार्थियों ने एस्से लिखने के लिए ‘इम्पैक्ट ऑफ कोविड-19 ऑन सोसाइटी’ को ही चुना।
यह पूछने पर परीक्षार्थियों की आंखें भर आयीं कि एस्से लिखने के लिए उन्होंने कोरोना (कोविड-19) को ही क्यों चुना? ज्यादातर परीक्षार्थियों ने बताया कि कोरोना ने तो लोगों के घर-परिवार उजाड़े ही, इससे बचाव को लेकर लगे लॉकडाउन ने बड़ी संख्या में लोगों से रोजगार भी छीने। शहर-गांवों में ऐसे भी परिवार थे, जो दाने-दाने को मुंहताज हो गये। कोरोना से जिनकी सांसें अस्पतालों में टूट रही थीं, मरने के बाद उनके मुंह घर-परिवार वाले देख तक नहीं पाये।
परीक्षार्थियों ने बताया कि कोरोनाकाल ने उनकी क्लासरूम की पढ़ाई भी मार ली। क्लासरूम की उनकी पढ़ाई पिछले साल फरवरी चढ़ते ही बंद हो गयी। इसलिए कि फरवरी में बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो चुकी थीं और मार्च में शिक्षक कॉपियों की जांच में लगाये गये। कॉपियों की जांच के बाद पढ़ाई शुरू होती, उसके पहले ही मार्च के मध्य में कोरोना से बचाव को लेकर स्कूल-कॉलेज बंद हो गये। फिर, लॉकडाउन लग गया। अनलॉक शुरू हुआ, तो सितंबर के अंतिम दिनों में तैंतीस फीसदी उपस्थिति के साथ उनकी मार्गदर्शन कक्षाएं तो शुरू हुईं। लेकिन, उसके तुरंत बाद सेंटप परीक्षा शुरू हो गयी।
परीक्षार्थियों ने कहा कि ऐसे में भला वे कोरोना पर एस्से कैसे नहीं लिखते। सो, उन्होंने कोरोना पर ही एस्से लिखे। उन्होंने वही लिखा, जो भोगा और देखा है।