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प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान सरकारों के रवैये से नाराज हुआ सुप्रीम कोर्ट,


नई दिल्‍ली  दिल्‍ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट कोर्ट में केंद्र सरकार ने वर्क फ्राम होम की सुविधा देने से इनकार कर दिया है। केंद्र की तरफ से कहा गया है कि वो प्रदूषण को कम करने के लिए कार पूलिंंग के पक्ष में है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों हुई सुनवाई के दौरान केंद्र और दिल्‍ली सरकार को अपने कर्मचारियों को वर्क फ्राम होम की सुविधा देने के साथ-साथ वाहनों में कटौती करने का विकल्‍प सुझाया था। हरियाणा ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश होगा वो उसका पालन करेंगे। दिल्‍ली की तरफ से भी यही बात कही गई है। वहीं पंजाब ने कहा कि वो दिल्‍ली-एनसीआर में नहीं आता है, इसके बावजूद वो दिशा-निर्देशों का पालन  करेगा। अब इस मामले की सुनवाई 24 नवंबर को होगी। कोर्ट ने माना है कि इस मामले में ब्‍यूरोक्रेट्स कुछ नहीं करना चाहते हैं।

केंद्र ने सुनवाई के दौरान कहा कि कार पुलिंग के जरिए सड़कों पर वाहनों को कम करने में मदद मिल सकती है। इसका सीधा असर बढ़ते प्रदूषण को घटाने पर भी पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट में सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उनको लेकर मीडिया में गलत बयानबाजी की जा रही है। मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्‍होंने कहा कि इनमें बताया जा रहा है कि वो पराली जलाने के मामले में कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि वो इस तरह की बयानबाजी से गुमराह नहीं होने वाला है। कोर्ट ने साफ कहा कि हमारी सोच पूरी तरह से साफ है, लिहाजा इस तरह की बातों पर ध्‍यान न दिया जाए।

तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि ऐसी इंडस्‍ट्री जो ऊर्जा के लिए ऐसे ईंधन का उपयोग कर रही हैं जिनको मंजूरी नहीं मिली है, को तुरंत बंद कर देना चाहिए। ऐसे उद्योग जहां पर गैस को ईंधन के रूप में इस्‍तेमाल करने का विकल्‍प है, उन्‍हें तुरंत इस पर शिफ्ट हो जाना चाहिए। उन्‍होंने ये भी कोर्ट को बताया कि कमीशन ने दिल्‍ली और एनसीआर के राज्‍यों के लिए डायरेक्‍शन भी जारी की है। इसमें ये सुनिश्चित करने को कहा गया है कि सभी उद्योगों को गैस की सुविधा दी जाए और ईंधन के रूप में इसका ही उपयोग किया जाए।