पटना

बिहार के मदरसे बने रोल-मॉडल


(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य में मदरसों के सुदृढ़ीकरण योजना का नतीजा है कि बिहार के मदरसे रोल-मॉडल बन गये हैं। इसे केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने माना है।

शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि नीतीश सरकार के ‘बिहार राज्य मदरसा सुदृढ़ीकरण योजना’ के तहत बिहार के मदरसों में परंपरागत विषयों के साथ-साथ हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान आदि पाठ्यक्रम भी पढ़ाये जाते हैं। मदरसों में छात्र-छात्राओं को दीनी किताबों के अलावा वर्ग एक से आठ तक एससीईआरटी एवं वर्ग नौ से 12 तक एनसीईआरटी द्वारा विकसित पुस्तकें पढ़ाई जाती हैं। इसके अलावा यूनिसेफ के सहयोग से ‘तालीम-ए-नौबालिगान’ के तहत मदरसों में आधुनिक एवं समसामयिक विषयों के संबंध में जागरूकता का कार्यक्रम चलाया जा रहा है।शिक्षा मंत्री श्री चौधरी ने बताया कि हाल ही में केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय द्वारा  बिहार के मदरसों में हो रहे सुधार की सराहना करते हुए इसे रोल-मॉडल (अनुकरणीय) बताया गया है।

शिक्षा मंत्री श्री चौधरी ने बताया कि संविधान का अनुच्छेद 30, अल्पसंख्यक वर्गों को धर्म या भाषा पर आधारित अपनी रूचि को शिक्षा संस्थानों की स्थापना और प्रशासन का अधिकार देता है तथा राज्य को इन संस्थाओं को सहायता देने के मामले में विभेद नहीं करने की अपेक्षा रखता है। श्री चौधरी ने कहा कि मदरसा या किसी दूसरे शैक्षणिक संस्थान में कोई गैरकानूनी गतिविधि होती है, तो उसके लिए कानूनी प्रावधान पहले से ही विद्यमान हैं। मदरसों के माध्यम से अल्पसंख्यक समाज के बच्चे सुशिक्षित होंगे, तभी उनमें राष्ट्रप्रेम की भावना भी जागृत होगी और अपना समाज मजबूत होगा।