जेनेवा, । भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 49वें सत्र में समग्र लोकतंत्र, स्वतंत्र न्यायापालिका, मानवाधिकार को संरक्षण व बढ़ावा देने के साथ ही आतंकवाद के खिलाफ मुहिम छेड़ने की प्रतिबद्धता का महत्व समझाया।
भारतीय राजनयिक और विदेश मंत्रालय की सचिव (पश्चिम) रीनत संधू ने यूएनएचआरसी में समानता और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर कहा कि हमने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास मंत्र को अंगीकार कर लिया है।
दुनिया के अरबों लोगों को प्रेरित करता है भारत का लोकतंत्र
उन्होंने कहा कि किसी दूसरे के साथ ऐसा कोई भी बर्ताव नहीं किया जाना चाहिए जो आपको अपने लिए नापसंद हो। मानवाधिकारों को हासिल करते हुए दूसरे इंसानों के भी अधिकारों का ख्याल रखना चाहिए। भारतीय संविधान में मूलभूत मानवाधिकारों को मूलभूत अधिकारों, नागरिक व राजनीतिक अधिकारों की गारंटी, आर्थिक प्रगति पर समान अधिकार और सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकारों को समाहित किया गया है। संधू ने कहा कि भारत एक ऐसा लोकतंत्र है जो दुनिया के अरबों लोगों को प्रेरित करता है। स्वतंत्र न्यायापालिका से लोगों को उनके मूलभूत अधिकार मिलते हैं और कुछ गलत होने पर उसमें सुधार की गुंजाइश बनी रहती है।
भारत बहुलतावाद, मध्यम और संतुलित परिपेक्ष्य को लाने के प्रति प्रतिबद्ध
भारत को 2022 से 24 तक के तीन साल के कार्यकाल के लिए मानवाधिकार परिषद में फिर से चुने जाने पर संधू ने आश्वासन दिया कि भारत बहुलतावाद, मध्यम और संतुलित परिपेक्ष्य को लाने के प्रति प्रतिबद्ध है। ताकि मानवाधिकारों में आए विभिन्न भेदों और उनके क्रियान्वयन में ढेरों भेदभावों को दूर किया जा सके।