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Amarnath Yatra 2022 : वर्षा तेज थी….श्रद्धालु भक्ति में लीन… और आ गई आपदा! पहले भी हो चुके हैं कई बड़े हादसे


जम्मू, : शाम करीब सवा पांच बजे अमरनाथ की पवित्र गुफा में हिमलिंग की पूजा अर्चना चल रही थी। दरबार में भोले की भक्ति में लीन भक्तों का तांता था। सैकड़ों श्रद्धालु सीढ़ियों से आ-जा रहे थे। कुल 15 हजार से अधिक संख्या में श्रद्धालु दरबार और नीचे टेंट में रुके थे। झमाझम वर्षा हो रही थी। मौसम पूरी तरह ठंडा था। अचानक कुछ देर बाद तेज आवाज आती है और गुफा से सटे पहाड़ से पानी नीचे तेज बहाव में बहने लगता है। देखते ही देखते पानी का तेज बहाव टेंटों को रौंदते हुए कई लोगों को बहा ले गया। इस त्रासदी में अभी तक 15 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। 48 के करीब श्रद्धालु लापता हैं। सेना सहित विभिन्न बचाव दल राहत कार्य में जुटे हुए हैं।

जिस किसी ने भी यह मंजर देखा है, वे उसे भूल नहीं पा रहा है। हेदराबाद से आए श्रद्धालु यशस यादव ने बताया कि वर्षा के बीच श्रद्धालु बम-बम भोले का जयघोष लगाते हुए हिमलिंग के दर्शनों के लिए गुफा की ओर बढ़ रहे थे। गुफा के पास से भागो-भागो की आवाजें सुनाई देने लगी। पवित्र गुफा व नीचे बने आधार शिविर में बिजली बंद हो गई। झांक कर देखा तो गुफा के निकट पानी का तेज बहाव आ रहा था। हर कोई ईधर-ऊधर भागता नजर आया। हर किसी की जुबां पर भोले शंकर का नाम था और यह विश्वास था कि भोले किसी के साथ बुरा नहीं होने देंगे।

पलक झपकते ही एनडीआरएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस व केंद्रीय सुरक्षाबलों की टीमें हरकत में आ गई। यह आंखों देखा हाल दैनिक जागरण के वरिष्ठ संवाददाता को पवित्र गुफा पर मौजूद गुजरात के श्रद्धालुओं ने बयां किया जो जत्थे में दर्शन करने शाम को पहुंचे थे। तोमल कुमार ने बताया कि उनके कुछ साथी उस समय गुफा के भीतर दर्शन कर रहे थे, कुछ दर्शन करके लौट चुके थे और कुछ जा रहे थे। किसी को कुछ पता नहीं था कि कौन कहां है। एक घंटे बाद हालात कुछ सामान्य हुए तो सबसे पहले हमने साथियों को तलाश करना शुरू किया। ऋतिक ने बताया कि वह उस समय पवित्र गुफा में थे, उन्हें नहीं पता था कि उनके साथी जिंदा हैं या नहीं लेकिन भगवान शिव की कृपा से सभी सकुशल है।

पहले कब-कब हुई घटनाएं :-

वर्ष 1969 में भी फटा था बादल : जम्मू के सरवाल इलाके के रहने वाले शाम लाल शर्मा ने बताया कि वर्ष 1969 में भी अमरनाथ यात्रा के दौरान इसी तरह बादल फटा था। उस दौरान तो आज की तरह यात्रा प्रबंध नहीं हुआ करते थे। वह करीब दो सप्ताह तक यात्रा मार्ग पर फंसे रहे थे। न खाने को पर्याप्त खाना था और न ही पानी। यह यात्रा के दौरान पहला बड़ा हादसा था। मुझे आज भी याद है कि जुलाई 1969 में यह घटना हुई थी। उस हादसे में करीब 100 श्रद्धालुओं की जान गई।

वर्ष 1996 में गई थी 250 श्रद्धालुओं की जान : अगस्त 1996 की त्रासदी अमरनाथ यात्रा इतिहास में सबसे बड़ी त्रासदी मानी जाती है। उस दौरान भी अमरनाथ गुफा के नजदीक ही बादल फटा था। श्रद्धालु जब बाबा बर्फानी की भक्ति में ली थे, उसी दौरान पानी का तेज बहाव आया और श्रद्धालुओं को अपने साथ बहाकर ले गया। उस दौरान करीब 250 श्रद्धालुओं की चली गई थी।

वर्ष 2015 में बालटाल में फटा था बादल : वर्ष 2015 में बालटाल आधार शिविर के पास बादल फटने से काफी नुकसान हुआ था। इस दौरान लंगरों के अस्थायी ढांचे ध्वस्त हो गए थे और दो बच्चों समेत तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी।