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Assam: मजदूरों के बीच पहुंचीं प्रियंका गांधी, सिर पर टोकरी बांधकर तोड़ीं चाय की पत्तियां


असम विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी प्रदेश के दौरे पर हैं. इस दौरान उन्होंने चाय बागानों में मजदूरों से बातचीत की है. प्रियंका प्रदेश के बिश्वनाथ में सद्गुरु चाय बागान में पहुंची, जहां उन्होंने सिर पर टोकरी बांधकर चाय की पत्तियों को तोड़ा. दरअसल, असम में तीन चरणों में, 27 मार्च, एक अप्रैल और छह अप्रैल को विधानसभा चुनाव होने हैं और राजनीतिक पार्टियां जोर-शोर से चुनावी अखाड़े में अपने दांव अजमाने में जुट गई है.

बीते दिन प्रियंका गांधी ने कहा असम की बहुरंगी संस्कृति ही असम की शक्ति है. असम यात्रा के दौरान लोगों से मिलकर महसूस किया कि लोग इस बहुरंगी संस्कृति को बचाने के लिए वे पूरी प्रतिबद्धता से तैयार हैं. अपनी संस्कृति और विरासत बचाने के लिए असम के लोगों की लड़ाई में कांग्रेस पार्टी उनके साथ है.

प्रियंका गांधी वाद्रा ने दावा किया कि बीजेपी नेता देश भर में घूम-घूम कर संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) लागू करने की बातें कर रहे हैं, लेकिन असम में आते ही वे इस पर चुप्पी साध लेते हैं. सीएए के खिलाफ असम में 2019 में हिंसक प्रदर्शन हुए थे और उनमें पांच लोगों की जान चली गई थी. प्रदर्शनकारियों ने इस कानून को अपनी सांस्कृतिक पहचान और आजीविका के लिए खतरा बताया था.

कांग्रेस का गठबंधन बनाएगा सरकारः प्रियंका

प्रियंका ने कहा कि कांग्रेस और छह अन्य पार्टियों का महागठबंधन विधानसभा चुनाव के बाद असम में सरकार बनाएगा क्योंकि राज्य के लोग भाजपा के झूठे वादों से आजिज आ गए हैं. वह हाथ से बुनी हुई पारंपरिक असमिया ‘मेखला चादर’ ओढ़े हुए थीं. कांग्रेस नेता ने पार्टी कार्यकताओं को संबोधित करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ”चुनाव से पहले भाजपा बड़े-बड़े वादे करती है, लेकिन अगले पांच वर्षों के दौरान वे लोग उन्हें पूरा करने के लिए कुछ नहीं करेंगे और लोगों को यह समझ आ गया है.”

प्रियंका ने कहा, ”राज्य(असम) में इसका जिक्र करने का उनमें (बीजेपी नेताओं में) साहस नहीं है और असम के लोगों को उन्हें (भगवा पार्टी के नेताओं को) इस बारे में कभी बोलने तक नहीं देना चाहिए…” सीएए का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए ऐसे हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है, जो उन देशों में धार्मिक प्रताड़ना के चलते 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ गए थे.

बीजेपी को असम की सांस्कृतिक पहचान की फिक्र नहीं

कांग्रेस नेता ने अपने संबोधन की शुरुआत और समापन ‘जय असम माता’ के साथ की. उन्होंने कहा, ”आप पार्टी के लिए या अपनी सीट के लिए नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि असम की पहचान और अपनी मातृभूमि के लिए लड़ रहे हैं.” उन्होंने दावा किया कि बीजेपी-आरएसएस की विचारधारा ऐसी है जिसे इस राज्य की सांस्कृतिक पहचान और इससे जुड़े लोगों की फिक्र नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य में आए और ”असम चाय पर हमला होने” की बात कही, लेकिन राज्य की पहचान का क्या, जिस पर उनकी (मोदी सरकार की) नीतियों के चलते हमले हो रहे हैं.