अहमदाबाद, आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने गुजरात विधानसभा चुनाव में 5 सीटें जीतकर अच्छी शुरुआत की है। भले ही ‘आप’ की ये शुरुआत अच्छी हो लेकिन अब पार्टी के लिए विधायकों को एकजुट रखना कठिन हो रहा है। विसावदर सीट से चुनाव जीतने वाले ‘आप’ विधायक भूपत भायाणी (Bhupat Bhayani) कभी भी बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। उधर, बगावत कर चुनाव जीतने वाले 3 विधायकों की भी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल से मुलाकात की संभावना है।
बीजेपी से ‘आप’ में गए थे भायाणी
सौराष्ट्र की विसावदर सीट राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल की परंपरागत सीट मानी जाती है। केशुभाई के बाद हर्षद रिबडीया कांग्रेस के टिकट पर 2 बार विधायक चुने गए। गत चुनाव से पहले वो कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होकर चुनाव मैदान में उतरे थे लेकिन ‘आप’ के प्रत्याशी भूपत भायाणी ने उन्हें करीब 7 हजार के अंतर से हरा दिया। भायाणी बीजेपी गोत्र के हैं, 2 साल पहले ही वो पार्टी छोडकर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे। इससे पहले वो सरपंच भी रह चुके हैं।
बढ़ेगा बीजेपी का कुनबा
गुजरात में भूपेंद्र पटेल की अगुवाई में नई सरकार के गठन से पहले पार्टी का आंकडा 156 से बढकर 157 होना तय है उधर 3 निर्दलीय विधायक भी बीजेपी में शामिल होने की तैयारी में हैं। उत्तर गुजरात के अरवल्ली जिले की बायड सीट से निर्दलीय चुनाव जीतने वाले धवल सिंह झाला, वडोदरा जिले की वाघोडिया सीट से निर्दलीय विधायक धर्मेंद्र गोहिल एवं बनासकांठा की धानेरा सीट से निर्दलीय चुनाव जीतने वाले मावजी भाई देसाई भी बीजेपी में शामिल होने को तैयार हैं। अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो आगामी दिनों में ये तीनों विधायक भी बीजेपी के पाले में आ जाएंगे, वेसे ये तीनों भी बीजेपी गोत्र के ही हैं, टिकट नहीं मिलने के कारण बागी बन चुनाव लड़कर विधायक बने हैं।
अल्पेश के साथी हैं धवल सिंह
उत्तर गुजरात की बायड सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला के पुत्र को चुनाव हराने वाले धवल सिंह झाला ओबीसी समुदाय से आते हैं और 2017 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधायक चुने गए थे। अलपेश के साथ उन्होंने भी कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया था। उनके पिता नरेंद्र सिंह झाला भी विधायक रह चुके हैं। ओबीसी आंदोलन के दौरान धवल ने अल्पेश का पूरा साथ दिया। दोनों ने 2017 में अपना पहला चुनाव लड़ा और कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया वो अब दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। बीजेपी ने इस चुनाव में भिखीबेन परमार को टिकट दिया जिसके चलते धवल सिंह ने निर्दलीय चुनाव लडा। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी को 6 हजार के कम अंतर से चुनाव हराया है। कांग्रेस ने इस सीट पर पूर्व सीएम वाघेला के पुत्र महेंद्र सिंह को मैदान में उतारा पर वो काफी पिछड़ गए। महेंद्र सिंह 2012 में इस सीट से कांग्रेस विधायक रह चुके हैं।