News TOP STORIES नयी दिल्ली राष्ट्रीय लखनऊ

BJP National Executive Meet: हैदराबाद में कल से मंथन; परिवारवाद के खिलाफ मुहिम को और धार देगी भाजपा


 हैदराबाद। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में ठाकरे परिवार से मुक्त सरकार बनवाने के बाद शनिवार से हैदराबाद में शुरू होने जा रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा परिवारवाद के खिलाफ मुहिम को और धार देगी। झारखंड से लेकर तमिलनाडु तक पांच राज्यों में परिवार आधारित पार्टियों की सरकार हैं और तेलंगाना इसके ठीक बीच में है। परिवारवाद से मुक्ति की मुहिम दक्षिण के राज्यों में भाजपा का जनाधार बढ़ाने की रणनीति का अहम हिस्सा हो सकती है, जहां अभी तक पार्टी का प्रदर्शन कमजोर रहा है।

यूपी चुनाव के बाद भाजपा ज्‍यादा मुखर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुरू से राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ रहे हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद से भाजपा और ज्यादा मुखर हुई है।

पीएम मोदी ने परिवारवाद को लोकतंत्र के लिए बताया था खतरा

जयपुर में पिछले महीने हुई पार्टी की राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक को वीडियो कांफ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने परिवारवाद को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया था, जो प्रतिभाशाली युवाओं को उपयुक्त अवसरों से वंचित करने का काम करता है। उद्धव ठाकरे की जगह आटो ड्राइवर रहे एकनाथ ¨शदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनवाकर भाजपा ने साफ कर दिया है कि वह लोकतंत्र में परिवारवाद की जगह प्रतिभा के पक्ष में है।

टीआरएस को तीसरी जीत से रोकने की तैयारी में भाजपा

तेलंगाना में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही है और यहां मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के परिवार का सरकार और पार्टी (तेलंगाना राष्ट्र समिति-टीआरएस) दोनों पर कब्जा है। टीआरएस दो बार विधानसभा चुनाव जीत चुकी है और अगले साल दिसंबर में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव में फिर बाजी मारने की कोशिश में जुटी है।

भाजपा ने काफी पहले दिया था संकेत 

भाजपा इसे तोड़ना चाहती है। हैदराबाद के नगर निगम चुनाव में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत वरिष्ठ नेताओं को उतारकर भाजपा ने काफी पहले इसका संकेत भी दे दिया था। राष्ट्रीय कार्यकारिणी और उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी की रैली के माध्यम से भाजपा वस्तुत: दक्षिण भारत में विस्तार की तैयारी में जुटेगी।

तेलंगाना में सफलता से दक्षिण भारत में मिलेगी मजबूती

यदि भाजपा को तेलंगाना में सफलता मिलती है तो यह दक्षिण भारत में कर्नाटक के बाद दूसरा राज्य होगा, जहां पार्टी सत्ता में आएगी। कर्नाटक को छोड़कर दक्षिण के राज्यों में भाजपा की पैर जमाने की कोशिश अभी तक कामयाब नहीं हो पाई है।