सम्पादकीय

रूस और अमेरिकामें बढ़ती मित्रता

डा. गौरीशंकर राजहंस अमेरिका और रूस दोनों महाशक्तियां एक-दूसरेके मुकाबले काफी ताकतवर थीं और लगता भी नहीं था कि एक-दूूसरेकी ताकतमें कभी कोई कमी पड़ेगी। परन्तु ७० का दशक आते-आते रूस कमजोर पड़ता गया और पड़ोसके जिन देशोंपर उसने नियंत्रण कर रखा था वह देश धीरे-धीरे रूससे किनारा कर आजाद होते गये। आर्थिक दृष्टिसे भी […]

सम्पादकीय

ईश्वरीय वरदान

श्रीराम शर्मा सरसता हृदयका शृंगार, ईश्वरका वरदान है। सहृदय मानवको ईश्वरीय गुणों से लबालब होते देखा गया है। सरस बनिएए सरसताका अभिप्राय कोमलता, मधुरता, आद्रता है। सहृदय व्यक्तिपर दु:खकातर होता है। दूसरोंके दु:खोंको बंटानेमें वह ईश्वरीय आनन्दका अनुभव करता है, जिनके हृदय नीरस हैं, वह स्वयं और परिवारको ही नहीं अपने संपर्कमें आनेवाले हर प्राणीको […]

सम्पादकीय

सिर्फ सहमति पर्याप्त नहीं

पूर्वी लद्दाखके गलवानमें भारतीय-चीनी सैनिकोंके बीच हुई हिंसक झड़पके बाद पटरीसे उतरी वार्ता फिरसे शुरू होनेके संकेत स्वागतयोग्य है। दोनों देशोंने पूर्वी लद्दाखमें शान्ति बनाये रखनेपर सहमति जतायी है। दोनों सेनाओंके बीच अबतक ११ दौरकी सैन्य स्तरकी वार्ता हो चुकी है, जिसमें दोनों देशोंकी सेनाओंको पीछे हटने समेत कई मुद्दोंपर सहमति बनी थी लेकिन चीनकी […]

सम्पादकीय

चीनमें मानव अधिकारोंका उल्लंघन

डा. भरत झुनझुनवाला  हांगकांगमें लोकतंत्रकी हत्या, ऊईघुर मुसलमानोंपर अत्याचार एवं हांगकांगके मीडिया मुजल जैक माको हिरासतमें लिये जानेको लेकर चीनकी भत्र्सना की जा रही है। कहा जा रहा है कि चीन अंतरराष्ट्रीय कानूनोंके उल्लंघनमें अपनी जनताके मानवाधिकारोंका हनन कर रहा है। इस संदर्भमें १९४८ में संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार घोषणापत्रकी धाराओंपर पुनर्विचार करना चाहिए। […]

सम्पादकीय

दार्शनिक अनुभूतियोंके निष्कर्ष

हृदयनारायण दीक्षित     मनोनुकूल वक्तव्य प्रिय लगते हैं। हम सब वरिष्ठोंके वक्तव्य सुनते हैं। वक्ता कभी-कभी हमारे मनकी बात भी कहते हैं। वक्ता मूलत: अपने मनकी बात करते हैं लेकिन उसके मनकी बात हमारे मनसे मिलती है। हम प्रसन्न होते हैं। हम मनोनुकूल वक्तव्य सुनकर ही वक्तासे प्रभावित होते हैं। दूसरेसे प्रभावित होनेका मुख्य कारण हमारा […]

सम्पादकीय

दो राष्टï्रपतियोंकी मुलाकातके निहितार्थ

आर.डी. सत्येन्द्र कुमार महाशक्तियोंके बीचके सम्बन्ध अन्तर्विरोधसे भरपूर होते हैं। अभी वह सहयोग दर्शाता है तो कुछ ही समय बाद वह संघर्षकी मौजूदगीकी तस्वीर पेश करता है। कुल मिलाकर उनके सम्बन्ध अस्थिरता प्रदर्शित करते हैं। बाइडेनके नेतृत्वमें अमेरिका एवं पुतिनके नेतृत्वमें रूस एक अरसेसे इसी अस्थिर स्थितिको प्रदर्शित करते रहे हैं। एक दौर था जब […]

सम्पादकीय

समाधि

जग्गी वासुदेव समाधि किसे कहते हैं। समाधि शब्दको ज्यादातर गलत समझा गया है। लोग समाधिको मौत जैसी कोई परिस्थिति मान लेते हैं। समाधि शब्द दो शब्दोंसे मिलकर बना है ‘समÓ और ‘धीÓ। ‘समÓ का मतलब है एक जैसा होना और ‘धीÓ का मतलब बुद्धि है। यदि आप बुद्धिके एक समान स्तरपर पहुंच जायं, जहां आप […]

सम्पादकीय

बेहतरीके लिए संवाद

जम्मू-कश्मीरमें तेजीसे चल रही परिसीमन प्रक्रियाके बीच दिल्लीमें प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीकी पहलपर आयोजित सर्वदलीय बैठक काफी सफल और सार्थक रही। अनुच्छेद ३७० हटाये जानेके बाद आयोजित पहली बैठक राज्यके विभिन्न दलोंके नेताओं और केन्द्र सरकारके बीच द्विपक्षीय संवादका प्रभावशाली माध्यम भी बना। सहभागी नेताओंने खुले मनसे अपनी बातें रखी और सरकारकी ओरसे भी विकास […]

सम्पादकीय

वैदिक शिक्षाका आदर्श चरित्र

डा. वरिंदर भाटिया     देशकी अनूठी विरासतके रूपमें वैदिक शिक्षाकी काफी खूबियां रही हैं। हमारा वर्तमान शिक्षाजगत इनसे ज्यादा नहीं है। इसलिए वैदिक शिक्षासे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओंसे अवगत होना जरूरी है। वैदिक शिक्षा सांस्कृतिक दृष्टिपर बल देती है। इसके मुताबिक शिक्षित व्यक्तिको साहित्य, कला, संगीत आदिकी समझ होनी चाहिए। उसे जीवनके उच्च आदर्शोंका ज्ञान भी […]

सम्पादकीय

कितनी घातक होगी तीसरी लहर

डा. दीपकुमार शुक्ल     अनलाक प्रक्रियाके बाद देशमें कोरोना संक्रमितोंका आंकड़ा ३,००,८२,७७८ तथा मरनेवालोंकी संख्या ३,९१,९८१ पहुंच गयी है। हालांकि मरनेवालोंकी संख्याके सरकारी आंकड़ोंपर अबतक कई बार अंगुली उठ चुकी है। कुछ समाचरपत्रों तथा चैनलोंके मुताबिक देशभरमें कोरोना संक्रमणसे मरनेवालोंकी संख्या ४२ लाखसे भी अधिक है। इनमें श्मशान घाटोंमें कोरोना प्रोटोकालके तहत होनेवाले अन्तिम संस्कारके आंकड़ों […]