सम्पादकीय

सिर्फ सहमति पर्याप्त नहीं


पूर्वी लद्दाखके गलवानमें भारतीय-चीनी सैनिकोंके बीच हुई हिंसक झड़पके बाद पटरीसे उतरी वार्ता फिरसे शुरू होनेके संकेत स्वागतयोग्य है। दोनों देशोंने पूर्वी लद्दाखमें शान्ति बनाये रखनेपर सहमति जतायी है। दोनों सेनाओंके बीच अबतक ११ दौरकी सैन्य स्तरकी वार्ता हो चुकी है, जिसमें दोनों देशोंकी सेनाओंको पीछे हटने समेत कई मुद्दोंपर सहमति बनी थी लेकिन चीनकी आनाकानीके चलते समझौतोंको अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। साथ ही वार्ताके क्रमपर भी विराम लग गया। अब एक बार फिर दोनों देशोंने पूर्वी लद्दाखमें शान्ति बनाये रखनेपर न सिर्फ सहमति जतायी, बल्कि १२वें दौकी सैन्य स्तरकी वार्ताके लिए राजी हो गये हैं, ताकि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सटे इलाकोंमें टकराववाली सभी जगहोंसे सेनाओंकी पूर्ण वापसी हो सके। भारतीय परराष्टï्र मंत्रालयने बताया कि भारतीय और चीनी दोनों पक्ष कूटनीतिक और सैन्य तंत्रके माध्यमसे वार्ता जारी रखनेके साथ ही जमीनी स्तरपर स्थिरता बनाये रखने और किसी भी अप्रिय स्थितिको टालनेपर सहमत हुए हैं। यह एलएसीपर शान्ति बनाये रखनेकी दिशामें अच्छी पहल है। इसकी सराहना होनी चाहिए लेकिन सिर्फ सहमति बनना कोई मायने नहीं रखता। इसका प्रभाव धरातलपर दिखना चाहिए। शान्तिबहालीके लिए बनी सहमतिकी सार्थकता तभी है जब इसे दोनों पक्ष पूरी ईमानदारीसे अमलमें लायें। चीन एक धूर्त देश है। इसकी कथनी और करनीमें जमीन-आसमानका फर्क है। यह अपने वादेपर कितना खरा उतरेगा, यह तो आनेवाला समय ही बतायेगा। इसलिए भारतको सतर्क रहनेकी जरूरत है, क्योंकि पूर्वी लद्दाखमें चीनकी नापाक हरकतें अब भी जारी हैं। इसके परिप्रेक्ष्यमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंहका शुक्रवारको दिया गया सख्त सन्देश महत्वपूर्ण है कि हम शान्ति चाहते हैं लेकिन किसी भी दुस्साहससे निबटनेके लिए पूरी तरह तैयार हैं। वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरियाने भी पूर्वी लद्दाखमें सीमापर चीनके साथ गतिरोधकी स्थितिमें तत्काल सक्रियता दिखानेके लिए पश्चिमी हवाई कमानको तैयार रहनेका निर्देश दिया है जो समयानुकूल है, क्योंकि चीनने जिस तरह एलएसीपर अपने सैनिकोंकी संख्या बढ़ा रहा है और सैन्य तैयारियोंको बढ़ावा दे रहा है उससे उसकी बदनीयती परिलक्षित हो रही है। भारतसे शान्तिबहालीके लिए वार्ता उसकी कुटिल चालका एक हिस्सा हो सकती है, इसलिए भारतको सतर्क रहने और चीनकी गतिविधियोंपर कड़ी निगरानी रखनेकी जरूरत है।

राहतकारी कदम

कोरोनाके इलाजपर होनेवाले खर्च और कोरोनासे मृत्युके मामलेमें आश्रितोंको मिलनेवाली मदद राशिको आयकरसे मुक्त कर केन्द्र सरकारने लोगोंको राहत पहुंचानेका काम किया है। इससे जिन्होंने मदद की है, वह तो लाभान्वित होंगे ही साथ ही जिन्होंने अपनोंको खोया है वह भी राहत महसूस करेंगे। आयकर विभागने कोरोनाके इलाजपर खर्चके लिए ली गयी मददको आयकरके दायरेसे बाहर रखनेका फैसला कर घावको भरनेका काम किया है। आयकर विभागने साफ किया है कि कोरोनाके इलाजके लिए कई करदाताओंने अपने नियोक्ता या फिर किसी अन्यसे जो भी मदद ली है, वह आयकरसे मुक्त रहेगी। कोरोनासे मौतके मामलेमें मृतककी कम्पनी या स्वजनोंसे मिली मददपर भी एक सीमातक आयकर नहीं लगेगा। कम्पनियोंके लिए इस मामलेमें अपने मृतक कर्मचारीको दी गयी मददकी कोई ऊपरी सीमा नहीं रखी गयी है, जबकि स्वजन या अन्यकी तरफसे आश्रितोंको मिली अधिकतम दस लाखतककी रकमको आयकरकी परिधिसे बाहर रखा गया है। इसके साथ ही आयकर विभागने करदाताओंको राहत पहुंचानेके दस्तावेज जमा करनेकी समय-सीमाको विस्तार दिया है। आधारसे पैनको लिंक करनेकी अन्तिम तिथि ३० जून थी लेकिन अब इसे ३० सितम्बरतक जोड़ा जा सकेगा। प्रत्यक्ष कर विवाद समाधान योजना विवादसे विश्वासके तहत भुगतानकी समय-सीमा दो महीने बढ़ाकर ३१ अगस्त कर दिया है। इसी तरहके इक्वालाइजेशन लेवी रिटर्न दाखिल करनेकी समय-सीमा तीन महीने बढ़ाकर इस वर्ष ३० सितम्बर कर दी है। आयकर विभागके इस फैसलेसे करदाताओंको मौका मिलनेके साथ राहत भी मिलेगी इससे करदाता समयसे अपना भुगतान कर सकेंगे और असुविधासे भी बच सकेंगे। करदाताओंके मामलोंको निबटानेके लिए इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (आईटीएटी) के तहत ई-फाइलिंग पोर्टल भी लांच किया गया है। इससे करदाताओंकी मुश्किलें कम भी होगी और उनके मामलोंका त्वरित निस्तारण भी सम्भव हो सकेगा। यह सरकारका राहतकारी कदम है। इससे करदाताओंको सुविधा मिलेगी।