सम्पादकीय

योगीकी बढ़ती लोकप्रियतासे परेशान विपक्ष

अवधेश कुमार निस्संदेह उन लोगोंको निराशा हाथ लगी है जो मानकर चल रहे थे कि पश्चिम बंगालमें अपेक्षित सफलता न मिलनेके बाद भाजपा चुनाव पूर्व उत्तर प्रदेशमें नेतृत्व परिवर्तन करेगा। भारतीय राजनीतिमें उत्तर प्रदेशका महत्व हमेशा रहा है। कांग्रेस जबसे उत्तर प्रदेशसे साफ हुई राष्ट्रीय स्तरपर भी उसकी शक्ति कमजोर हुई। वर्ष २००९ में लंबे […]

सम्पादकीय

आध्यात्मिक प्रयास

श्रीराम शर्मा  प्रत्येक मानवका धर्म, सामान्यसे ऊपर, वह कर्तव्य है, जिसे अपनाकर लौकिक, आत्मिक उत्कर्षके मार्ग प्रशस्त हो जाते हैं। धर्म अर्थात जिसे धारण करनेसे व्यक्ति एवं समाजका सर्वांगीण हित साधन होता है। आस्तिकता और कर्तव्य परायणताको मानव जीवनका धर्म, कर्तव्य माना गया है। इनका प्रभाव सबसे पहले अपने समीपवर्ती स्वजन शरीरपर पड़ता है। इसलिए […]

सम्पादकीय

सीमापर युद्ध जैसी तैयारी

चीन और पाकिस्तान भारतके खिलाफ गहरी साजिशको अंजाम देनेकी दिशामें जुट गये हैं लेकिन उन्हें इसमें कोई सफलता मिलनेवाली नहीं है। चीन और पाकिस्तानकी सेनाएं इन दिनों युद्ध जैसी तैयारियोंमें सक्रिय हो गयी हैं। भारतके साथ सामान्य स्थिति बनानेकी आड़में दोनों देशोंकी वायुसेनाएं पूर्वी लद्दाखसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पार तिब्बतमें २२ मईसे ही […]

सम्पादकीय

अभिव्यक्तिकी रक्षासे स्वस्थ लोकतंत्र

डा. श्रीनाथ सहाय     देशके संविधानमें अनुच्छेदका दुरुपयोग राजनीतिक अस्त्रके रूपमें किया जाता है। बीते सप्ताह सुप्रीम कोर्टके दो फैसलोंमें सरकारोंके कामकाजकी आलोचना या टिप्पणी करनेके मीडियाके अधिकार रक्षाका स्वर मुखर हुआ। अदालतका मानना था कि तबतक मीडियाकर्मियोंकी राजद्रोहके प्रावधानोंसे रक्षा की जानी चाहिए जबतक कि किसीका हिंसाको उकसाने या सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करनेका कोई इरादा […]

सम्पादकीय

मौलिक अधिकारोंका बाधक बालश्रम

अतुल गोयल बालश्रमके खिलाफ हर साल १२ जूनको विश्व बालश्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। पहली बार यह दिवस वर्ष २००२ में बालश्रमको रोकनेके लिए जागरूकता और सक्रियता बढ़ानेके लिए शुरू किया गया था। बालश्रम इतनी आसान समस्या नहीं है, जितनी लगती है। बच्चोंको उनकी इच्छाके विरुद्ध किसी भी प्रकारके काममें शामिल करनेका कार्य है […]

सम्पादकीय

सुनहरे भविष्यको अंधकारमय बनाता बालश्रम

डा. प्रितम भि. गेडाम कोरोना महामारीने सम्पूर्ण विश्वको झकझोर कर रख दिया है, विश्वकी दूसरी सबसे ज्यादा आबादीवाले भारत जैसे विकासशील देशमें कोरोनाने देशकी अर्थव्यवस्था खराब कर दी। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इस कोरोना महामारीने देशमें ३० हजारसे ज्यादा बच्चोंको अनाथ कर दिया है। सबसे ज्यादा नुकसान निम्न मध्यम वर्गके गरीब परिवारको हुआ और […]

सम्पादकीय

जीवन-मरण

ओशो जिंदगीमें कई बार हारका सामना करना पड़ता है। कुछ लोग हारसे टूट जाते हैं, कुछ फिरसे जुट जाते हैं और कुछ लोग हारको जीतकी ओर रखा एक कदम मानते हैं। परन्तु जब बात जीवन-मरणका हो तो उसे तो जीतना ही पड़ता है। दूसरा यह कि आपके सामने जबतक संकट खड़ा नहीं होगा तबतक आप […]

सम्पादकीय

सुखद संकेत

कोरोना वायरसकी दूसरी लहरका दौर कमजोर तो अवश्य हुआ है लेकिन अभी यह समाप्त नहीं हुआ है। गुरुवारको केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओरसे जारी आंकड़ोंके अनुसार पिछले २४ घण्टोंके दौरान जहां नये संक्रमणके मामले एक लाखसे नीचेके स्तरपर बने रहे वहीं मृतकोंकी संख्या सर्वाधिक ६१४८ रही। बिहारने अपने मौतके आंकड़ोंमें संशोधन किया है, जिसके चलते यह […]

सम्पादकीय

अनलाकमें दिशानिर्देशोंका पालन

आशीष वशिष्ठ देशमें कोरोनाकी दूसरी लहरका ज्यादा घातक होना हम सबकी लापरवाही और कोरोना प्रोटोकालकी अनदेखीका ही नतीजा था। अच्छी बात है कि देशके कई राज्योंमें अनलाककी प्रक्रिया शुरू हो गयी है। परन्तु इसके साथ हमारी जिम्मेदारी बढ़ गयी है। राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्टï्र समेत कई दूसरे राज्योंमें लाकडाउन कुछ शर्तोंके साथ और सीमित […]

सम्पादकीय

अन्नदाताकी मेहनतका परिणाम

डा. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा खरीफ फसलोंकी एमएसपीकी घोषणा करते हुए आयोगनेफसलोंकी एमएसपीमें भी उल्लेखनीय वृद्धि कर दलहनी फसलोंके प्रति काश्तकारोंको प्रेरित करनेका प्रयास किया है। पिछले सात महीनोंसे चल रहे किसान आन्दोलनको देखते हुए यह सरकारका एकतरफा परन्तु सकारात्मक निर्णय माना जा सकता है। २००४ में एमएस स्वामीनाथन आयोगने अपनी सिफारिशमें न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित […]