सम्पादकीय

कांग्रेसकी वर्तमान दशा और दिशा

 डा. धनंजय सहाय कहते हैं वक्त सबको सिखा देता है परन्तु शायद यह बात कांग्रेसपर सटीक नहीं बैठती। एकके बाद एक चुनावोंमें मुंहकी खाने एवं सिकुड़ते जनाधारके बावजूद अंग्रेजोंके जमानेका सबसे पुराना भारतीय राजनीतिक दल मानो हम नहीं सुधरेंगेकी कसम खाकर बैठा है। अभी पिछले दिनों कांग्रेस कार्यसमितिकी बैठकमें अपने पूर्णकालिक अध्यक्षके लिए २३ जूनको […]

सम्पादकीय

सुव्यवस्था 

श्रीराम शर्मा आजके समयमें मनुष्यके बाहर-भीतर शांति तथा सुव्यवस्था स्थापित करनेके लिए आध्यात्मिक प्रयास ही सार्थक हो सकते हैं। श्रद्धा, भावना, तत्परता एवं गहराई इन्हींमें समाहित है। हर मानवका धर्म, सामान्यसे ऊपर, वह कर्तव्य है, जिसे अपना कर लौकिक, आत्मिक उत्कर्षके मार्ग प्रशस्त हो जाते हैं। धर्म अर्थात्ï जिसे धारण करनेसे व्यक्ति एवं समाजका सर्वांगीण […]

सम्पादकीय

डीएमने की कार्योंके प्रगतिकी समीक्षा

परियोजनाओंमें लापरवाही बरतनेपर फ टकार मीरजापुर। जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने कलेक्ट्रेट सभागार में शुक्रवार को अमृत योजना, नमामि गंगे तथा ग्रामीण जलापूर्ति के कार्यो की प्रगति समीक्षा किया तथा सम्बंधित अधिकारियों एवं कार्यदायी सस्थाओ को कार्य में तेजी लाते हुये समय से पूरा करने का निर्देश दिया। समीक्षा के दौरान अमृत योजनान्तर्गत परियोजना के […]

सम्पादकीय

किसानोंका उत्साहवर्धन

पूरा देश जहां कोरोनासे जूझ रहा है वहीं संकटकी इस घड़ीमें किसानोंने लगन और परिश्रमसे  कृषि पैदावारमें उल्लेखनीय वृद्धि की है। शुक्रवारको प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने ‘प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि योजनाÓ के तहत साढ़े नौ करोड़ किसान परिवारोंको आर्थिक लाभ जारी करनेके बाद किसानोंका उत्साहवर्धन किया है और कहा कि किसानोंने संकटके इस दौरमें […]

सम्पादकीय

संजीवनी बनेगी स्वदेशी दवा

योगेश कुमार गोयल     विश्वभरमें कोरोनासे निबटनेके लिए कई कम्पनियां अलग-अलग तरहकी वैक्सीन बना रही हैं, भारतमें भी कोरोनाके खिलाफ एंटीबॉडी बनानेके लिए कोवैक्सीन तथा कोविशील्डके जरिये बड़े स्तरपर वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है लेकिन एक तो देशकी पूरी आबादीका वैक्सीनेशन इतना आसान नहीं है, दूसरा कोरोना जिस प्रकार म्यूटेट हो रहा है और इसके नये-नये […]

सम्पादकीय

जीवनरक्षककी संदिग्ध भूमिका

ऋतुपर्ण दवे   नकली इंजेक्शन और दवाओंका कोरोना महामारीकी आपदाके बीच जो भांडाफोड़ हुआ, उससे दवा विक्रेताओंकी नीयतपर सवाल जरूर उठ खड़ा हुआ है। चंद विक्रेताओंसे लेकर कुछ फार्मा कम्पनियोंकी मिलीभगतकी जो सचाइयां सामने आयी हैं उसने हर किसीको परेशान कर दिया है। बेशक आपदाके इस अवसरमें कागजकी दौलतको अपना भगवान बनानेवाले चंद कथित हत्यारोंके चलते […]

सम्पादकीय

सकारात्मक दृष्टिकोणकी आवश्यकता

प्रो. मनोज डोगरा कोरोना महामारी एक ऐसा काल बनकर पूरे विश्व एवं हमारे देश, प्रदेश, घर-गांवपर ऐसा मंडराया है मानो अपनी जान बचाना ही इस समय जन्म लेनेकी यथार्थता हो गयी हो। इस महामारीने न जाने कितनोंको अपनोंसे जुदा कर दिया और न जाने अभी यह कोरोना महामारी कितनोंको अपने आगोशमें ले जानेके लिए विषैली […]

सम्पादकीय

क्रोधके वशीभूत 

सीताराम क्रोध जीवनमें लक्ष्यपूर्तिमें सबसे बड़ी बाधा है। क्रोधकी अवस्थामें व्यक्तिके शरीरमें स्थित अंत:स्रावी ग्रंथियोंसे ऐसे हार्मोंस उत्सर्जित होकर खूनमें मिल जाते हैं जो हमारे शरीरके लचीलेपनको समाप्त कर उसे कठोर बना डालते हैं। इससे हम अपनी मांसपेशियों और अंग-उपांगोंपर नियंत्रण खो बैठते हैं। इससे हमारी कार्य करनेकी स्वाभाविक गति एवं सहजता नष्ट हो जाती […]

सम्पादकीय

टीकेपर बड़ा भरोसा

कोरोना महामारीके खिलाफ जंगमें सबसे बड़ा संकट संसाधनोंका है। आक्सीजनकी आपूर्ति बढ़ानेकी दिशामें अवश्य सुधार हुआ है लेकिन पूरे देशमें टीकेका गम्भीर संकट बना हुआ है। इससे टीकाकरण अभियान प्रभावित हुआ है और टीकेके लिए पात्र लोगोंमें भी असन्तोष है। अनेक टीकाकरण केन्द्रोंपर कार्य ठप हो गया है। इस मुद्देपर केन्द्र और राज्योंके बीच तकरारकी […]

सम्पादकीय

सामुदायिक संक्रमणकी आशंका

डा. श्रीनाथ सहाय           ग्रामीण अंचलोंमें कोरोनाके प्रसारने सबकी चिंताको बढ़ा दिया है। बड़े शहरों और नगरोंके बाद कोरोना कस्बों और खासकर गांवोंकी तरफ फैलने लगा है। छत्तीसगढ़की तस्वीर डरानेवाली है, जहां करीब ८९ फीसदी संक्रमित मामले ग्रामीण इलाकोंसे आये हैं। इसके अलावा हिमाचल, बिहार, ओडिशा, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीरके गांवोंमें ६५ फीसदीसे ७९ […]