स्वास्थ्य मन्त्रालय द्वारा ९ अप्रैलकी सुबह जारी आंकड़ोंके अनुसार २४ घण्टे में १,३१,९६८ नये मामले सामने आये और ७८० लोगोंकी मृत्यु हो गयी। इस तरहसे देशमें कोरोना संक्रमितोंकी कुल संख्या एक १,३०,६०,५४२ हो गयी है। जो निरन्तर बढ़ रही है। वहीं कोविड-१९ से अबतक मरनेवालोंका आंकड़ा १,६७,६४२ पर पहुंच गया है। यद्यपि इस बीमारीसे लड़कर […]
सम्पादकीय
दिग्भ्रमित दौरमें दलित राजनीति
भारतीय दलित राजनीति वर्तमान समयमें सर्वाधिक दिग्भ्रमित दौरमें है। दुर्भाग्यसे वर्तमान समय ही इतिहासका वह संधिकाल या संक्रमणकाल है जबकि दलित राजनीतिको एक दिशाकी सर्वाधिक आवश्यकता है। भीम मीमके नामका सामाजिक जहर बाबासाहेब अम्बेडकरके समूचे चिंतनको लील रहा है। भीम मीमके इतिहासको देखना, पढ़ना एवं समझना आजके अनसुचित जाति समाजकी सबसे बड़ी आवश्यकता हो गयी […]
सख्त कदम जरूरी
देशमें कोरोना संक्रमणके मामले जिस तेज गतिसे बढ़ रहे हैं उसे देखते हुए अब सर्वाधिक प्रभावित दस राज्योंको सख्त कदम उठाने की जरूरत है क्योंकि ८०.८ प्रतिशत मामले दस राज्योंमें ही सामने आये हैं। इन राज्योंमें महाराष्टï्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और केरल शामिल हैं, जहां प्रतिदिन मामले लगातार […]
दिग्भ्रमित दौरमें दलित राजनीति
प्रवीण गुगनानी भारतीय दलित राजनीति वर्तमान समयमें सर्वाधिक दिग्भ्रमित दौरमें है। दुर्भाग्यसे वर्तमान समय ही इतिहासका वह संधिकाल या संक्रमणकाल है जबकि दलित राजनीतिको एक दिशाकी सर्वाधिक आवश्यकता है। भीम मीमके नामका सामाजिक जहर बाबासाहेब अम्बेडकरके समूचे चिंतनको लील रहा है। भीम मीमके इतिहासको देखना, पढऩा एवं समझना आजके अनसुचित जाति समाजकी सबसे बड़ी आवश्यकता […]
बेहद चिन्ताजनक है कोरोनाकी दूसरी लहर
डा. दीपकुमार शुक्ल स्वास्थ्य मन्त्रालय द्वारा ९ अप्रैलकी सुबह जारी आंकड़ोंके अनुसार २४ घण्टे में १,३१,९६८ नये मामले सामने आये और ७८० लोगोंकी मृत्यु हो गयी। इस तरहसे देशमें कोरोना संक्रमितोंकी कुल संख्या एक १,३०,६०,५४२ हो गयी है। जो निरन्तर बढ़ रही है। वहीं कोविड-१९ से अबतक मरनेवालोंका आंकड़ा १,६७,६४२ पर पहुंच गया है। यद्यपि […]
न्यायिक व्यवस्थामें महिला जजोंका योगदान
प्रो बिभा त्रिपाठी अप्रैल २०१८ में सर्वोच्च न्यायालयकी न्यायाधीश नियुक्त होने वाली ऐसी पहली महिला जिन्हें बेंचमें आनेका मौका मिला उन्होंने अपने विदाई समारोहमें लैंगिक विविधता की बात करते हुए इसे समाजके लिए लाभकारी बताया। आपने कहा कि जब न्यायपालिका में पर्याप्त संख्यामें महिलाएं होंगी तब पुरुष एवं महिला जजोंके बीच भेद नहीं किया जाएगा। […]
ध्यान की प्यास
ओशो एक मित्र ने पूछा है कितने समय में हम ध्यानको उपलब्ध हो सकेंगे। कोई सामान्य उत्तर नहीं हो सकता है। क्योंकि ध्यानको कितने समय में उपलब्ध हो सकेंगेए यह मुझ पर नहीं, आपपर निर्भर है। और इसके लिए कुछ ऐसा नहीं हो सकता कि सभी लोग एक ही समय में उपलब्ध हो सकें। आपकी […]
अम्बेडकरके विचारोंको आत्मसात करना जरूरी
भारतरत्न बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर अपने अधिकांश समकालीन राजनीतिज्ञोंकी तुलनामें राजनीतिके खुरदुरे यथार्थकी ठोस एवं बेहतर समझ रखते थे। नारों एवं तकरीरोंकी हकीकत वह बखूबी समझते थे। जाति-भेद एवं छुआछूतके अपमानजनक दंशको उन्होंने केवल देखा-सुना-पढ़ा ही नहीं, अपितु भोगा भी था। तत्कालीन जटिल सामाजिक समस्याओंपर उनकी पैनी निगाह थी। उनके समाधान हेतु वह आजीवन […]
शिक्षा ही सामाजिक बुराइयोंका इलाज
भारत जैसे लोकतांत्रिक राष्ट्रमें लोकतांत्रिक मूल्योंकी मजबूती उसके संविधानपर टिकी हुई है। संविधानमें निहित प्रावधान कई कारकोंको ध्यानमें रखकर बनाये जाते हैं, ताकि उनके अनुपालनके जरिये एक समावेशी और लोकतांत्रिक व्यवस्थाका मजबूतीसे निर्माण किया जा सके। शिक्षा, एक ऐसा ही कारक है, जिसपर समुचित ध्यान दिये बिना न्यायके साथ विकासकी अवधारणा पूरी नहीं हो सकती […]
सावधानी और सतर्कतासे ही बचेगा जीवन
हमारे पास कोरोना वैक्सीन उपलब्ध हैं। वहीं तस्वीरका दूसरा रुख यह कि कोरोनाकी दूसरी लहरका कहर दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। चिकित्सा क्षेत्रसे जुड़े अनुभवी लोग भी कोरोनाकी बदले हुए रूपको लेकर भ्रमित है। संक्रमणकी तीव्रता मरीज और डाक्टर दोनोंका बचाव और संभलनेका अवसर ही नहीं दे रही है, नतीजन मौतका आंकड़ा लगातार बढ़तकी […]