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Coal : दरवाजे पर मानसून, केंद्र के दबाव के बावजूद राज्यों में कोयला आयात करने को लेकर उत्साह नहीं


 नई दिल्ली। मानसून दो दिनों बाद भारत के दक्षिणी हिस्से में दस्तक दे देगी। जून महीने के अंत तक पूरे देश में मानसून के बादल छाये होंगे। लेकिन मानसून के आने से पहले ताप बिजली घरों में पर्याप्त कोयला स्टाक करने के काम में संतोषजनक प्रगति नहीं है। अगर मई महीने की बात करें तो इस महीने की शुरुआत में देश के सभी ताप बिजली संयंत्रों के पास आवश्यकता का अगर 59 फीसद कोयला था जो 29 मई, 2022 के आंकड़े बताते हैं कि यह स्टाक बढ़ कर 60 फीसद हो गया है। मानसून के पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक जैसे राज्यों में पहुंचते ही कोयला खनन का काम प्रभावित होने की संभावना है। इस खतरे को देख कर ही सेंटर फॉर रिसर्च आन इनर्जी एंड क्लीन एयर (क्रिया) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जुलाई-अगस्त के महीने में बिजली संकट गहरा सकती है।

उधर, विदेशों से कोयला ज्यादा आयात कर घरेलू संयंत्रों को कोयला आपूर्ति बढ़ाने की बिजली मंत्रालय की योजना भी खास आगे नहीं बढ़ पाई है। 05 मई, 2022 को ही बिजली मंत्रालय ने बिजली कानून की धारा 11 को लागू करते हुए देश की सभी ताप बिजली घरों को कुल कोयला खपत में 10 फीसद बाहर से आयात करने का निर्देश दिया था। इसके बाद बिजली मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र लिख कर मई, 2022 के अंत तक आवश्यक कोयला का आर्डर करने को कहा था। लेकिन इस बात के संकेत नहीं है कि केंद्र की तरफ से लिखे गये इस पत्र का राज्यों पर कोई खास असर हुआ है।

 

आयातित कोयला अभी भी घरेलू कोयले के मुकाबले 4-5 गुणा ज्यादा महंगा

महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने पूरी तरह से हाथ खड़ा कर दिया है। कारण यह बताया जा रहा है कि आयातित कोयला अभी भी घरेलू कोयले के मुकाबले 4-5 गुणा ज्यादा महंगा है और 10 फीसद मिश्रण से ही उनके प्लांट से बनने वाली बिजली की लागत बेतहाशा बढ़ जाएगी। राज्यों के इस रवैये को देख कर बिजली मंत्रालय ने अब सरकारी क्षेत्र की कोल इंडिया को ही विदेशों से कोयला आयात करने का निर्देश दिया है।