मीडिया को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा, ‘इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से फैस्टैग के जरिए कलेक्शन करने से टोल प्लाज़ा पर होने वाली देरी से छुटकारा मिला है. इससे ईंधन की खपत में सालाना 20,000 करोड़ रुपये की बचत होगी. उन्होंने जनकारी दी कि रेवेन्यू में भी 10,000 करोड़ रुपये सालाना की बढ़त होगी.
फास्टैग के जरिए 104 करोड़ रुपये का कलेक्शन
फैस्टैग की अनिवार्यता के बाद टोल कलेक्शन में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने बताया कि फास्टैग के जरिए टोल कलेक्शन का आंकड़ा 104 करोड़ रुपये के पार जा चुका है.
टोलिंग के लिए नई जीपीएस सिस्टम तैयार कर ही है सरकार
गडकरी ने बताया कि टोलिंग के लिए एक नई जीपीएस सिस्टम भी तैयार किया जा रहा है. इससे हाईवे पर चलने वाले वाहनों को उनके एंट्री और एग्ज़िट के आधार पर ही पेमेंट करने में सहूलियत मिल सकेगी. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि इस सिस्टम को लागू करने में फिलहाल 2 साल तक का समय लग सकता है.
टोल प्लाज़ा पर देरी से मिली निजता
दिसंबर 2016 में ई-टोलिंग सिस्टम को शुरू करने के बाद अब यह 794 टोल प्लाज़ा पर उपलब्ध हुई है. मार्च 2018 में यह केवल 403 ही थी. गडकरी ने कहा कि टोल प्लाज़ा की लाइव मॉनिटरिंग से केवल यही नहीं सुनिश्चित होगा कि किसी भी टोल प्लाज़ा की स्थिति क्या है, बल्कि पता चल सकेगा कि वहीं कैसी ट्रैफिक रहती है. उन्होंने कहा कि टोल प्लाज़ा पर अब एक मिनट से भी कम की देरी होती है.