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Govinda Naam Mera Review: कॉमेडी ने किया बंटाधार, थ्रिल ने बचायी विक्की कौशल स्टारर फिल्म की लाज


नई दिल्ली,  कार्तिक आर्यन की फ्रेडी के बाद इस हफ्ते विक्की कौशल की डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर गोविंदा मेरा नाम आयी है। फ्रेडी जहां डार्क थ्रिलर थी, वहीं गोविंदा नाम मेरा कॉमेडी थ्रिलर फिल्म है। हालांकि, थ्रिलर के साथ इसमें कॉन फिल्मों के तत्व भी शामिल हैं। शशांक खेतान निर्देशित गोविंदा नाम मेरा विशुद्ध बॉलीवुड मसाला फिल्म है, जिसमें मनोरंजन के सारे तत्व डाले गये हैं।

नैरेशन से लेकर फिल्म का ट्रीटमेंट इस तरह रखा गया है कि उसमें हास्य की अंतर्धारा रहे। कॉमेडी के साथ ट्विस्ट्स और टर्न्स को साधकर रखा गया है, ताकि रोमांच बरकरार रहे। फिल्म शुरू होने पर कॉमेडी का एहसास देती है, मगर बाद में थ्रिलर में परिवर्तित हो जाती है।

गोविंदा नाम मेरा, गोविंदा ए वाघमरे की कहानी है, जो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में डांसर है और हीरो के पीछे वाली लाइन में थिरकता नजर आता है, मगर खुद को बताता कोरियोग्राफर है। साथी डांसर सुकु से उसका प्रेम चल रहा है, जिसके साथ इंडस्ट्री में कुछ बड़ा करने का सपना भी देख रहा है। बीवी गौरी के अत्याचारों से परेशान है, जिसके हाथों तकरीबन हर रोज जलील होता है। गौरी तलाक देने को तैयार है, मगर इसके लिए गोविंदा को 2 करोड़ देने होंगे। कहानी का मुख्य ट्रैक, 150 करोड़ का प्रॉपर्टी विवाद है। जिस बंगले में गोविंदा अपनी मां आशा वाघमरे के साथ रहता है। इस जायदाद के पीछे चल रही कानूनी लड़ाई और इसे बचाने की जद्दोजहद फिल्म के केंद्र में है।

गोविंदा नाम मेरा का निर्देशन करने के साथ शशांक ने इसका लेखन भी किया है। करण जौहर की धर्मा प्रोडक्शंस के लिए शशांक हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया, बद्रीनाथ की दुल्हनिया और धड़क निर्देशित कर चुके शशांक ने पहली बार कॉमेडी थ्रिलर पर हाथ आजमाया है। फिल्म में बिल्डर के छोटे से किरदार में खुद नजर भी आये हैं। गोविंदा नाम मेरा की कहानी लिखने में शशांक ने ज्यादा दिमाग नहीं लगाया। फिल्म इंडस्ट्री के अंदर से ही किरदार उठा लिये हैं।

अगर, आप हिंदी फिल्मों के शौकीन हैं तो गोविंदा वाघमरे के स्वर्गवासी पिता को साउथ से आया फाइट डायरेक्टर दिखाया गया है, जो बॉलीवुड में फिल्में करने आता है। यहां उसे डांसर और जूनियर आर्टिस्ट आशा से प्यार हो जाता है। दोनों साथ में रहते हैं और गोविंदा का जन्म होता है। पिता की एक फिल्म करने के बाद ही डेथ हो जाती है और 150 करोड़ का बंगला मां-बेटे को मिल जाता है, जिसको लेकर गोविंदा की सौतेली मां और भाई से कानूनी लड़ाई चल रही है।

इस कहानी के कुछ तत्व सत्तर के दशक के बेहद मशहूर स्टंटमैन और फाइट कोरियोग्राफर से मिलते हैं, जिनका बेटा अब एक बहुत कामयाब निर्देशक है। गोविंदा नाम मेरा फिल्म की शुरुआत गोविंदा के सपने से होती है, जिसमें वो सुकु के साथ अतरंगी होने की कोशिश कर रहा है, मगर बीवी की लात से नींद खुलती है और हकीकत की चोट लगती है। इसके बाद फिल्म के दृश्य गोविंदा की जिंदगी को दिखाते फिल्म आगे बढ़ती है। कुछ ट्रैक्स और किरदार कहानी में जुड़ते हैं।

कहानी में मोड़ तब आता है, जब बंगले में गौरी की लाश मिलती है। पकड़े जाने के डर से गोविंदा प्रेमिका सुकु के साथ मिलकर लाश को बंगले में ही दफ्न कर देता है। फिल्म इस घटना के बाद ही पेस पकड़ती है। गौरी का कत्ल किसने किया, किसी साजिश है, गोविंदा इससे बच पाता है या नहीं, इसी घटनाक्रम पर कहानी आगे बढ़ती है।

अभिनय की बात करें को विक्की कौशल ने इसमें अपने अभिनय की ह्यूमरस साइड दिखाने की कोशिश है, जिसका ट्रेलर रणबीर कपूर स्टारर संजू में कमली के किरदार के रूप में दिखा चुके हैं। वैसे, इस फिल्म में भी रणबीर कपूर ने स्पेशल एपीयरेंस किया है। यह मजेदार सीक्वेंस है। उन्हें अपनी डांसिंग स्किल्स दिखाने का मौका भी मिला है।

खड़ूस बीवी गौरी के रोल में भूमि पेडनेकर ने ठीक काम किया है, मगर उनका किरदार लय में नहीं दिखता। कियारा आडवाणी फिल्म में काफी खूबसूरत लगी हैं और संघर्षरत डांस कोरियोग्राफर के किरदार में फिट भी लगी हैं। कियारा का किरदार गोविंदा नाम मेरा की कहानी को ट्विस्ट देता है। इसलिए इसके बारे में यहां ज्यादा बात करना ठीक नहीं।

लेखन के मोर्चे पर गोविंदा नाम मेरा औसत फिल्म है। संवादों में पंच ठूसे हुए लगते हैं। हालांकि, अभिनय के माध्यम से लेखन को साधने की कोशिश की गयी है। फिल्म का संगीत सामान्य है। रैप स्टाइल का पप्पी गाना सुनने में ठीक लगता है। अच्छी बात यह है कि फिल्म के गानों को सिचुएनल हैं।

कलाकार- विक्की कौशल, कियारा आडवाणी, भूमि पेडनेकर, रेणुका शहाणे, अमेय वाघ आदि।

निर्देशक- शशांक खेतान

निर्माता- करण जौहर

प्लेटफॉर्म- डिज्नी प्लस हॉटस्टार

अवधि- 2 घंटा 11 मिनट

स्टार- ढाई स्टार