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Hijab Row: कर्नाटक में फिर गहराया हिजाब विवाद, धरने पर बैठे यूनिवर्सिटी कालेज के छात्र


कर्नाटक, । कर्नाटक में हिजाब विवाद एक बार फिर छिड़ गया है। मंगलुरू के यूनिवर्सिटी कालेज में हिजाब नियम लागू न करने के लिए एबीवीपी के छात्रों ने कालेज प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है। छात्रों का कहना है कि कर्नाटक के सभी कालेजों में हिजाब पहनने की अनुमति नहीं है, लेकिन इस कालेज में छात्राएं हिजाब पहन रही हैं।

एबीवीपी ने मांग की है कि अगर कालेज में हिजाब पहनने की अनुमति दी जाती है तो उन्हें भी भगवा शाल पहनने की अनुमति दी जाए। अपनी मांगों को लेकर छात्र धरने पर बैठ गए हैं।

 

हिजाब विवाद की कैसे हुई शुरुआत?

कर्नाटक में हिजाब पहनने पर विवाद की शुरुआत उडुपी जिले के सरकारी पीयू कालेज में मुस्लिम समुदाय की 6 छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश न करने देने से हुआ था। इसके चलते हिजाब पहनने वाली छात्राओं को आनलाइन क्लास का विकल्प अपनाने को कहा गया था। छात्राओं ने कालेज के फैसले को मानने से इनकार कर दिया और हाईकोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की। इसके साथ ही छात्राओं ने इस फैसले के विराध में कक्षाओं का बहिष्कार कर रखा था। उडुपी के इसी कॉलेज से उठा हिजाब विवाद पूरे राज्य में फैल गया है।

 

कर्नाटक हाईकोर्ट ने 17 मार्च को सुनाया अहम फैसला

शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर जारी विवाद को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट ने 17 मार्च को अहम फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को खारिज कर दिया। सुनवाई के वक्त हाईकोर्ट ने कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है।

सरकारी आदेश का छात्रा-छात्राओं को करना होगा पालन

कोर्ट ने आगे कहा कि 5 फरवरी के सरकारी आदेश को अमान्य करने के लिए कोई केस नहीं बनता है। कोर्ट ने ये भी कहा कि स्कूल यूनिफार्म का प्रिस्क्रिप्शन एक उचित प्रतिबंध है, जिस पर छात्र आपत्ति नहीं कर सकता है। बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ में न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित और न्यायमूर्ति खाजी जयबुन्नेसा मोहियुद्दीन भी शामिल थे।

कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती

हिजाब विवाद में अब आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। बोर्ड का कहना है कि हाईकोर्ट ने कुरान और हदीस की गलत व्याख्या की है। बोर्ड ने मुनीसा बुशरा और जलीसा सुल्ताना यासीन नाम की दो अन्य याचिकाकर्ताओं के साथ शीर्ष अदालत का रुख किया। याचिका में कहा गया है, ‘यह मुस्लिम लड़कियों के खिलाफ सीधे भेदभाव का मामला है। हाईकोर्ट ने निर्धारित सिद्धांतों के बीच अंतर पैदा किया है।’ याचिका में तर्क दिया गया है कि मौलिक अधिकारों के संरक्षण के मुद्दे से निपटने के दौरान उच्च न्यायालय ने समझदार अंतर की अवधारणा को पूरी तरह से गलत व्याख्या दी है।